यूपी चुनाव 2017 : अब भी न जागे तो सपा की लुटिया डूबी ही समझो


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक बार फिर से आगे आना होगा. अगर वे वाकई साफ-सुथरी छवि के सहारे चुनाव में जाना चाहते हैं तो उसी तरह के प्रत्याशी भी उतरने होंगे. ऐसा नहीं हो सकता कि बोलेन कुछ और करें कुछ. शनिवार को जारी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की सूची उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छवि को धक्का देने वाली है.
इस सूची में पार्टी ने माफिया के प्रति अपने लगाव को दर्शाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. अखिलेश चाहते हैं कि समाजवादी पार्टी से माफिया दूर ही रहें. वे बार-बार विरोध भी कर चुके हैं. बात चाहे डीपी यादव की रही हो, मुख़्तार अंसारी की हो या फिर किसी और की. पर, अब इलाहाबाद के माफिया अतीक अहमद को कानपुर कैंट से विधान सभा का टिकट देकर पार्टी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. उसे हर हाल में जिताऊ प्रत्याशी चाहिए. वह चाहे माफिया हो या कोई और. सपा को कोई परहेज किसी से नहीं है.
समाजवादी पार्टी में पहले से ही कई माफिया मौजूद हैं. उन्होंने अपने-अपने इलाकों में पूरे पांच साल केवल और केवल अपनी ही चलाई है. उनके जिलों में खास तौर से अधिकारियों की तैनाती होती रही. सरकार कुछ नहीं कर पाई. उन्होंने ठेके-पट्टे से लेकर जिले की सभी आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखा और जहाँ भी कोई अफसर उनकी राह में बाधा बना, इन्होंने उसे हटवा दिया.
अखिलेश चाहते हैं कि वे विकास के नाम पर चुनाव लड़ें. इन्हीं कारणों से अभी उनके परिवार में तमाम बवाल भी हुआ था. चाचा शिवपाल को उन्होंने काबीना मंत्री के पद से हटा दिया था. अपने पिता से भिड़ गए थे. मुलायम के करीबी अमर सिंह के खिलाफ भी अखिलेश ने मोर्चा खोला. पर, लगता है अब सब कुछ वैसा ही हो गया, जैसा पहले था.
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे हो या फिर लखनऊ मेट्रो. जनेश्वर मिश्र पार्क हो या विकास के कुछ और कार्यक्रम. अखिलेश ने कोई कसर नहीं छोड़ी. भले ही यह उनकी चुनावी चाल हो, लेकिन ये काम हुए तो हैं. जिलों की स्थिति बहुत ख़राब है. यह अखिलेश भी जानते हैं और उनकी पूरी पार्टी भी. पर अभी टिकट बंटवारे में अगर ऐसे ही चला तो सपा कमजोर ही पड़ेगी.
माफिया अतीक जैसे लोग जब इलाहाबाद छोड़ कानपुर से चुनाव लड़ेंगे तो कानपुर का कार्यकर्ता निराश होगा. वहां के जो लोग कैंट सीट के दावेदार रहे होंगे, उनके मंसूबे पर तो पार्टी ने पानी फेर दिया. फिर एक माफिया दूसरे शहर से चुनाव जीत भी गया तो भला जनता की कैसे मदद करेगा. उसका रिश्ता जनता से तो नहीं बन पाएगा.
सपा आधा से ज्यादा प्रत्याशी तय कर चुकी है. अब भी अखिलेश नहीं जागे तो लुटिया डूबने से कोई नहीं बचा पायेगा. जागो अखिलेश जी, जागो. 

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