यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों में चुनाव तय, तारीखों का ऐलान बुधवार को !
अभी तक की तैयारियों के हिसाब से उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव पहले होगा और बाद में बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा. इसी तर्ज पर उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव के कार्यक्रम निर्धारित होंगे. इस लिहाज से माना जा रहा है कि आयोग जनवरी के अंत से मार्च के पहले सप्ताह तक पांचों राज्यों का चुनाव कार्यक्रम तय करेगा.
इसमें यूपी में सात चरणों और शेष राज्यों में एक चरण में चुनाव का आयोजन कराया जाएगा. केंद्र ने आयोग को आश्वस्त किया है कि सुरक्षा बलों की उपलब्धता में कोई परेशानी नहीं है.
इस बीच आयोग ने बोर्ड परीक्षाओं के मतदान की तिथियों में टकराव नहीं होने के मुद्दे पर चर्चा कर ली है. आयोग ने 255 राजनीतिक दलों को सूची से भी हटाया है और उनको मिलने वाले चंदे के दुरुपयोग के संबंध मे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को पड़ताल करने के लिए पत्र भी लिखा है.
चुनाव आयोग मतदान की तारीख का ऐलान करने के बाद अधिकतम 21 दिन राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए देता है. इसके बाद नामांकन प्रक्रिया और मतदान के संबंध में आयोग की ओर से एक अधिसूचना जारी की जाती है. राजनीतिक दलों के पास इस दौरान दो सप्ताह से ज्यादा समय नामांकन कराने के लिए होता है. इसके बाद मतदान निर्धारित चरणों में कराया जाता है.
आयोग की सबसे बड़ी चिंता इन राज्यों में बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन को लेकर थी जिस पर यह स्पष्ट हो गया है कि जनवरी से मार्च के पहले सप्ताह तक की अवधि में आयोग विस चुनाव करा सकता है. याद रहे कि पांच राज्यों में से गोवा, मणिपुर और पंजाब में विस का कार्यकाल 18 मार्च जबकि उत्तराखंड विस का कार्यकाल 26 मार्च को खत्म हो रहा है। यूपी विस का कार्यकाल 27 मई को समाप्त हो रहा है.
सुरक्षा बलों की तैनाती पर हो चुकी है चर्चा
गौरतलब है कि आयोग ने यूपी, उत्तराखंड और पंजाब में पिछले चुनावों में हुई घटनाओं की समीक्षा कर ली है। राज्यों में तैनात चुनाव अधिकारियों की रिपोर्ट पर भी विचार कर लिया है। साथ ही संख्या बल के हिसाब से सुरक्षा बलों की तैनाती पर भी चर्चा हो चुकी है।
इसमें यूपी में सात चरणों और शेष राज्यों में एक चरण में चुनाव का आयोजन कराया जाएगा. केंद्र ने आयोग को आश्वस्त किया है कि सुरक्षा बलों की उपलब्धता में कोई परेशानी नहीं है.
इस बीच आयोग ने बोर्ड परीक्षाओं के मतदान की तिथियों में टकराव नहीं होने के मुद्दे पर चर्चा कर ली है. आयोग ने 255 राजनीतिक दलों को सूची से भी हटाया है और उनको मिलने वाले चंदे के दुरुपयोग के संबंध मे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को पड़ताल करने के लिए पत्र भी लिखा है.
चुनाव आयोग मतदान की तारीख का ऐलान करने के बाद अधिकतम 21 दिन राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए देता है. इसके बाद नामांकन प्रक्रिया और मतदान के संबंध में आयोग की ओर से एक अधिसूचना जारी की जाती है. राजनीतिक दलों के पास इस दौरान दो सप्ताह से ज्यादा समय नामांकन कराने के लिए होता है. इसके बाद मतदान निर्धारित चरणों में कराया जाता है.
आयोग की सबसे बड़ी चिंता इन राज्यों में बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन को लेकर थी जिस पर यह स्पष्ट हो गया है कि जनवरी से मार्च के पहले सप्ताह तक की अवधि में आयोग विस चुनाव करा सकता है. याद रहे कि पांच राज्यों में से गोवा, मणिपुर और पंजाब में विस का कार्यकाल 18 मार्च जबकि उत्तराखंड विस का कार्यकाल 26 मार्च को खत्म हो रहा है। यूपी विस का कार्यकाल 27 मई को समाप्त हो रहा है.
सुरक्षा बलों की तैनाती पर हो चुकी है चर्चा
गौरतलब है कि आयोग ने यूपी, उत्तराखंड और पंजाब में पिछले चुनावों में हुई घटनाओं की समीक्षा कर ली है। राज्यों में तैनात चुनाव अधिकारियों की रिपोर्ट पर भी विचार कर लिया है। साथ ही संख्या बल के हिसाब से सुरक्षा बलों की तैनाती पर भी चर्चा हो चुकी है।
चुनाव आयोग ने 2012 विस चुनाव में यूपी में सबसे अधिक एक लाख 28 हजार 112 मतदान केंद्र स्थापित किए थे। जबकि पंजाब में 19 हजार 724, उत्तराखंड में 9744, गोवा में 1612 और मणिपुर में 2325 मतदान केंद्र थे। इस बार भी स्थिति समान ही रहेगी।
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