डीजल-पेट्रोल का दाम न बढ़ाने की वजह यह नहीं, ये रही असल कहानी
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| प्रतीकात्मक फोटो : साभार |
तेल कंपनियों ने भले डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का फैसला टाल दिया हो लेकिन इस पर बहुत खुश होने की जरूरत नहीं है. कीमतें बढ़नी तय है, बस दिन का फर्क हो सकता है. नोटबंदी से सरकार पहले ही जूझ रही है. संसद महीने भर से चल नहीं पाई. आज आखिरी दिन भी है. ऐसे में रुपये के मजबूत होने के बहाने कंपनियों ने यह फैसला भले टाल दिया हो लेकिन असली वजह वह नहीं, जो अधिकारी बता रहे हैं.
पेट्रोल के दाम में 2.26 रुपये और डीजल के दाम में 1.78 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ाने की योजना थी। इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) हर महीने की पहली और 16 तारीख को पिछले पखवाडे़ में अंतरराष्ट्रीय बाजार में औसत कीमत के आधार पर दरों में संशोधन करती हैं. पर, इस बार नहीं किया. बल्कि यह पुख्ता सूचना जरुर जारी कर दी कि कीमतों में वृद्धि नहीं की जाएगी.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हालांकि गैसोलीन (पेट्रोल) की कीमत 57.43 डॉलर से बढ़कर 62.82 डॉलर प्रति बैरल हो गई है वहीं डीजल की कीमत 56.79 डॉलर से बढ़कर 60.97 डॉलर प्रति बैरल हो गई है. इसके चलते घरेलू बाजार में पेट्रोलियम पदर्थों की कीमतों में वृद्धि होनी चाहिए थी. अधिकारियों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत में वृद्धि के बाद रुपये के डॉलर के मुकाबले मजबूत होकर 68.23 रुपये से 68.05 पर आने से थोड़ी राहत मिली है. इसलिए यह फैसला लिया गया है.
असल वजह यह है कि सरकार इस समय कोई भी नया पंगा नहीं लेना चाहती. अगर यह बढ़ोत्तरी होती तो फिर से बवाल तय था. जानकार बता रहे हैं कि यह फैसला सरकार के इशारे पर टाला गया है. हालाँकि, इसे कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं है.

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