मध्य प्रदेश की राजनीति के चमकते सितारे पटवा नहीं रहे, जानें उनके बारे में


नहीं रहे सुन्दर लाल पटवा : फ़ाइल फोटो

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा (92) हमारे बीच नहीं रहे. 18 वर्ष की उम्र में ही आरएसएस से जुड़े पटवा के निधन पर राज्य सरकार ने तीन दिन राजकीय शोक का ऐलान किया है. वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. उनके योगदान को देश एवं प्रदेश भूल नहीं सकता.
पटवा का निधन बुधवार सुबह अस्पताल में हुआ. वे लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें शहर के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर मिलते ही सीएम शिवराज सिंह चौहान हॉस्पिटल पहुंचे.

11 नवंबर 1924 को जन्मे पटवा दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को भोपाल स्थित बीजेपी ऑफिस में शाम 4 बजे रखा जाएगा. देर शाम उनके पार्थिव शरीर को नीमच भेजा जाएगा, जहां गुरुवार दोपहर 2 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनके निधन पर मध्य प्रदेश में 3 दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है.

पटवा के राजनीतिक सफर के मुताबिक वे 18 साल की उम्र में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. 1947 से 1951 तक संघ प्रचारक के रूप में काम किया. 1948 से संघ आंदोलन में उन्हें सात माह जेल में भी रहना पड़ा.
1951 में जब आरएसएस के राजनीतिक संगठन भारतीय जनसंघ का गठन हुआ तो पटवा इसके सक्रिय सदस्य थे. 1957 में पहली बार विधानसभा सदस्य बने. 1967 तक विधायक रहे. बाद में जिला सहकारी बैंक के अध्‍यक्ष बनाए गए.
आपातकाल के दौरान वे 27 जून, 1975 से 28 जनवरी, 1977 तक मीसा बंदी के रूप में जेल में रहे. 1980 में सीहोर से विधानसभा सदस्‍य निर्वाचित होकर भाजपा के नेता एवं सदन में विरोधी दल के नेता बने.1985 में फिर विधानसभा सदस्‍य चुने गए तथा लोक लेखा समिति के सभापति एवं सामान्‍य प्रयोजन समिति के सदस्‍य रहे.1986 से भाजपा के प्रदेशाध्‍यक्ष रहे. 1993 में फिर विधानसभा सदस्‍य निर्वाचित हुए. 1997 में छिंदवाड़ा सीट के लिए हुए लोकसभा उपचुनाव में पहली बार सांसद चुने जाने गए और फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के पद पर उन्होंने कार्य किया.

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