इस संसद सदस्य को मेरा सैल्यूट, कारण आप जानना चाहेंगे?
![]() |
बीजद सांसद पांडा : फ़ाइल फोटो साभार |
बीजू जनता दल के सांसद बैजयंत जय पांडा ने साबित किया है कि राजनीति में अभी भी अच्छे लोग बचे हैं. वे केवल शांति से अपना काम करने में विश्वास करते हैं. जानता की सेवा करते हुए बिना किसी चकाचौंध का जीवन जीतव हैं. ऐसे सांसद को सम्मानित किया जाना चाहिए.
यह एक ऐसे संसद सदस्य हैं, जो संसद न चलने पर अपनी सैलरी और दैनिक भत्ता लौटा देते हैं. यह काम वे लम्बे समय से कर रहे हैं और कतई कोई चर्चा कहीं नहीं हो रही. शीतकालीन सत्र में भी उन्होंने यही किया.
रविवार को पांडा ने कहा, '' पार्लियामेंट में जितने दिन काम नहीं होता मैं उतने दिन की सैलरी और अलाउंस लौटा देता हूं।''
पांडा ने कहा-संसद में बेहतर तरीके से काम हो, इसके लिए मैं नियमों में बदलाव को सपोर्ट करता हूं. ये बड़ा उद्देश्य है, फिलहाल सैलरी लौटाकर कम वक्त में जितना बन सकता है, करता हूं. यह पूछने पर कि क्या दूसरे सांसदों को भी ऐसा करना चाहिए? पंडा ने कहा- मैं दूसरों को ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. हर सांसद को खुद फैसला लेना चाहिए. हालांकि, लोकसभा में हंगामे के लिए ज्यादा सांसद जिम्मेदार नहीं होते. मेरा फैसला व्यक्तिगत है, हर किसी पर लागू नहीं हो सकता है.
सोशलें मीडिया पर पांडा के इस कदम की तारीफ़ हो रही है. केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने बीजेडी सांसद के सपोर्ट में कहा-सांसद ने सकारात्मक कदम उठाया है. इससे जनता को थोड़ी शांति मिलेगी, जो विंटर सेशन के ऐसे खत्म होने से आहत है. राजनेताओं को पब्लिक के बीच बन रही अपनी इमेज के बारे में सोचना होगा. ऑल पार्टी मीटिंग बुलाकर सेशन के हंगामे की भेंट चढ़ने लिए सैलरी लौटाने पर चर्चा करनी चाहिए.
पांडा ने पिछले साल लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर संसद की कैंटीन में खाने पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था, ''सरकार ने जनता से एलपीजी सिलिंडरों पर सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, वैसे ही सांसदों को भी कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी को खुद ही छोड़ देना चाहिए, ताकि गरीबों को इसका फायदा मिल सके. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, संसद भवन परिसर में चल रहीं आधा दर्जन कैंटीन में 2013-14 में करीब 14 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई. उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि एक दिन संसद चलने का खर्च नौ करोड़ रुपये है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.
सोशलें मीडिया पर पांडा के इस कदम की तारीफ़ हो रही है. केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने बीजेडी सांसद के सपोर्ट में कहा-सांसद ने सकारात्मक कदम उठाया है. इससे जनता को थोड़ी शांति मिलेगी, जो विंटर सेशन के ऐसे खत्म होने से आहत है. राजनेताओं को पब्लिक के बीच बन रही अपनी इमेज के बारे में सोचना होगा. ऑल पार्टी मीटिंग बुलाकर सेशन के हंगामे की भेंट चढ़ने लिए सैलरी लौटाने पर चर्चा करनी चाहिए.
पांडा ने पिछले साल लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर संसद की कैंटीन में खाने पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था, ''सरकार ने जनता से एलपीजी सिलिंडरों पर सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, वैसे ही सांसदों को भी कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी को खुद ही छोड़ देना चाहिए, ताकि गरीबों को इसका फायदा मिल सके. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, संसद भवन परिसर में चल रहीं आधा दर्जन कैंटीन में 2013-14 में करीब 14 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई. उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि एक दिन संसद चलने का खर्च नौ करोड़ रुपये है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.
Comments
Post a Comment