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Showing posts from April, 2018

इंटरनेट पर सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं आपकी ज्यादातर पसंदीदा किताबें

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दिनेश पाठक पिछले अंक में मैंने केवल इंटरनेट के सहारे पढ़ाई के खतरों से आगाह किया था और टेक्स्ट बुक पढ़ने की राय दी थी. अब अगर आपको लगता है कि पैसे नहीं हैं या कमी है. किताबें खरीद नहीं सकते. इस सूरत में आपकी ज्यादातर किताबें इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. आप यहाँ से पढ़ सकते हैं. अपने उसी प्रिय लेखक की किताबें आपको कई बार फ्री में पढ़ने को मिल जाएँगी तो कई बार संभव है कि आपको कुछ पैसे देने पड़ें. ढेरों किताबें ऐसी हैं, जिन्हें केवल पढ़ना चाहते हैं तो कुछ भी नहीं देना होता. हाँ, डाउनलोड करने पर जरुर कुछ न कुछ देना होगा. बस आपको सर्च करना आना चाहिए. यह एक समुद्र है. इसमें से अपने मतलब का हीरा खोजना एकदम आसान नहीं है लेकिन इतना मुश्किल भी नहीं. असल में जब हम बेग कुछ भी सर्च करते हैं तो गूगल उसकी पापुलरिटी देखते हुए आपके सामने परोस देता है. प्रायः ऐसे में आपके सामने छोटे-छोटे लिंक सामने आते हैं. अगर आपको बुक्स चाहिए तो सीधे वही बुक सर्च करिए, जो पढ़ना चाहते हैं. आप पाएंगे कि अगर इंटरनेट पर वह कहीं उपलब्ध है, तो आपके सामने होगी. अगर आप एक भी पैसा नहीं लगाना चाहते तो आप सर्च करते समय फ्री लिख दे

छात्र इंटरनेट के सहारे न करें पढ़ाई, किताबें ज्यादा भरोसेमंद

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दिनेश पाठक अगर आप प्रतियोगी या किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो कृपया केवल इंटरनेट के सहारे न रहें. टेक्स्ट बुक को ही तरजीह दें. कई बार इंटरनेट से लिए गए तथ्य गलत भी हो सकते हैं. किताबों में यह आशंका इसलिए कम हो जाती है या न के बराबर रहती है क्योंकि छपने के पहले बड़ा से बड़ा लेखक भी इसका प्रूफ अंतिम रूप से जरुर देखता है. असल में सामान्य दशा में हम गूगल या किसी अन्य सर्च इंजिन के सहारे हो गए हैं. जो लोग गूगल को जानते हैं, वे भी बहुत नहीं जानते. गूगल एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जिसके पास अपनी कोई सूचना नहीं है. जब आप कुछ भी सर्च करते हैं तो गूगल दसियों पेज खोलकर आपके सामने रख देता है. अब आपको इसी हिमालय से संजीवनी छांटनी / खोजनी है. अब कौन सी वेबसाइट की सूचना सही है, यह तय करना आपके लिए या किसी के लिए भी बहुत मुश्किल है. श्रीलंकन क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन की जन्म तिथि 17 अप्रैल 1972 है, जबकि देश की एक बहुत ही प्रतिष्ठित न्यूज़ वेबसाइट ने इस तथ्य को 17 अप्रैल 1947 दर्शाया हुआ है. एक और वेबसाइट ने इण्टरनेशनल कोर्ट की स्थापना की तारीख 18 अप्रैल बताई है, जबकि संस्था की वेबसाइट बता रह

इण्टर का इम्तहान दिया है, आईएएस बनना है, किस कोर्स में दाखिला लूँ?

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Dinesh Pathak इण्टरमीडिएट का इम्तहान दे चुके कुछ नौजवानों ने सवाल पूछा है कि उन्हें आईएएस बनना है तो वे ग्रेजुएशन में आर्ट, साइंस, कामर्स में से किसे प्रेफ़र करें. सबसे पहले ऐसे सभी नौजवानों को बहुत शुभकामनाएँ. आप अपने इस जज्बे को बरकरार जरुर रखें. क्योंकि समय के साथ जैसे-जैसे जीवन संघर्ष आगे बढ़ता है, ज्यादातर के जज्बे में कमी आ जाती है. जब यह जज्बा कायम रहेगा तभी उसके अनुरूप तैयारी हो पाएगी. ध्यान रखना होगा कि इस परीक्षा में कोई शार्टकट नहीं है. मेहनत, ज्ञान, आत्मविश्वास के सहारे ही यहाँ कामयाबी मिलती है. ऐसे में कुछ सावधानियाँ जरुरी हैं. इण्टरमीडिएट का इम्तहान देकर रिजल्ट का इन्तजार कर रहे कला वर्ग   के छात्रों से मैं यही कहूँगा कि बैठिए नहीं, ज्ञान का स्तर बढ़ाइए. विषय पर फोकस करिए. अपनी इंग्लिश पर फोकस करिए. अखबार पढ़ते रहिए. हिंदी के अखबारों से बचिए और इंग्लिश के अखबार पढ़ने का प्रयास कीजिए. सामान्य ज्ञान मजबूत होता रहेगा. फिर बीए में दाखिला लेकर पढ़ाई शुरू करिए. उचित होगा कि विषय का चुनाव इसी समय ऐसा करें जो सिविल सर्विसेज इम्तहान के समय भी आपके काम आ जाए. असली तैयारी ग्रेज

अफसर बनना है तो अंग्रेजी-गणित से कर लें प्यार, तुरंत करें ये उपाय

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प्रतीकात्मक चित्र: साभार कॉलेज के दिनों में ज्यादातर नौजवान दिन में भी अफसर बनने के सपने देखते हैं. देखना भी चाहिए लेकिन किसी भी महकमे में अफसर बनने की कुछ निश्चित योग्यताएँ हैं, अहर्ताएं हैं. बिना उनकी जानकारी के किसी भी परीक्षा में सफल होना बड़ी बाधा है. और बात जब यूपी, बिहार जैसे राज्यों की हो तो यह और महत्वपूर्ण हो जाता है. अंग्रेजी और गणित के ज्ञान के बिना इस बाधा को पार करना सहज नहीं रह जाता. यूपी, बिहार में हिंदी का बोलबाला है तो प्रायः छात्र-छात्राओं का ध्यान इस ओर कम ही जाता है. जब जाता है, तो काफी समय निकल चुका होता है. फिर हम या तो हाथ मसलते हैं. या खुद के टीचर्स को दोषी ठहराते हैं या फिर माता-पिता और स्कूल को. इस अंक में मैं इसी मुद्दे पर आपकी मदद करने वाला हूँ. आप किस क्लास में हैं? कौन सी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे हैं? इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए. लेकिन अगर आपको अफसर बनना है तो इन दोनों ही विषयों की जानकारी आपके लिए मददगार साबित होती है या यूँ कहिये कि बिना इसके मुश्किल बहुत आती है. कई बार तो नाकामयाबी ही हाथ लगती है. फिर हम पश्चाताप करते हैं. इन द