गाड़ी की टंकी फुल करवा लें, आज बढ़ सकते हैं डीजल-पेट्रोल के दाम, पूरा कारण भी जानें

प्रतीकात्मक फोटो : साभार

अगर आप के गाड़ी की टंकी खाली है तो डीजल-पेट्रोल भरवा लीजिए. गुरुवार रात से इनकी कीमतों में उछाल आने की पूरी संभावना है. यह स्थिति क्रूड आयल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक की ओर से उत्पादन कम करने के फैसले की वजह से पैदा हुई है. 
उत्पादन कम होने की स्थिति में क्रूड कीमतों में 15 फ़ीसदी तक उछाल आ गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि डीजल-पेट्रोल में तेजी का दौर अगले छह महीने तक चल सकता है. तेल कम्पनियाँ हर पखवारे कीमतों की समीक्षा करती हैं. आज भी वे ऐसा करने जा रही हैं. नोटबंदी की मार झेल रहे देश के नागरिकों को डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी की चपत लग सकती है. बताया जा रहा है कि यह बढ़ोत्तरी तीन-चार रुपए प्रति लीटर तक हो सकती है. 

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में दो हफ्तों से 15 फीसदी का उछाल आया है. तेल कंपनियों का कहना है कि इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अचानक इजाफा होने की वजह से यहां भी फ्यूल की कीमतें महंगी करनी पड़ेगी. 

क्या है पूरा मसला 
पिछले 2 साल से रूस, सऊदी अरब और अन्य क्रूड उत्पादक देश लगातार अपना उत्पादन बढ़ा रहे थे, इसीलिए कीमतों में गिरावट आई थी, लेकिन इन देशों ने अब आपस में समझौता कर लिया है. ये सभी देश क्रूड के जरिये ज्यादा से ज्यादा कमाई कर अपनी इकोनॉमी को अन्य चीजों पर शिफ्ट करना चाहते हैं ताकि उनकी क्रूड पर निर्भरता कम हो सके.
नए साल की पहली तिमाही में भी बढ़ेंगे रेट
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जनवरी-मार्च तिमाही में पेट्रोल और डीजल के दाम 5 से 8 फीसदी तक बढ़ सकते हैं. उल्लेख जरुरी है कि 1 दिसंबर को देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में 13 पैसे की बढ़ोतरी और डीजल में 12 पैसे की कटौती की थी. क्रिसिल ने कहा है ओपेक के फैसले की वजह से मार्च, 2017 तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 50-55 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच जाएगी.
30-40 दिन पहले होती है बुकिंग
इंडियन ऑयल जैसी सरकारी कंपनियां 30-40 दिन एडवांस में क्रूड की बुकिंग करती हैं. इसलिए दिसंबर में दाम बढ़ने का इन पर असर नहीं होगा, लेकिन जनवरी-मार्च में उन्हें ज्यादा कीमत पर क्रूड खरीदना पड़ेगा.

अमेरिका से मिल सकती है राहत
जानकर बताते हैं कि कच्चे तेल का भाव 50 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाते ही अमेरिका के ढेरों तेल उत्पादकों के लिए एक बार फिर यह बिजनेस फायदेमंद हो जाएगा. ऐसे में वहां उत्पादन बढ़ेगा. नतीजतन, अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों पर लगाम लगेगी.

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