जब पंडित जी मीडिया वालों पर भड़के

पंडित जी आज बहुत गुस्से में दिखे. वे मीडिया पर बरस रहे थे. बोले-बड़ी मुश्किल से जान छूटी थी असहिष्णुता-सहिष्णुता से. लोग फिर शुरू हो गए. ताजा विवाद करण जौहर, कजोल को लेकर उठा है. मेरे गाँव में तो रोज सुबह-शाम नहर पुलिया पर असहिष्णुता-सहिष्णुता की ऐसी-तैसी की जाती है. इस मुद्दे पर अपने गाँव में आजादी के बाद से लगातार बहस चल रही है. उम्मीद है कि आगे भी ये सिलसिला यूं ही चलता रहेगा.
बोले - 90 बरस का हो गया हूँ. पिता जी ने उस ज़माने में दिल्ली भेजकर पढ़ाया-लिखाया. फिर नौकरी मिल गई. प्रोफ़ेसर बना. बीते 30 बरस से गाँव में रहकर जीवन का आनंद उठा रहा हूँ. कोई दिक्कत-परेशानी नहीं आई. जिस विषय पर बात करने का मन करता है, जी खोलकर करता हूँ. गाँव के लोग भी इस बहस में शामिल होते हैं. आनंद उठा रहे हैं. पर, सहिष्णुता-असहिष्णुता नाम की चीज हमारे यहाँ नहीं दिखाई देती. न ही कभी कोई मीडिया वाला आया, न ही कोई विवाद हुआ कभी. पर, जैसे ही कोई सेलिब्रेटी कहीं मिला, ये मीडिया वाले उसके मुंह में माइक डाल देंगे और वही सवाल पूछेंगे, जो उन्हें पूछना होगा. वह बेचारा चाहे जितनी बेहतरीन बातचीत कर ले, ये दिखाएंगे वही जो इनका मन करेगा. अब करण जौहर ने भला कौन सी ऐसी बात कह दी कि बवाल मचा दिया.
अरे भाई, फिल्म बनाना छोटा काम तो है नहीं. करोड़ों रुपये लगाने के बाद अगर फिल्म डिब्बा बंद घोषित हो गई तो प्रोड्यूसर बेचारा तो गया काम से. फिल्मों के जरिये फ़िल्मकार अपना नजरिया पेश करता है. अपने तरीके से समाज को सन्देश देने का प्रयास करता है. यहाँ यह जान लेना किसी के लिए बेहद जरूरी है कि टेलीविजन, सिनेमा हमारे समाज का ही आइना हैं. संभव है कि हम उस कहानी के बारे में बहुत ज्यादा न जानते हों. और अब तो रियलिटी के करीब कई फ़िल्में बनने लगी हैं. ताजी फिल्म एयरलिफ्ट 1990 की उस घटना पर आधारित है जिसमें 1.70 लाख भारतीयों को एक उद्योगपति ने बचाया था. तलवार फिल्म का रिश्ता भी असलियत के करीब है. हाँ, यह जरूर है कि फिल्मकार अपनी फिल्म को दर्शकों तक पहुँचाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं. इसमें कहीं किसी को सहिष्णुता-असहिष्णुता का विवाद दिखाने लगे तो. करण जौहर ने यही तो कहा था. काजोल ने भी ऐसी ही बातें की थी. इसमें कोई बुराई नहीं है. इससे ढेरों कड़वी बातें हम गाँव में करते हैं.

जब लोग मीडिया पर आरोप लगाते हैं तो मेरे हिसाब से ठीक ही कहते हैं. कोई टीआरपी के चक्कर में तो कोई पाठक बनाने के चक्कर में ऐसे बयानात को बढ़ा-चढा कर छाप देते हैं. अरे भाई देश की धड़कन को जानना हो तो दिल्ली, मुम्बई से बाहर निकल कर गांवों तक पहुँचो. ये कौन सी बात हुई कि सेलिब्रेटीज के आगे-पीछे कैमरा लिए घूमते रहते हो. फिर जबरन कुछ न कुछ उगलवाने का प्रयास करते हो. आप की देखा-देखी अखबार वाले भी छाप ही देते हैं. बिजनेस के लिए इस स्तर तक गिरना ठीक नहीं है. आखिर लोग मीडिया पर भरोसा जो करते हैं. अगर ऐसी हरकतें नहीं रुकीं तो आम जनमानस का भरोसा उठ जाएगा इस चालू मीडिया से. अब अपनी साख बचाने के लिए मीडिया को कुछ न कुछ सोचना होगा. अरे भाई, देश में बहुतेरे बढ़िया काम भी तो हो रहे हैं. उसे भी दिखाओ. लोग प्रेरित होंगे. पर नहीं, तुम तो बस क्राइम, क्रिकेट, सिनेमा और राजनीति के इर्द-गिर्द ही घूमते रहते हो. इसके आगे भी दुनिया रहती-बसती है मीडिया वाले यारों.

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