दुनिया के कुछ प्रमुख हैकर्स ग्रुप के बारे में जानना चाहेंगे
इन दिनों पूरी दुनिया में हैकर्स का शोर है. ये तकनीक के इतने महारथी हैं कि कभी भी, कहीं भी बैठकर किसी बड़े आदमी या संस्थान की वेबसाइट, ईमेल या कोई भी साइबर डाटा उड़ा सकते हैं. हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई ट्विटर अकाउंट हैक होने और कैशलेस होते अपने देश के लिए जानना बहुत जरुरी है कि ये कौन हैं ? देश को साइबर हमले से बचाने के प्रयास तो सरकार को करने हैं लेकिन हम अपनी रक्षा थोड़ी सी सावधानी से करने का प्रयास तो कर ही सकते हैं.
फ़िलहाल, मैं आप को दुनिया के 5 कुख्यात हैकर्स समूहों के बारे में कुछ जानकारी देने का प्रयास कर रहा हूँ, ताकि आप को भी इस खतरे का अंदाजा रहे.
आवर माइन (OurMine)
यह ग्रुप उस वक्त सुर्खियों में आया जब फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के सोशल मीडिया अकाउंट हैक हुए. ट्विटर के सीईओ जैक दोरजी का ट्विटर अकाउंट हैक हुआ तो भी इसी ग्रुप की ओर ऊँगली उठी थी. वैसे इस ग्रुप ने 2012 में लिंक्डइन के कुछ निष्क्रिय अकाउंट्स पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी और इसके जरिये तमाम सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैक करना शुरू किया. इस ग्रुप में तीन सदस्य बताए जाते हैं जो खुद को सिक्योटिरी ग्रुप के तौर पर पेश करते हैं. पिचाई का अकाउंट हैक करने के बाद इन्होंने एक संदेश छोड़ा था, 'हम महज आपकी सिक्योरिटी चेक कर रहे हैं, आप इसे अपग्रेड करने के लिए हमारी वेबसाइट पर जा सकते हैं. एक समय इस ग्रुप ने तो अपनी वेबसाइट पर प्रोफेशनल ऑडिटिंग सर्विस का ब्योरा भी डाला था. इसके मुताबिक बेसिक सिक्योरिटी ऑडिट का चार्ज एक हजार डॉलर और पूरी कंपनी की ऑडिट 5000 हजार डॉलर में करने की पेशकश की थी. अब ये निजी ईमेल सिक्योर करने के लिए 10 डॉलर की पेशकश भी कर रहे हैं.
सीरियन इलेक्ट्रॉनिक आर्मी (Syrian Electronic Army)
माना जाता है कि इस ग्रुप के लोग ईरान के हैं जो पश्चिमी देशों के राजनीतिक और न्यूज संस्थानों को हैक करने के लिए कुख्यात हैं. सीरिया संकट के बाद यह ग्रुप सुर्खियों में आया. इसने अल जजीरा, एसोसिएटेड प्रेस, वॉशिंगटन पोस्ट, बीबीसी न्यूज सहित तमाम समाचार संगठनों को निशाना बनाया है. एक बार इन्होंने एपी के ट्विटर अकाउंट से बराक ओबामा के घायल होने की फर्जी खबर पोस्ट कर दी. इस घटना के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में कुछ समय के लिए गिरावट आ गई थी. इन्होंने ओबामा के ऑफिशियल फेसबुक पेज को भी निशाना बनाया था. 2014 में इस ग्रुप ने लाइनक्स आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम भी बनाया था.
लुल्सेक (LulzSec)
इस ग्रुप का नाम ही काफी फनी लगता है. इस ग्रुप के लोगों ने 2011 में सोनी पिक्चर्स के डाटाबेस हैक कर लिए थे. उस वक्त यह ग्रुप सुर्खियों में आया था. हालांकि इनका पहला निशाना फॉक्स की वेबसाइट बनी थी, जहां इन्होंने वेबसाइट तो हैक किया ही, कंपनी के तमाम कर्मचारियों के लिंक्डइन अकाउंट से जुड़े पासवर्ड बदल दिए थे. लोग इन्हें हैकर्स से ज्यादा प्रैंकस्टर्स समझते थे. क्योंकि ये हैक की गई वेबसाइटों पर मजाकिया संदेश छोड़ जाते थे. इस ग्रुप में छह सदस्य बताए जाते हैं और ये सभी इंटरनेट फेड्स नाम के हैकिंग ग्रुप का हिस्सा रहे थे. जून 2011 में इस ग्रुप का एक सदस्य गिरफ्तार हुआ जिसकी मदद से पुलिस ने अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार कर लिया. इस ग्रुप के खत्म होने के ऐलान के बाद जुलाई 2011 में दूसरे ग्रुप का जन्म हुआ जिसमें पुराने ग्रुप के भी सदस्य थे. इस ग्रुप ने मीडिया मुगल के तौर पर मशहूर रुपर्ट मर्डोक के न्यूज कॉरपोरेशन को हैक किया.
कंप्यूटर केऑस क्लब (Computer Chaos Club or CCC)
यह जर्मनी का हैकिंग क्लब है. हैकरों के समुदाय में इसे सबसे पुराना और सम्मानित ग्रुप माना जाता है. इस ग्रुप का गठन 1981 में जर्मनी के हैम्बर्ग में हुआ था. यह ग्रुप इथिकल हैकिंग में विश्वास रखता है और एक आचार संहिता का पालन करता है. इसने जर्मनी के एक बैंक का सर्वर हैक किया और अपने अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए. इस घटना के बाद यह ग्रुप पहली बार सुर्खियों में आया था. हालांकि, अगले दिन ही इन्होंने मीडिया के सामने ये पैसे बैंक को लौटा दिए.
अज्ञात (Anonymous)
इसे अब तक का सबसे ज्यादा ऑर्गनाइज्ड हैकिंग ग्रुप माना जाता है. 2003 में सामने आए इस ग्रुप ने न सिर्फ कंप्यूटर स्क्रीन्स पर अपनी छाप छोड़ी बल्कि सड़कों पर भी उतरा. यह खुद को एक लिबरल ग्रुप होने का दावा करता है जो इंटरनेट की आजादी की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है. इस ग्रुप के लोग अपने मास्क के लिए मशहूर हैं. ये चाइल्ड पोर्नोग्राफी वाली वेबसाइटों को अक्सर निशाना बनाते रहे हैं. हाल में इन्होंने अपना फोकस आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की तरफ शिफ्ट किया है. इन्होंने आईएसआईएस से जुड़े ट्विटर अकाउंट्स और अन्य इंटरनेट गतिविधियों को अपना निशाना बनाया है. इन्होंने कई बार नस्लभेदी गुटों के खिलाफ भी अपना ऑपरेशन चलाया है. इन्होंने दुनिया के तमाम देशों में वहां की सरकारों के खिलाफ आवाज बुलंद करने में जनता की मदद भी की है. इनमें अरब क्रांति के दौरान ऑपरेशन ट्यूनीशिया, थाईलैंड जेल हैक और दक्षिण अफ्रीका में भष्टाचार को एक्सपोज करने के मामले शामिल हैं.
इनके अलावा कुछ और भी कुख्यात हैकिंग ग्रुप हैं. जैसे ईरान का एजेक्स, ड्रैगनफ्लाई और अमेरिका का टेलर्ड एसोसिएटेड ऑपरेशंस आदि.
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