मुझे तो फिल्म दंगल पसंद आई, आप भी देख आओ, पूरा पैसा वसूल होने की गारंटी

फिल्म का पोस्टर: साभार


खेल पर बहुत सारी फिल्में बनी हैं लेकिन ‘दंगल’ फिल्म मुझे सबसे अलग लगी. इसे ज्यादा फिल्मी न बनाते हुए डायरेक्टर नितेश तिवारी ने इस तरह परदे पर उकेरा है कि हर सीन, हर एक्सप्रेशन, हर डायलॉग सब रियलिस्टिक लगते हैं. फिल्मी मसाला ना होते हुए भी 2.50 घंटे की यह फिल्म आपको बोर कतई नहीं होने देगी. फिल्म के हर सिचुएशन के साथ आप खुद को जोड़ पाएंगे. फिल्म में कॉमिक टाइमिंग इतनी सटीक है कि आप को हंसी भी आएगी और रोना भी.

कहानी

‘दंगल’ हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगट के जीवन पर आधारित फिल्म है. एक बेटे के इंतजार में महावीर सिंह फोगट की चार बेटियां पैदा हो जाती हैं. महावीर सिंह को बेटा चाहिए क्योंकि वो अपना सपना अपने बेटे से साकार करना चाहता है. लेकिन सारे टोटके आजमा चुके फोगाट को उस समय जिंदगी में ‘किक’ मिलती है जब उसकी बेटियां अपने दांव-पेच से एक लड़के को पीट देती हैं. इसके बाद ही महावीर सिंह अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती के गुर सिखाकर उन्हें रेसलिंग का चैंपियन बनाता है.

लेकिन इस बीच किन उतार-चढ़ाव से उसे गुजरना पड़ता है और कितनी जलालत झेलनी पड़ती है, ये भी दिखाया गया है इस फिल्म में. जैसा कि एक डायलॉग आपने ट्रेलर में देखा होगा कि ‘मेडलिस्ट पेड़ पर नहीं उगते, उन्हें बनाना पड़ता है प्यार से, मेहनत से, लगन से….’. इस फिल्म की ये एक लाइन अपने आप में सारे दर्द बयां कर जाती है. बाप-बेटी के रिश्ते पर बनी ये फिल्म उनके प्यार, तकरार और फटकार तक सब कुछ दिखाती है.

जब थम गईं सांसें

फिल्म में रेसलिंग के कुछ ऐसे सीन हैं, शॉट्स हैं, जिन्हें देखते समय आप अपनी सांसे रोक लेते हैं. फिल्म के एक सीन में दिखाया गया है कि महावीर सिंह फोगट और उनकी बेटी गीता के बीच अहं आ जाता है और दोनों कुश्ती लड़ते हैं. ये सीन बहुत ही इमोशनल और आंखों में आंसू ला देने वाला है. ऐसे ही फिल्म में रेसलिंग के कई सीन हैं जो दर्शक दिल थाम कर देखने को मजूबर हो जाता है. ये डायरेक्टर की चतुराई ही है कि फिल्म में रेसलिंग की कुछ बारीक बातें ऐसे बता दी गई है जिससे दर्शकों को भी समझने में परेशानी ना हो. जैसे कि रेसलिंग में कब कितने पॉइंट्स मिलते हैं. फिल्म में बारीक चीजों पर भी मेहनत की गई है ताकि सीन परफेक्ट बनाया जा सके.

दमदार किरदार और दमदार अभिनय

इस फिल्म में अपनी मंझी हुई और बेहतरीन एक्टिंग से आमिर खान ने ये साबित कर दिया है कि उन्हें मिस्टर परफेक्शनिस्ट यूं ही नहीं कहा जाता. इस भूमिका को जीवंत करने के लिए आमिर खान ने महावीर सिंह की जिंदगी को जिया है. उनकी तरह अधेड़ दिखने के लिए आमिर ने अपना वजन बढ़ाया है, उनकी तोंद निकली हुई है. उनकी चाल, ढाल और बोली सब ऐसे बदल गई है जिसे देखकर आप भूल जाएंगे कि आप एक सुपरस्टार को देख रहे हैं.

गीता-बबीता ने भर दी है जान

इस फिल्म में गीता और बबीता के बचपन का रोल जायरा वसीम और सुहानी भटनागर ने किया है तो वहीं बड़े होने के बाद की भूमिका फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा ने किया है. यहां अगर ज़ायरा की बात ना करें तो बेमानी होगी. ज़ायरा ने गीता को भूमिका को मजबूती दी है तो फातिमा ने उसे दमदार बना दिया है. ज़ायरा अपने रौबदार एडिट्यूड से गीता की भूमिका को और भी धाकड़ बना देती हैं.

इस फिल्म में सिर्फ आमिर खान परफेक्ट नहीं बल्कि उन्हीं की तरह इन चारों छोरियों ने भी अपना परफेक्शन दिखलाया है. इस रोल के लिए इन्होंने कई महीनों तक ट्रेनिंग ली है और वो मेहनत पर्दे पर साफ झलकती है.
इस फिल्म में सांक्षी तवर ने पास जितना कुछ भी है उन्होंने अच्छा किया है. इसमें महावीर सिंह फोगट के भतीजे की भूमिका में अपार शक्ति खुराना ने जान भर दी है.


प्रीतम का म्यूजिक
इस फिल्म में प्रीतम ने म्यूजिक दिया है और अमिताभ भट्टाचार्य ने गानों के बोल लिखे हैं. सभी गाने बहुत ही शानदार हैं. ‘हानिकारक बापू’, ‘धाकड़’ और ‘गिल्हेरियां’ पहले ही पॉपुलर हो चुके हैं. अरिजित सिंह की आवाज में एक गाना है ‘नैना’ जो रूला जाता है.

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