लखनऊ-दिल्ली बाया आगरा कम हुई दूरी, एक्सप्रेसवे आज से शुरू
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लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर बने टोल प्लाजा की तस्वीर : साभार |
एक्सप्रेस वे पर 100 से 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से राजधानी से उन्नाव, कानपुर, हरदोई, कन्नौज, औरैया, इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद जिलों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.
इस एक्सप्रेस से आगरा और वहां से 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेस वे पकड़कर दिल्ली महज ढाई घंटे में पहुचा जा सकता है. यानी प्रदेश की राजधानी से देश की राजधानी अब महज छह घंटे ही दूर रह गई है. एक्सप्रेस वे पर सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने कई तरह के उपाय किए हैं.
एक्सप्रेस वे पर हर 30 किलोमीटर पर दोनों दिशाओं पर डायल-100 और 108-एम्बुलेंस के एक-एक वाहन तैनात रहेंगे. मुख्य सचिव की ओर से ये भी आदेश दिए गए हैं कि इन वाहनों में तैनात ड्राइवरों का ट्रांसफर अन्य जगह न किया जाए, ताकि ये सड़क मार्ग की पूरी जानकारी और चिन्हित अस्पतालों, पुलिस स्टेशनों से परिचित हो जाएं.
इसके अलावा पेट्रोलिंग करने वाले वाहनों के लिए सम्बन्धित जनपदों में उचित स्थान तय किया जा रहा है. वहां इनका बेस-स्टेशन बनाया जा रहा है. इन बेस स्टेशनों पर वायरलेस सेट और लोकल थाने के एक प्रतिनिधि की भी तैनाती की जा रही है. इसके अलावा हर एक्सप्रेस से जुड़े हर जिले की सीमा में यातायात प्रवर्तन उपकरण जैसे ब्रेथइनलाइजर, स्पीड राडार आदि भी उपलब्ध कराए गए हैं.
इसे बनाने में करीब 13 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है. यह पूरी तरह से एक्सेस एक्सप्रेस होगा, यानी चिन्हित जगह के अलावा और कहीं से भी इस एक्सप्रेस वे पर नहीं आया जा सकता. यही कारण है कि इसमें 132 फुट ओवर ब्रिज और 59 अंडर पास दिए गए हैं, ताकि गांव के लोगों को असुविधा न हो.
इमरजेंसी के दौरान एक्सप्रेस वे का एयरस्ट्रिप के तौर पर इस्तेमाल भी किया गया है. उद्घाटन के दौरान इसका मिराज और सुखोई जैसे फाइटर एयरक्राफ्ट का टच डाउन कराकर इसका प्रदर्शन भी किया जा चुका है. एक्सप्रेस वे पर एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लगाया गया है. साइड बैरिकेडिंग में आधुनिक रिफ्लेक्टिव पेंट भी होगा. इसके दोनों किनारे पर ग्रीन बेल्ट बनाने के लिए करीब तीन लाख पौधे लगाए जा रहे हैं.
इसके अलावा पेट्रोलिंग करने वाले वाहनों के लिए सम्बन्धित जनपदों में उचित स्थान तय किया जा रहा है. वहां इनका बेस-स्टेशन बनाया जा रहा है. इन बेस स्टेशनों पर वायरलेस सेट और लोकल थाने के एक प्रतिनिधि की भी तैनाती की जा रही है. इसके अलावा हर एक्सप्रेस से जुड़े हर जिले की सीमा में यातायात प्रवर्तन उपकरण जैसे ब्रेथइनलाइजर, स्पीड राडार आदि भी उपलब्ध कराए गए हैं.
इसे बनाने में करीब 13 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है. यह पूरी तरह से एक्सेस एक्सप्रेस होगा, यानी चिन्हित जगह के अलावा और कहीं से भी इस एक्सप्रेस वे पर नहीं आया जा सकता. यही कारण है कि इसमें 132 फुट ओवर ब्रिज और 59 अंडर पास दिए गए हैं, ताकि गांव के लोगों को असुविधा न हो.
इमरजेंसी के दौरान एक्सप्रेस वे का एयरस्ट्रिप के तौर पर इस्तेमाल भी किया गया है. उद्घाटन के दौरान इसका मिराज और सुखोई जैसे फाइटर एयरक्राफ्ट का टच डाउन कराकर इसका प्रदर्शन भी किया जा चुका है. एक्सप्रेस वे पर एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लगाया गया है. साइड बैरिकेडिंग में आधुनिक रिफ्लेक्टिव पेंट भी होगा. इसके दोनों किनारे पर ग्रीन बेल्ट बनाने के लिए करीब तीन लाख पौधे लगाए जा रहे हैं.
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