आतंकवाद और चरमपंथ के खात्मे को ठोस कदम उठाएगी ट्रंप सरकार, भरोसा न हो तो पढ़ लें


अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले अगले साल सत्ता संभालेंगे, लेकिन टीम चयन को लेकर उनकी पसंद देख उनके इरादों का पता साफ-साफ चलता है. तय है कि वे आतंकवाद, चरमपंथ जैसे मुद्दों पर मौन नहीं रहेंगे. उनके निशाने पर वह देश हर हाल में होंगे, जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं. भारत के पड़ोसी पाकिस्तान को तो खास तौर से संभलने की जरूरत है. क्योंकि उसकी तो पहचान ही आतंकवाद के पोषक देश की है.
अभी तक अपनी टीम के जिन सदस्यों को ट्रंप ने चुना है, उन सबके इरादे आतंकवाद और उनका समर्थन करने वालों को लेकर खतरनाक रहे हैं. ये सभी कभी न कभी, किन्हीं न किन्हीं कारणों से आतंकवाद और मुसलमानों को लेकर मुखर रहे हैं. हालाँकि, सीनेट की मुहर के बाद ही इन सबकी नियुक्ति मान्य होगी लेकिन माना जा रहा है कि ट्रंप ने सोच-समझकर ही अपनी टीम चुनी होगी. मायने, उन्हें अपने चयन अपर सीनेट की मजूरी का पूरा भरोसा है. आइए देखते हैं कौन-कौन हस्तियाँ अब तक उनकी लिस्ट में शामिल हो चुकी हैं..और उनकी उपलब्धियां क्या-क्या रही हैं ?

जेफ़ सेशंस: अलबामा से सीनेटर सेशंस को ट्रंप ने अटार्नी जनरल के लिए चुना है. जेफ़ को उनके मुस्लिम विरोधी विचारों के लिए ही जाना जाता है. जेफ़ ने पुरे देश के पुस्तकालय में मौजूद ऐसी किताबों के खर्च पर सवाल उठाया था, जो इस्लाम के बारे में जानकारी देती हैं. चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ दिए ट्रंप के बयानों का समर्थन भी किया था.

माइक पाम्पियो: सेन्ट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी का प्रमुख चुना गया है इन्हें. माइक पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप अक्सर लगते रहे हैं. 2013 में बोस्टन बम धमाकों के बाद माइक ने मुस्लिम नेताओं को निशाने पर रखते हुए कांग्रेस में एक भाषण में कहा था बम धमाकों के दो महीने बीतने के बाद भी मुस्लिम नेताओं ने चुप्पी सधी हुई है. उन्होंने मुस्लिम नेताओं पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था.

जनरल जेम्स मैटिस: मैटिस रक्षा मंत्री के रूप में चुने गए हैं. इनका विवादों से पुराना रिश्ता रहा है. मैटिस ने एक बार कहा था कि तालिबानी लड़ाकों को गोली से उड़ाने में मजा आता है.

स्टीव बैनन: ब्रेबर्ट न्यूज़ के चेयरमैन बैनन को ट्रंप ने अपना मुख्य रणनीतिकार चुना है. स्टीव ट्रंप के चुनावी अभियान के मुख्य कार्यकारी भी थे. इन्हें भी मुसलमान विरोधी माना जाता है. स्टीव का मानना है कि मुस्लिम युवाओं से सहानुभूति का मतलब आतंकवाद और चरमपंथ के साथ सहानुभूति रखना है. स्टीव महिलाओं को लेकर भी विवादित बयान देने के लिए जाने जाते हैं.

माइकल प्लिन: रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल प्लिन को ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुना है. पाकिस्तान के प्रति उनके सख्त रवैये की वजह से भी उनकी खास पहचान है. हालिया प्रकाशित अपनी किताब में प्लिन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद रोकने की बात की है. इसी साल उन्होंने लिखा था-"कट्टरपंथी इस्लाम ने अमेरिका के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है और अब भी हम इसे अपना दुश्मन नहीं बता सकते."

केटी मैकफरलैंड: फॉक्स न्यूज़ एनालिस्टकेटी को ट्रंप कैबिनेट में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर शामिल किया गया है. माना जाता है कि केटी ने इरान के खिलाफ युद्ध का समर्थन किया था. केटी ने रुसी राष्ट्रपति ब्लादिर पुतिन को नोबेल पुरस्कार दिए जाने का भी समर्थन किया था.

राइंस प्रीबस: ये ट्रंप के चीफ ऑफ स्टाफ होंगे. प्रीबस ने पिछले महीने कहा था कि ट्रंप आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कुछ मुस्लिम देशों के नागरिकों को अमेरिका में नहीं आने देंगे. एक साक्षात्कार में कहा था कि सभी मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है लेकिन कट्टरपंथ से निपटने की जरूरत है.

कैथरिन गोरका: मुस्लिम विरोधी एक्टिविस्ट के तौर पर इनकी पहचान है. इन्हें डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्युरिटी की टीम में शामिल किया गया है. यह एक मिशन है, जिसके तहत अमेरिकियों की अलग-अलग खतरों से सुरक्षा की जाती है. इस्लाम को शांतिप्रिय धर्म न मानने वाले बयान से कैथरिन चर्चा में आई थीं. वह मुस्लिम विरोधी कैम्पेनर्स के बीच काफी मशहूर हैं.

रेक्स टिलरसन: कारपोरेट से आने वाले रेक्स विदेश मंत्री के रूप में मनोनीत किये गए हैं. वे रूस से अपनी नजदीकियों के नाते चर्चा में थे. 2013 में पुतिन ने इन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा था. सीआइए ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि ट्रंप की जीत में रूस का हाथ है. ऐसे समय में यह नियुक्ति ट्रंप को संकट में डाल सकती है.


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