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Showing posts from March, 2018

किसी काम को करने के सौ तरीके हैं और न करने के एक हजार बहाने

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बीते दिनों मेरी मुलाकात कुछ ऐसे छात्रों से हुई जो खुद को निरीह साबित करने में जुटे हुए थे. एक नौजवान ने कहा कि मैं अनाथ हूँ, आगे जोड़ा कि पत्नी और एक बच्चा भी है. दिव्यांग एक नौजवान का कहना था कि उसे तुरंत सरकारी नौकरी की जरूरत है. जबकि ये श्रीमन अभी बीए कर रहे हैं. वह भी दिल्ली से. ऐसे कई छात्र मिलते हैं.  असल में उन्हें यह उम्मीद होती है कि अभी कोई जादू की छड़ी चलेगी और सभी समस्याओं का निदान हो जाएगा. जबकि सच से इसका कोई लेना-देना नहीं है. इस अंक में मुझे दो बातें कहनी है. एक-आप खुद को कमजोर मत बनाओ. दो-जादू की छड़ी केवल फिल्मों और जादूगरों के शो में होती है, असल जिन्दगी में कतई नहीं. कोई भी शिक्षक, दोस्त, परिवारीजन केवल आपकी मदद कर सकते हैं. तरीके बता सकते हैं. नदी तो आपको खुद ही तैरनी होगी. और वो कविता भी तो है...कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...मैं ऐसे सभी छात्रों से कहना चाहूँगा कि अगर आप गाँव में रहकर पढाई कर रहे हैं और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो टेंशन न लें. कस्बे और शहर में हैं तो भी टेंशन लेने की जरूरत नहीं है. यह बात नोट कर लें कि शार्टकट कुछ भी नहीं मिलने वाला.

पालीटेक्निक, आईटीआई करने के बाद बीए का छात्र हूँ, आगे क्या करूँ?

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एक नौजवान हैं नीरज. उन्होंने यूट्यूब पर अपनी कहानी बयाँ की है. सवाल पूछा है कि इण्टर के बाद पालीटेक्निक किया. फिर आईटीआई और अब बीए सेकण्ड ईयर का छात्र हूँ. आगे क्या क्या करूँ, समझ नहीं आ रहा. सरकारी नौकरी ही चाहिए. नीरज ने मदद माँगी है. यह भी दुहाई दी है कि उम्र 24 बरस हो गई है. बड़ा कन्फ्यूजन है, क्या करूँ? यूपी बोर्ड, आईसीएसई/आईएससी के इम्तहान ख़त्म हो चुके हैं. सीबीएससी बोर्ड के इम्तहान चल रहे हैं. यही वह समय है जब युवा आगे का रास्ता तय करता है. नीरज के केस में आप देखें तो पाएंगे कि अगर उन्हें पालीटेक्निक करना था तो इंटर की जरूरत नहीं थी. पालीटेक्निक तो हाईस्कूल के बाद ही हो जाता है. पालीटेक्निक कर लिया तो फिर आईटीआई करने की कोई जरूरत नहीं थी. क्योंकि आईटीआई की वैल्यू बाजार में पालीटेक्निक से कहीं कम है. तकनीकी शिक्षा हासिल करने में कई बरस गुजारने के बाद फिर बीए करने की बात बेमानी है. अगर स्नातक करना था तो तीन वर्ष में ही नीरज बीटेक कर लेते, क्योंकि पालीटेक्निक पास छात्रों को बीटेक में सीधे दूसरे साल में प्रवेश देने की व्यवस्था है. इससे वे जितने दिन में बीए की डिग्री हासि

सुनो सबकी, करो अपनी, कामयाबी आपकी ही होगी

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सीबीएससी बोर्ड के इम्तहान शुरू हो चुके हैं. आईएससी के चल रहे हैं. यूपी बोर्ड के समाप्ति की ओर हैं. जो छात्र इण्टर का इम्तहान दे रहे हैं, उन्हें स्नातक के लिए फिर से एक नई तैयारी में जुटने की चुनौती है. ऐसे में वक्त बिल्कुल नहीं है. यहाँ मैं इंटर के बाद वाली तैयारी पर बात करूँगा. अप्रैल से लेकर जुलाई का महीना ऐसे छात्रों के लिए बहुत अहम होते हैं. सारे जीवन का फैसला इन्हीं महीनों में होना होता है. असल में इम्तहान ख़त्म होने के बाद दो स्थितियों से छात्रों का सामना होता है. एक-बोर्ड के पेपर बहुत बढ़िया हुए, तो थोड़ी मस्ती कर ली जाए. दो-बोर्ड के पेपर खराब हो गए तो अब आगे की तैयारी का क्या फायदा? दोनों ही सूरत ठीक नहीं है. क्योंकि आपको आगे ही जाना है. जब यह तय है तो फिर न तो मस्ती और न ही पछतावा. आपको आगे की तैयारी में लग जाना है. अगर पेपर ख़राब हुए तो आप कुछ कर नहीं पाओगे. और बढ़िया हुए तो खुद के साथ थोड़ी सख्ती और कर लेना ही मुनासिब होगा. असल में यह कठिन समय है. आपके लिए भी और आपके मम्मी-पापा के लिए भी. यही समय है जब अंतिम फैसला लिया जाता है कि आप आगे क्या करने वाले हो. यहाँ आप किसी क

कैसे ख़त्म करें Exam का टेंशन | How to manage exam Stress & Anxiety | By ...

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