नोटबंदी के बाद आप ने आयकर रिटर्न में संशोधन तो नहीं फ़ाइल किया ?

प्रतीकात्मक फोटो : साभार
नोटबंदी की घोषणा के बाद आयकर रिटर्न में संशोधन फ़ाइल करने वाले संकट में पड़ सकते हैं. यह संकट खास तौर से उन लोगों पर है, जिनकी आय, व्यय, लाभ आदि में पहले की तुलना में काफी अंतर पाया जाएगा. जाँच के दौरान गड़बड़ी पाए जाने पर ऐसे लोगों को दण्ड भुगतना होगा. जेल की सजा भी हो सकती है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने ऐसी पहल को आईटी रिटर्न में संशोधन के प्रावधान के दुरूपयोग माना है.

बोर्ड ने करदातओं को चेतावानी देते हुए कहा है कि जो लोग आय में संशोधन के लिये फार्म में भारी बदलाव करते हैं, उन्हें जांच और दंडनीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. बोर्ड ने आज कहा कि नोटबंदी की घोषणा के बाद कुछ करदाता मौजूदा वर्ष की अघोषित आय दिखाने के इरादे से आय में गड़बड़ी के लिये पूर्व आकलन वर्ष के फाइल किये गये रिटर्न में संशोधन के प्रावधान का दुरूपयोग कर सकते हैं.

बोर्ड ने एक बयान में कहा कि रिटर्न में संशोधन का प्रावधान मूल रिटर्न में कोई भूल-चूक या गलत जानकारी में सुधार के लिये किया गया है न कि पूर्व की अघोषित आय को दिखाने के लिये शुरू में घोषित आय में व्यापक रूप से बदलाव के लिये.

बयान के अनुसार अगर विभाग के नोटिस में पिछले साल के आईटीआर (आयकर रिटर्न) में आय की मात्रा, नकदी, लाभ आदि तथा खातों में किसी प्रकार की गड़बड़ी सामने आती है तो उसकी जांच की जाएगी ताकि सही आय का पता लगाया जा सके. ऐसे मामलों में कानून के प्रावधानों के अनुसार जुर्माना तथा अभियोजन चलाया जा सकता है. आयकर कानून की धारा 139 (5) के तहत संशोधित आईटीआर तभी भरा जा सकता है जब संबंधित व्यक्ति को कोई भूल-चूक या गलत बात का पता चलता है. सरकार को अंदेशा है कि 8 नंवबर 2016 के बाद से कुछ लोगों ने आईटीआर में मिली इस छूट का गलत इस्तेमाल किया है।

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