नोटबंदी के शोर में भी भाजपा ने फिर जीता चंडीगढ़, जानिए पूरा ब्यौरा
नोटबंदी के शोर के बीच भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी खबर चंडीगढ़ से आ रही है. वहां निकाय चुनावों में भाजपा-अकाली गठबंधन ने भारी जीत दर्ज की है. यह बात तब और महत्वपूर्ण है जब पंजाब में विधान सभा चुनाव भी होने वाले हैं. यह खबर कांग्रेस के लिए बुरी और भाजपा के ख़ुशी देने वाली हो सकती है.
भाजपा-अकाली गठबंधन को 26 सीटों में से 21 पर विजय मिली है. इनमें से 20 सीटें बीजेपी ने, जबकि 1 सीट अकाली ने जीती है. उधर, कांग्रेस के हिस्से सिर्फ 4 सीटें आई हैं, जबकि निर्दलीय ने 1 सीट जीती है. इस जीत पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चंडीगढ़ के लोगों को शुक्रिया कहा। अमित शाह बोले कि 8 नवंबर के बाद हुए चुनावों के नतीजे बताते हैं कि नोटबंदी को जनता ने स्वीकार किया है.
दूसरी तरफ पार्टी में भी जश्न का माहौल है. जाहिर है कि बीजेपी इन नतीजों को इस बात से ही जोड़ेगी कि तमाम तकलीफों को झेलने के बाद भी लोग मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के साथ खड़े हैं.
अभी तक चंडीगढ़ नगर निगम पर भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा था, मेयर भी बीजेपी का ही था. ऐसे में पार्टी को आशंका थी कि कहीं नोटबंदी से हो रही तकलीफ लोगों को नाराज न कर दे. कांग्रेस इन हालात में अपने लिए बढ़िया मौका देख रही थी, पर उसे फ़िलहाल निराश होना पड़ा.
यही वजह थी कि दोनों ही मुख्य दलों ने पूरी ताकत के साथ प्रचार किया था. कांग्रेस ने जहां लोगों को नोटबंदी से हो रही दिक्कतों को मुद्दा बनाया, वहीं बीजेपी नेताओं ने इसके फायदे गिनाए थे. बीजेपी ने किरण खेर और अनुराग ठाकुर जैसे बड़े चेहरों को यहां प्रचार में उतारा. वहीं कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता पवन बंसल को पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी थी.
भाजपा सांसद किरण खेर ने इस जीत का श्रेय पीएम मोदी की योजनाओं को दिया है. उन्होंने कहा, 'हम इस जनादेश के लिए लोगों को धन्यवाद देते हैं. हमने मोदी जी की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू किया और नतीजों में यह दिख रहा है'
चंडीगढ़ शहर में पढ़े लिखे मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में इन नतीजों से बीजेपी यह निष्कर्ष निकाल सकती है कि शहर के लोगों तक सरकार नोटबंदी को लेकर अपनी बात सफलतापूर्वक पहुंचाने में कामयाब रही है.
18 दिसंबर को यहां के 5 लाख मतदाताओं में से 3 लाख ने 26 वार्डों में 122 उम्मीदवारों में से 26 पार्षद चुनने के लिए मतदान किया था. इसके पहले गुजरात और महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में भी बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा था.
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