हरियाणा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री को प्लाट आवंटन में लपेटा, यहाँ जानिए पूरा मामला

प्लाट आवंटन में सीबीआई जाँच का सामना करेंगे पूर्व मुख्मंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा फोटो: साभार 

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मौजूदा भाजपा सरकार ने घेराबंदी तेज कर दी है. हुड्डा पहले ही रसूखदारों व चहेतों को पंचकूला में बेशकमती इंडस्ट्रीय प्लॉट तथा मानेसर में कथित जमीन घोटाले को लेकर मुश्किलों में हैं. ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट अलग से सरकार के पास आ चुकी है. हुड्डा ने इस आयोग के गठन को हाईकोर्ट में चुनौती दी हुई है, जिसपर सुनवाई चल रही है. ताजी घेराबंदी नेशनल हेराल्ड से जुड़ी कंपनी एजेएल को लेकर हुई है. इसे जमीन देने के मामले की सीबीआई जाँच की सिफारिश की गई है.

एजेएल कंपनी को पंचकूला के सेक्टर छह में 3360 स्कवॉयर फीट आकार का प्लॉट का मामला 2005 में आवंटित हुआ था. उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे. हूडा के रेकॉर्ड के मुताबिक, जिस समय इस प्लॉट को आवंटन किया गया था, उस समय इसकी कीमत करीब 59.3 लाख रुपए आंकी गई थी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने साल 2005 में मुख्यमंत्री पद संभालने के 6 महीने के भीतर नैशनल हेराल्ड चलाने वाली कंपनी एजेएल को यह प्लॉट दे दिया था. इससे पहले भी यही प्लॉट कंपनी को अलॉट था, लेकिन इस पर कोई निर्माण नहीं हुआ था, इस कारण इसे हूडा ने इसे रिज्यूम कर लिया था. पूरे मामले में यह बात सामने आई थी कि उक्त प्लॉट को दोबारा अलॉट करने के लिए इसका विज्ञापन होना चाहिए था, लेकिन साल 2005 में ऐसी कोई प्रक्रिया अपनाए बिना ही उक्त प्लॉट दिल्ली की मैसर्स असोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को अलॉट कर दिया गया.

जानकार इसे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की घेराबंदी के रूप में देख रहे हैं. सरकार इस मामले को लेकर लंबे समय तक उलझन में फंसी रही कि इसे सीबीआई को सौंपा जाए या नहीं, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने शुक्रवार को पत्रकारों के सवालों के दौरान मामले को सीबीआई को सौंप दिए जाने की पुष्टि कर दी. सुर्खियों में आए इस मामले पर बीजेपी सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी और इसी कारण मामले पर काफी दिनों पहले विजिलेंस जांच पूरी होने के बाद भी इस पर कोई कदम आगे नहीं बढ़ रहा था. दरअसल, इस मामले में कुछ समय एक पेंच फंस जाने के कारण सरकार के कदम बीच में रुक गए थे. मामले से जुड़े तीन अफसरों ने खुद को निर्दोष बताते हुए लिखित प्रतिवेदन तक दे दिए थे.

इससे पहले सरकार ने एक बार मामले को सीबीआई को सौंपने का मन बना लिया था और कोई भी कदम उठाने से पहले विजिलेंस से रिपोर्ट मांग ली थी. इस मामले की जांच कर विजिलेंस ने हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) के पूर्व चेयरमैन चीफ एडमिनिस्ट्रेटर, एडमिनिस्ट्रेटर (पंचकूला जोन), योजना विभाग के फाइनेंस कमिश्नर और दिल्ली की मैसर्ज एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) पर केस दर्ज किया था. उस दौरान मुख्यमंत्री होने के नाते हूडा के मुख्य प्रशासक खुद भूपेंद्र सिंह हुड्डा था. इस मामले के आरोपियों में चार आईएएस भी शामिल हैं.

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