प्रदूषण से हर साल 12 लाख मौतें, भरोसा नहीं हो रहा न !

प्रतीकात्मक फोटो : साभार

अपने देश में हर साल वायु प्रदूषण के कारण 12 लाख लोग दम तोड़ रहे हैं. राजधानी दिल्ली सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में टॉप है. यह रिपोर्ट कई राज्यों के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से मिली जानकारियों के आधार पर तैयार की गई है. ग्रीनपीस की यह रिपोर्ट भयावह स्थिति की ओर इशारा कर रही है और यह भी बता रही है कि अब भी नहीं संभले तो देर हो जाएगी.
24 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 168 शहरों की स्थिति पर ग्रीनपीस इंडिया द्वारा बनी इस रिपोर्ट का नाम वायु प्रदूषण का फैलता जहर है. रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और दक्षिण भारत के कुछ शहरों को छोड़कर भारत के किसी भी शहर में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मानकों की सीमा का पालन नहीं किया है.
देश के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में दिल्ली टॉप है. अन्य शहरों में गाजियाबाद, इलाहाबाद, बरेली, कानपुर, फरीदाबाद, झरिया, रांची, कुसेंदा आदि हैं.  इसके पीछे जो कारण गिनाये गए हैं, उसके मुताबिक कोयला,पेट्रोल, डीजल का बढ़ता इस्तेमाल है. 
अगर हमने इनका प्रयोग कम नहीं किया तो हालत और भयावह होंगे. ग्रीनपीस के मुताबिक भारत में हर साल वायु प्रदूषण से 12 लाख लोग दम तोड़ देते हैं. यह रिपोर्ट 24 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 168 शहरों का हाल जानने के बाद तैयार की गई है. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आरटीआई के द्वारा प्राप्त सूचनाओं में पाया गया कि ज्यादातर प्रदूषित शहर उत्तर भारत के हैं. 
यह राजस्थान से होकर गंगा के मैदानी इलाके से होते हुए पश्चिम बंगाल तक फैले हुए हैं. प्रदूषण नियंत्रण के लिए सबसे पहले ऊर्जा और यातायात के क्षेत्र में कोयला, पेट्रोल, डीजल जैसे ईंधनों पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी. ग्रीनपीस के साथ काम करने वाले सुनील दहिया के मुताबिक, रिपोर्ट में शामिल शहरों ने इसे नियंत्रित करने का कोई कारगर उपाय नहीं किए. इसके कारण ये शहर वायु प्रदूषण के आधार पर रहने योग्य नहीं कहे जा सकते. यहां सांस लेना तक मुश्किल हो गया है.

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