इस बार बजट सत्र में 92 साल पुरानी परम्परा संसद में टूटेगी, जानिए क्या है पूरा मसला
![]() |
वित्त मंत्री अरुण जेटली : फ़ाइल फोटो साभार |
मोदी सरकार 92 साल से चली आ रही परम्परा को इस बार विराम देने जा रही है. इस साल रेल एवं आम बजट एक साथ पेश होगा. अभी तक ये दोनों अलग-अलग पेश होते थे. सरकार ने इस साल सितंबर में 92 साल से चली आ रही रेल बजट को अलग पेश करने की परंपरा को समाप्त करने की घोषणा की थी इसलिए वित्त वर्ष 2017-18 के आम बजट में रेल बजट को मिलाने का फैसला किया गया है.
सीआईआई द्वारा आयोजित रेलवे में लेखा सुधारों पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि साल दर साल सरकारें सिर्फ लोकलुभावन के लिए काम करती रहीं. लोग रेल बजट को सिर्फ यह जानने के लिए सुनते थे कि कितनी नई ट्रेनों की घोषणा की गई है. उन्होंने कहा कि रेलवे की योेजना नकदी की प्रणाली से संग्रहण की प्रणाली में स्थानांतरित होने की है. ऐसे में लेखा सुधार बेहतर तरीके से प्रदर्शन को दिखाएंगे.
वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे द्वारा अपने प्रदर्शन तथा आंतरिक प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करना जरूरी है अन्यथा वह यात्री तथा माल परिवहन में अन्य क्षेत्रों मसलन राजमार्ग तथा एयरलाइंस से पिछड़ जाएगा.
जेटली ने कहा, ‘रेलवे का प्रमुख काम ट्रेन चलाना और ये सेवाएं देना है. आतिथ्य या हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र रेलवे का प्रमुख काम नहीं है। ऐसे में इस तरह की गतिविधियों के लिए आउटसोर्सिंग को अपनाया जाना चाहिए. आउटसोर्सिंग का सिद्धान्त आज दुनियाभर में स्वीकार्य है.’
वित्त मंत्री ने कहा कि आपकी लेखा प्रणाली बताने वाली होनी चाहिए, छिपाने वाली नहीं. रेलवे के बुनियादी ढांचे में किस तरह का निवेश आ रहा है, रेल सुरक्षा में कैसा निवेश आ रहा है. व्यय की जो योजना बनाई गई है उसका परिणाम क्या आया है. ‘मुझे लगता है कि ये लेखा खाते वास्तविकता दर्शाने वाले होने चाहिए.’
उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि पिछले दो साल में रेलवे लोकलुभावन के रास्ते से हटकर प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. अब वह गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान दे रहा है. जेटली ने कहा कि वर्षों की सफलता के बाद रेलवे का आकलन यात्रियों को सब्सिडी देने तथा ट्रेनों के बारे में लोकलुभावन घोषणाएं करने को लेकर होने लगा है. वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे एक ऐसी स्थिति में फंस गया जहां प्रदर्शन से अधिक लोकलुभावन का सिद्धान्त ऊपर हो गया. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान को चलाने की पहले शर्त यह होती है कि उपभोक्ता उन सेवाओं के लिए भुगतान करें जो उन्हें दी जा रही हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि 2003 तक बिजली कंपनियां सब्सिडी की मार से प्रभावित थीं. उसके बाद बिजली सुधार आए. राजमार्ग क्षेत्र भी टोल व्यवस्था या ईंधन उपभोक्ताओं पर उपकर की वजह से सफल है. उन्होंने कहा कि हालांकि, रेलवे के भीतर कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, लेकिन उसे परिवहन के वैकल्पिक साधनों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि पिछले 15 साल के दौरान आगे बढ़ा राजमार्ग क्षेत्र रेलवे को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहा है. यात्रा के उद्देश्य से भी रेलवे को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है.
वित्त मंत्री ने कहा कि 2003 तक बिजली कंपनियां सब्सिडी की मार से प्रभावित थीं. उसके बाद बिजली सुधार आए. राजमार्ग क्षेत्र भी टोल व्यवस्था या ईंधन उपभोक्ताओं पर उपकर की वजह से सफल है. उन्होंने कहा कि हालांकि, रेलवे के भीतर कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, लेकिन उसे परिवहन के वैकल्पिक साधनों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि पिछले 15 साल के दौरान आगे बढ़ा राजमार्ग क्षेत्र रेलवे को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहा है. यात्रा के उद्देश्य से भी रेलवे को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है.
जेटली ने कहा कि ऐसे में प्रदर्शन के साथ-साथ आंतरिक प्रबंधन के मामले में ऊंचे मानदंडों को कायम न रखने पर रेलवे के प्रतिस्पर्धा में पीछे छूटने का खतरा हमेशा कायम रहेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे हमेशा प्रतिस्पर्धा से जूझता रहा है और इसका दबाव उसकी वित्तीय स्थिति पर दिख रहा है. जेटली ने कहा कि आज हमारे हवाई अड्डे अधिकांश विकसित देशों से अधिक विकसित हो चुके हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि तार्किक आधार पर देखा जाए तो हवाई अड्डे तथा रेलवे स्टेशनों के कामकाज या जरूरतों में कोई अंतर नहीं हैं. ऐसे में आपके पास जो रीयल एस्टेट या जमीन है, कोई वजह नजर नहीं आती कि रेलवे उस स्तर तक न पहुंच सके.
Comments
Post a Comment