स्मार्ट सिटी के फैसले से खफा हुए पंडित जी

मोदी भक्त पंडित जी का गुस्सा आज देखने लायक था. वे केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी के फैसले से खफा दिखे. मोहल्ले में नुक्कड़ वाली पान की दुकान से किमाम लगा पान चबाते हुए बोले-अरे भाई माना कि अभी 20 ही स्मार्ट सिटी बनानी थी. इन्हें हिसाब से बांटते. ये तो कहीं हनी-हना, कहीं मुठी चना, कहीं उहो मना, वाली कहावत चरितार्थ कर दी. पिद्दी भर का गुजरात दो शहर, राजस्थान दो शहर, मध्य प्रदेश तीन और उत्तर प्रदेश को लेमनचूस.
अरे भाई, इस राज्य ने 80 में से 73 सांसद दिए आप को. गुजरात से आने के बावजूद आप को भी जिताकर भेजा. अगले साल विधान सभा चुनाव है. सरकार बनाने का सपना भाजपा देख रही है उत्तर प्रदेश में. एक नहीं, अनेक कारण है इस राज्य को स्मार्ट सिटी देने के. पान की गुमटी के सामने खड़े लोगों ने हाँ में हाँ मिलाई तो पंडित जी और उत्साहित हुए. बोले-लगता है मेरी पार्टी को शहरी मतदाता अपनी जेब में दिखता है. अन्यथा, कोई कारण नहीं था कि दो-चार शहर हमारे नहीं होते. ऐसा हो जाता तो कम से कम शहरी सीटों पर दावेदारी और मजबूत हो जाती. पर, कौन समझाए इन महानुभावों को. मेरी तो कोई सुनता भी नहीं. जब जनता जवाब देगी तो समझ आएगी सारी कहानी. बिहार में मुंह की खाकर लौटने के बाद भी दिमाग नहीं खुला. पंडित जी का गुस्सा देख बाकी लोग भी लगे बुदबुदाने. ठीक ही तो कह रहे हैं गुरु जी. गलत का है. आखिर सरकार में नंबर दो की कुर्सी पर आसीन साहब यहीं से हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. लखनऊ से ही सांसद हैं. पर, सरकार ने उनकी इज्जत भी नहीं रखी. कम से कम गृह मंत्री के शहर को तो इस योजना में शामिल करना ही था. आगरा में एक और मंत्री राम शंकर कठेरिया को भी भाव नहीं. कानपुर के सांसद जोशी जी के बुढ़ापे का ख्याल भी नहीं रहा सरकार को. पंडित जी के पडोसी सीए साहब बोले-कानपुर को तो इसलिए दे देना चाहिए था क्योंकि यह शहर पूरे राज्य में सबसे ज्यादा टैक्स देता है. बात चाहे भारत सरकार की हो या फिर राज्य सरकार. आगरा का हक इसलिए पहले बनता है कि इस अकेले शहर ने पूरी दुनिया में राज्य का नाम रोशन किया है.

लोगों की बतकही सुनने के बाद पंडित जी का गुस्सा धीरे-धीरे काफूर होने लगा. बोले-देखो भाई, अब हम लोग बेवजह चिंता किये जा रहे हैं. जो होना था हो गया. अब अगली किश्त का इन्तजार करने के अलावा कोई चारा नहीं है. संभव है कि मोदी जी ने उत्तर प्रदेश को इसलिए अभी न दिया हो कि अगली किश्त में एक साथ कई शहर दे दें. और तब तक राज्य चुनावी सीढ़ी चढ़ रहा होगा. लोहा गरम रहेगा तो वोट भी मिलेगा. तभी इस सभा में पंडित जी के जिगरी यार डॉक्टर साहब आये. वे ठहरे पक्के भाजपा विरोधी. बिना कुछ सुने-समझे उन्होंने पंडित जी की चुटकी ली. अरे क्या हुआ भाई मोदी जी को? उत्तर प्रदेश को क्यों ठेंगा दिखा दिया. अमां पंडित मैं तो तुम्हें पहले से ही कहा करता हूँ कि भाजपा और मोदी चालीसा पढ़ना बंद करो. समय देखो और जो बेहतरीन प्रत्याशी दिखे उसे वोट दो. किसी दल से दिल लगाने के बड़े नुकसान हैं. दर्द बढ़ता ही जाता है. अब बुढ़ापे में तुम्हारा दिल इतना मजबूत भी नहीं रहा. मैं तुम्हें पहले ही चेताये दे रहा हूँ, सीना पकडे मेरे पास मत आना. तुम तो अपनी सेहत का ख्याल रखो. ये भाजपा, मोदी, मुलायम, मायावती, सोनिया, राहुल का ख्याल निकालो दिल से. दिल को स्वस्थ रखो, मस्त रहो. समझे कि नहीं. चलो तुम्हें घर छोड़ देते हैं. फिर एक बीड़ा पान दबा पंडित जी ने लम्बी डकार ली और दोनों जिगरी यार भीड़ को बाय-बाय करते हुए चल दिए. पंडित जी ने कहा ठीक कह रहे हो डॉक्टर. मैं अब सेहत का ध्यान ज्यादा रखूंगा.     

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