कूड़ा खुले में फेंका तो जुर्माना : आदेश बढ़िया, पर पहले निकायों पर फाइन करो जज साहब

शहरी इलाकों यह सीन आम : प्रतीकात्मक फोटो साभार 

सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा फेंकने पर 10 हजार रुपये जुर्माने का एनजीटी का आदेश बहुत बढ़िया है. पर, जुर्माना वसूलने की जिम्मेदारी जिन निकायों के कन्धों पर है, वे तो खुद ही कहीं भी कूड़ा फेंक देते हैं. मैं लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में रहता हूँ. दर्जनों अपार्टमेंट के बीच खाली प्लाटों पर ट्रकों कूड़ा पड़ा हुआ है. कोई न तो यह पूछने वाला है कि इसे यहाँ किसने डाला और न ही यह कि अगर पड़ गया है तो इसे साफ कर दोबारा यहाँ कूड़ा न डालने की चेतावनी देने वाला. निश्चित यह काम निकायों का है.

एक पत्रकार के रूप में मैं लखनऊ, इलाहाबाद, आगरा, देहरादून, कानपुर, गोरखपुर जैसे शहरों में रह चुका हूँ, हर जगह / हर शहर कूड़ा फेंकने की जगह तय नहीं थी. घूमने-टहलने के दौरान भी देश के कई हिस्सों में कचरा प्रबंधन कमजोर ही देखा. निकायों के अधिकारी-कर्मचारी इस कूड़े के सहारे लाखो-करोड़ों का वारा-न्यारा अलग से करते हैं. किसी भी शहर में खुलेआम सड़क पर कूड़ा फेंकना आम बात है. ऐसे में एनजीटी का यह आदेश लागू हुआ तो निकाय कर्मियों को वसूली का एक और जरिया मिल जाएगा. सबसे पहले इन निकायों को सख्ती से कहे जाने की जरूरत है कि वे अपने पार्ट का काम ठीक से करें. कूड़ा फेंकने का इंतजाम करें. 
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अपने ताजे आदेश में कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर कचरा फेंकने वालों पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाए. एनजीटी के मुताबिक शहरी ठोस कचरा (एमएसडब्ल्यू) देश को गंभीर रूप से प्रदूषित करता है, खासतौर पर इससे दिल्ली प्रभावित है, पर मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि केवल दिल्ली नहीं, देश के बाकी बड़े शहरों का हाल भी बुरा है. 
एनजीटी ने कहा कि सभी प्राधिकार वैधानिक दायित्व के तहत कूड़ा एकत्र कराना सुनिश्चित करें. ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के मुताबिक कूड़ा लाया जाए और उसका निपटारा किया जाए, ताकि जनता के स्वास्थ्य पर इसका दुष्प्रभाव न पड़े. जस्टिस स्वतन्त्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शहरी ठोस कचरा निकालने वाले मुख्य स्रोत होटल, रेस्तरां, बूचड़खाने, सब्जी मंडी इत्यादि हैं. इन सभी को निगम निर्देश दे कि नियमों के तहत वे कचरे को एकत्र करें और उसके सुपुर्द करें.

अगर कोई इसका अनुपालन नहीं करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाए. एनजीटी ने कहा कि कोई भी निकाय, व्यक्ति, होटल, निवासी, बूचड़खाना, सब्जी मंडी आदि इन आदेशों का पालन नहीं करते हैं और कूड़े को नालियों या सार्वजनिक स्थानों पर फेंकते हैं तो उसे पर्यावरणीय मुआवजा भरना होगा. यह राशि प्रति मामले में 10,000 रुपये होगी.

पीठ ने यह भी दर्ज किया कि दिल्ली में 9,600 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदिन निकलता है और इसके निपटारे के लिए निकायों के पास स्पष्ट रूपरेखा नहीं है. एनजीटी ने निगमों के सभी आयुक्तों को एक माह में उन स्थानों का आंकड़ा देने को कहा है, जहां से कूड़ा पैदा होता है.

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