दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट बोर्ड संकट में, जानिए क्या है पूरा मामला
लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में आनाकानी कर रहे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से ऐसा लग रहा है कि बोर्ड के मौजूदा सभी पदाधिकारी संकट में है. कोर्ट ने बोर्ड को चलाने के लिए तीन नाम तक मांग लिए हैं.
खुद बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की मुश्किलें भी बढ़ती नजर रही हैं. उन पर कोर्ट में झूठ बोलने का आरोप लगा है. अगर यह साबित हो गया तो उन्हें जेल भी हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सुनवाई के दौरान कहा कि पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि बोर्ड अध्यक्ष ठाकुर और जनरल मैनेजर शेट्टी ने हलफनामे में झूठ बोला है.
अगर आरोप साबित हो जाता है तो ठाकुर को अधिकतम तीन साल जेल की सजा भी हो सकती है. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि ठाकुर एस सप्ताह के अंदर ऐसे साक्ष्य कोर्ट में जमा कर सकते हैं जिनसे उन पर लगा आरोप गलत साबित हो जाए. इस मामले की आगे की सुनवाई 2 जनवरी को हो सकती है.
अनुराग ठाकुर ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्होंने आईसीसी चेयरमैन से बस इतना पूछा था कि जब वे खुद बीसीसीआई के अध्यक्ष थे तब लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर उनका क्या स्टैंड था. जब मनोहर खुद अध्यक्ष थे तब उन्होंने लोढ़ा कमेटी की सिफारिश के अनुसार एपेक्स काउंसिल में सीएजी नॉमिनी नियुक्त करने को सरकारी दखल के समान बताया था. मनोहर के अनुसार ऐसा करने पर आईसीसी द्वारा बीसीसीआई को सस्पेंड करने का खतरा होता, इसलिए मैंने उनसे अनुरोध किया था कि क्या वे बतौर आईसीसी चेयरमैन ऐसा पत्र जारी कर सकते हैं जिससे उनका वह स्टैंड स्पष्ट होता जो उन्होंने बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष लिया था.
पूरे विवाद की शुरुआत इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के सीईओ डेव रिचर्डसन के इंटरव्यू के बाद हुई थी. उन्होंने कहा था कि अनुराग ठाकुर ने आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर से एक अनुरोध किया था कि वे सुप्रीम कोर्ट में यह बताए कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें सरकारी दखल के समान है. अगर बीसीसीआई पर ये सिफारिशें थोपी गईं तो आईसीसी कड़ा कदम उठाते हुए उसकी मान्यता रद्द भी कर सकती है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ठाकुर से इस पर स्पष्टीकरण मांगते हुए हलफनामा दायर करने को कहा था.
कोर्ट ने बीसीसीआई से कहा कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू करने के लिए बोर्ड को कई मौके मिले. पर्याप्त समय भी दिया गया. एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने पहले की सुनवाई में कहा था कि अनुराग ठाकुर लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में बाधा बन रहे हैं. पूरा मामला ऐसा कि एक व्यक्ति (ठाकुर) बाधा बन रहा है और वह कोर्ट की अवमानना भी कर रहा है. क्या उसे बीसीसीआई का अध्यक्ष बने रहना चाहिए?
सुप्रीमकोर्ट ने लोढ़ा कमेटी के इस सुझाव पर फैसला सुरक्षित रखा कि बीसीसीआई अधिकारियों को हटाकर पूर्व नौकरशाह जीके पिल्लई को बोर्ड का कामकाज देखने के लिए नियुक्त किया जाए. बीसीसीआई ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान पिल्लई के नाम को खारिज कर दिया था. इसके बाद कोर्ट ने बोर्ड से ही 23 दिसंबर तक तीन ऐसे नाम सुझाने को कहा जो मौजूदा अधिकारियों की जगह कामकाज संभाल सकें. कोर्ट ने इनमें से एक के तौर पर पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ का नाम भी सुझाया.
बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने दोहराया कि राज्य क्रिकेट एसोसिएशन लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू नहीं करने पर अड़े हुए हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा है तो उन एसोसिएशनों को आप दरकिनार क्यों नहीं कर देते. आपके पास इसका विकल्प मौजूद है. एक राज्य, एक वोट, अधिकारियों की उम्र सीमा और कार्यकाल सीमा कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर बीसीसीआई और अधिकतर राज्य एसोसिएशनों को आपत्ति है.
बीसीसीआई के जनरल मैनेजर (गेम डेवलपमेंट) शेट्टी ने 7 अक्टूबर को दायर अपने हलफनामे में कहा था कि अनुराग ठाकुर ने आईसीसी को मामले में दखल देने के लिए कभी कोई पत्र लिखा ही नहीं. कोर्ट ने ठाकुर और शेट्टी के हलफनामे में तथ्यों का अंतर पाया. कोर्ट ने कहा कि शेट्टी के हलफनामें में जो बात कही गई है वह आईसीसी के सीईओ के बयान को पूरी तरह गलत बताती है और यह ठाकुर के बयान से भी अलग है. इससे लगता है कि ठाकुर और शेट्टी ने हलफनामे में झूठ बोला है.कोर्ट ने बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि अगर अनुराग ठाकुर कड़े फैसले से बचना चाहते हैं तो माफी मांगें।
अनुराग ठाकुर ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्होंने आईसीसी चेयरमैन से बस इतना पूछा था कि जब वे खुद बीसीसीआई के अध्यक्ष थे तब लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर उनका क्या स्टैंड था. जब मनोहर खुद अध्यक्ष थे तब उन्होंने लोढ़ा कमेटी की सिफारिश के अनुसार एपेक्स काउंसिल में सीएजी नॉमिनी नियुक्त करने को सरकारी दखल के समान बताया था. मनोहर के अनुसार ऐसा करने पर आईसीसी द्वारा बीसीसीआई को सस्पेंड करने का खतरा होता, इसलिए मैंने उनसे अनुरोध किया था कि क्या वे बतौर आईसीसी चेयरमैन ऐसा पत्र जारी कर सकते हैं जिससे उनका वह स्टैंड स्पष्ट होता जो उन्होंने बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष लिया था.
पूरे विवाद की शुरुआत इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के सीईओ डेव रिचर्डसन के इंटरव्यू के बाद हुई थी. उन्होंने कहा था कि अनुराग ठाकुर ने आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर से एक अनुरोध किया था कि वे सुप्रीम कोर्ट में यह बताए कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें सरकारी दखल के समान है. अगर बीसीसीआई पर ये सिफारिशें थोपी गईं तो आईसीसी कड़ा कदम उठाते हुए उसकी मान्यता रद्द भी कर सकती है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ठाकुर से इस पर स्पष्टीकरण मांगते हुए हलफनामा दायर करने को कहा था.
कोर्ट ने बीसीसीआई से कहा कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू करने के लिए बोर्ड को कई मौके मिले. पर्याप्त समय भी दिया गया. एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने पहले की सुनवाई में कहा था कि अनुराग ठाकुर लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में बाधा बन रहे हैं. पूरा मामला ऐसा कि एक व्यक्ति (ठाकुर) बाधा बन रहा है और वह कोर्ट की अवमानना भी कर रहा है. क्या उसे बीसीसीआई का अध्यक्ष बने रहना चाहिए?
सुप्रीमकोर्ट ने लोढ़ा कमेटी के इस सुझाव पर फैसला सुरक्षित रखा कि बीसीसीआई अधिकारियों को हटाकर पूर्व नौकरशाह जीके पिल्लई को बोर्ड का कामकाज देखने के लिए नियुक्त किया जाए. बीसीसीआई ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान पिल्लई के नाम को खारिज कर दिया था. इसके बाद कोर्ट ने बोर्ड से ही 23 दिसंबर तक तीन ऐसे नाम सुझाने को कहा जो मौजूदा अधिकारियों की जगह कामकाज संभाल सकें. कोर्ट ने इनमें से एक के तौर पर पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ का नाम भी सुझाया.
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