ये तो बच्चों वाली जिद है ठाकरे साहब, आप तो बड़े हैं !
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मुम्बई में प्रधानमंत्री, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख : फ़ाइल फोटो साभार |
पहले पीएम के बगल में बैठने की जिद, फिर मनाने, रूठने की कवायद, मांग पूरी होने की सूचना और फिर भी मांग अधूरी. सब कुछ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के कारण. पीएम के दौरे के समय उद्धव ने बगल वाली सीट की मांग की. पहले सरकार सहमत नहीं हुई, फिर जिद के आगे झुकी. उद्धव तैयार हुए. कार्यक्रम में भी पहुंचे, पर उन्हें तय जगह नहीं मिली. अब देखना होगा कि इसका आगे क्या असर होता है. वैसे, मेरी व्यक्तिगत राय में इस तरह की जिद का ही कोई मतलब नहीं है. और जब बात उद्धव ठाकरे जैसे लोगों की हो, तब तो कतई नहीं. इससे नाम कम, बदनामी ज्यादा हुई.
वैसे अभी आप तो भाजपा के सहयोगी दल हैं. समान विचारधारा है आप दोनों की. पीएम मुंबई में थे. निमंत्रण मिला था तो जाना भी चाहिए था. आखिर हम मेहमाननवाजी के लिए जाने भी जाते हैं. फिर भी आप ने विधान सभा में इस तरह का मामला उठवा दिया. जिद पकड़कर बैठ गए. आप जैसी हस्ती को यह सब शोभा नहीं देता ठाकरे साहब.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ठाकरे की जिद के बाद राज्य सरकार के दो मंत्रियों विनोद तावड़े और चंद्रकांत पाटिल ने बुधवार को उद्धव ठाकरे के घर जाकर उन्हें शनिवार को प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शरीक होने का आधिकारिक निमंत्रण दिया.
बाद में चंद्रकांत पाटिल ने मीडिया कर्मियों को बताया कि शनिवार को मुंबई में शिवाजी मेमोरियल और कई इंफ्रा प्रोजेक्टों के भूमिपूजन कार्यक्रम होंगे. इन कार्यक्रमों में शरीक होने का न्यौता उन्हें दिया गया है. शिवसेना पार्टी प्रमुख ने इस निमंत्रण को स्वीकार किया है.
शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की यह जिद थी कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों में उन्हें स्टेज पर नरेंद्र मोदी के बगल वाली सीट दी जाए. अपनी मांग को आवाज दिलाने के लिए शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के जरिए महाराष्ट्र विधानमंडल में भी रखा गया था. इन बातों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने खुद उद्धव ठाकरे को प्रधानमंत्री दौरे में शामिल होने का निमंत्रण दिया. लेकिन मुख्यमंत्री से फोन पर मिले निमंत्रण के बावजूद उद्धव का सरकार विरोधी रुख बना हुआ था.
मंगलवार को मीडिया से बातचीत में ठाकरे ने यहां तक ऐलान किया था कि प्रधानमंत्री के दौरे के बजाए उन्हें शहापुर के किसानों का आंदोलन जरूरी लगता है. राज्य के एक नए हाईवे के लिए जारी भूमिअधिग्रहण का यहां किसान विरोध कर रहे हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे को मनाने के लिए राज्य के दो मंत्री उनके घर भेजे गए.
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