डीएम के पीआरओ की पत्नी से AIDMK महासचिव तक कैसे पहुंची शशिकला, जानिए पूरी कहानी

जयललिता की उत्तराधिकारी बनीं शशिकला : फ़ाइल फोटो साभार 
अब जब यह बात अंतिम रूप से तय हो गई है कि जयललिता की उत्तराधिकारी उनकी करीबी रही शशिकला होंगी, तब देश को यह भी जानना चाहिए कि वह कौन हैं? कैसे जयललिता और पार्टी से जुड़ीं? शशिकला से जुड़ी ऐसी ही कुछ जानकारियों का गुलदस्ता खास आप के लिए...
शशिकला-जयललिता मुलाकात
शशिकला से जयललिता की मुलाकात 1980 के दशक में हुई. तब वो पार्टी की प्रचार सचिव थीं. इसकी नींव 1977 में रखी गई. तब एमजी रामाचंद्रन ने आईएएस अधिकारी वीएस चंद्रलेखा को तमिलनाडु की पहली महिला जिलाधिकारी नियुक्त किया. उन्हें कुड्डुर जिला सौंपा गया. चंद्रलेखा को जल्दी आगे बढ़ने की ललक थी. वो स्थानीय मीडिया में अपनी गतिविधियों को छपते देखना चाहती थी और इसी वजह से उन्होंने एक पीआरओ की नियुक्ति की. ये पीआरओ थे एम नटराजन यानी शशिकला के पति. एम नटराजन ने स्थानीय अखबारों के पत्रकारों के जरिए चंद्रलेखा को जल्द ही स्टार बना दिया और उनके चर्चे मुख्यमंत्री एमजीआर तक पहुंचने लगे. एमजीआर से चंद्रलेखा की नजदिकियां बढ़ीं और उन्हें मदुरई ट्रांसफर कर दिया गया. चंद्रलेखा के साथ ही नटराजन और उनकी पत्नी शशिकला भी मदुरई पहुंच गईं.

जब एमजीआर ने शशिकला को सौंपी यह जिम्मेदारी 
1981 में एमजीआर तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता को लेकर आए और उन्हें पार्टी की प्रचार सचिव नियुक्त किया. फिल्म स्टार के रूप में वो खासा प्रसिद्ध तो पहले से थी हीं, वो राज्य जहां लोग फिल्मी कथानक को वास्तविक जिंदगी में हाथों हाथ लेते हैं जल्द ही वहां के लोगों को उनमें एमजीआर की छवि दिखने लगी. 1982 में एमजीआर ने जयललिता को राज्यसभा भेजा. तब तक पार्टी में यह संदेश जा चुका था कि वो जयललिता को अपनी उत्तराधिकारी के रूप में तैयार कर रहे हैं. जयललिता रैलियां करने लगीं. ऐसी ही एक रैली का आयोजन मदुरई में किया गया. यह महिला रैली थी और इसी दौरान एमजीआर ने शशिकला से कहा कि वो जयललिता का ख्याल रखें और यह भी कि रैली सफल हो. इसी रैली में जयललिता को महिला अधिकारों की योद्धा के रूप में प्रचारित किया गया. रैली बेहद सफल रही और साथ ही शशिकला का जयललिता के जीवन में सफल प्रवेश भी.

...और शशिकला बन गईं पार्टी महासचिव शशिकला इस मौके को किसी कीमत में गंवाना नहीं चाहतीं थी शायद इसीलिए उन्होंने जयललिता के निधन के अगले ही दिन अगले ही दिन पति और परिवार के अन्य सदस्यों समेत पोएस गार्डन स्थित आवास में वापस पहुंच गईं. ठीक एक दिन बाद वो राज्य के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात करने में लगी रहीं और शाम तक मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम समेत कई दिग्गज मंत्रियों से भी मिलीं. शुक्रवार को भी कमोबेश वेद निलयम का माहौल कुछ ऐसा ही रहा. जयललिता के बाद सत्ता का वर्तमान केंद्र बन चुकीं शशिकला अब महासचिव बन चुकी हैं और इस पार्टी में महासचिव का पद सर्वोच्च है. कोई बड़ी बात नहीं कि वे जल्दबाजी में ही मौजूदा सीएम को हटाकर सत्तासीन हो जाएँ.




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