नगदी की भारी बरामदगी से व्यवस्था कठघरे में
नोटबंदी के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में मिल रही भारी नगदी ने एक बार फिर पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है. इतनी बड़ी संख्या में नए नोट मिलना व्यवस्था में छेद की ओर भी इशारा कर रहे हैं.
बात चाहे कर्नाटक में बाथरूम में बने तहखाने से बरामद भारी रकम और सोने की हो या चेन्नई या फिर दिल्ली की. आयकर विभाग के लोग पकड़े गए लोगों से जो हिसाब-किताब करेंगे वह तो अलग है, पर असल हिसाब तो इस बात का होना है कि गाँव-गरीब-किसान-आम शहरी, एक-एक रुपये के लिए लाइन में लग रहा है लेकिन उसे यह रकम नहीं मिल पा रही है. जरूरतमंद एटीएम में भी लग रहे हैं और बैंक में भी. कैश की किल्लत का रोना बैंक भी रो रहे हैं. फिर बरामद हो रहे करोड़ों के नए नोट इन लोगों तक कैसे पहुँच रहे हैं, इसकी जाँच होनी ही चाहिए. संभव है कि भारत सरकार ऐसा कर भी रही हो, पर इसका खुलासा और देश को इसकी जानकारी भी होनी चाहिए. वह भी जल्दी से जल्दी.
ऐसा हुआ तो देश के आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. वह इस बात से खुश हो जाएगा कि उसके हिस्से का पैसा किसी और को देने वाले अफसरों पर सरकार ने नकेल कसी. इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए. क्योंकि ऐसा लगता है कि अभी इस दिशा में बहुत कम कार्रवाई हुई है. दो-चार अफसरों की गिरफ्तारी से बात नहीं बनने वाली. इसमें कई बड़े लोगों के शामिल होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
ऐसा नहीं होता तो शनिवार को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में लॉ फार्म पर हुई छापेमारी में जो 13.65 करोड़ रुपये बरामद हुए हैं, इसी के स्वामी वकील रोहित टंडन पिछले महीने ही 128 करोड़ की अपनी अघोषित आय का खुलासा कर चुके हैं. विभाग ने उनके बैंकों से भी अघोषित 19 करोड़ रुपये बरामद किए थे। ऐसे में अब शनिवार रात बरामद हुई रकम को मिला लिया जाए, तो टंडन की कुल अघोषित आय 160 करोड़ से ज्यादा हो गई है।
शनिवार रात बरामद हुए 13.56 करोड़ रुपये में 2.6 करोड़ रुपए नए 2000 के नोटों के रूप में हैं। वहीं 7 करोड़ रुपए 1000 रुपये के नोट की शक्ल में हैं, तो 3 करोड़ रुपए 100-100 के नोटों में. बाकी पैसा 50 और 500 रुपये के नोटों के तौर पर बरामद हुआ है। छापा मारने वाले अधिकारी भी यह देखकर हैरान रह गए कि टंडन ने कैसे आलमारियों और कार्टन में रुपये भर कर रखे हुए थे.
दिल्ली में हुई इस बरामदगी के अलावा शनिवार को ही देश में अलग-अलग जगहों पर हुई छापेमारी में करीब 30 करोड़ रुपये कैश और 32 किलो के गहने बरामद हुए थे.
बात चाहे कर्नाटक में बाथरूम में बने तहखाने से बरामद भारी रकम और सोने की हो या चेन्नई या फिर दिल्ली की. आयकर विभाग के लोग पकड़े गए लोगों से जो हिसाब-किताब करेंगे वह तो अलग है, पर असल हिसाब तो इस बात का होना है कि गाँव-गरीब-किसान-आम शहरी, एक-एक रुपये के लिए लाइन में लग रहा है लेकिन उसे यह रकम नहीं मिल पा रही है. जरूरतमंद एटीएम में भी लग रहे हैं और बैंक में भी. कैश की किल्लत का रोना बैंक भी रो रहे हैं. फिर बरामद हो रहे करोड़ों के नए नोट इन लोगों तक कैसे पहुँच रहे हैं, इसकी जाँच होनी ही चाहिए. संभव है कि भारत सरकार ऐसा कर भी रही हो, पर इसका खुलासा और देश को इसकी जानकारी भी होनी चाहिए. वह भी जल्दी से जल्दी.
ऐसा हुआ तो देश के आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. वह इस बात से खुश हो जाएगा कि उसके हिस्से का पैसा किसी और को देने वाले अफसरों पर सरकार ने नकेल कसी. इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए. क्योंकि ऐसा लगता है कि अभी इस दिशा में बहुत कम कार्रवाई हुई है. दो-चार अफसरों की गिरफ्तारी से बात नहीं बनने वाली. इसमें कई बड़े लोगों के शामिल होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
ऐसा नहीं होता तो शनिवार को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में लॉ फार्म पर हुई छापेमारी में जो 13.65 करोड़ रुपये बरामद हुए हैं, इसी के स्वामी वकील रोहित टंडन पिछले महीने ही 128 करोड़ की अपनी अघोषित आय का खुलासा कर चुके हैं. विभाग ने उनके बैंकों से भी अघोषित 19 करोड़ रुपये बरामद किए थे। ऐसे में अब शनिवार रात बरामद हुई रकम को मिला लिया जाए, तो टंडन की कुल अघोषित आय 160 करोड़ से ज्यादा हो गई है।
शनिवार रात बरामद हुए 13.56 करोड़ रुपये में 2.6 करोड़ रुपए नए 2000 के नोटों के रूप में हैं। वहीं 7 करोड़ रुपए 1000 रुपये के नोट की शक्ल में हैं, तो 3 करोड़ रुपए 100-100 के नोटों में. बाकी पैसा 50 और 500 रुपये के नोटों के तौर पर बरामद हुआ है। छापा मारने वाले अधिकारी भी यह देखकर हैरान रह गए कि टंडन ने कैसे आलमारियों और कार्टन में रुपये भर कर रखे हुए थे.
दिल्ली में हुई इस बरामदगी के अलावा शनिवार को ही देश में अलग-अलग जगहों पर हुई छापेमारी में करीब 30 करोड़ रुपये कैश और 32 किलो के गहने बरामद हुए थे.
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