चुनाव आयोग पहुंचे मुलायम, रामगोपाल, देखिए साइकिल किसकी !


सपा में साइकिल चुनाव चिन्ह को लेकर मचे घमासान के बीच दोनों ही पक्ष आज चुनाव आयोग पहुँच चुके हैं. दोनों ही पक्षों को अपनी बात आज ही रखनी है. मुलायम सिंह यादव और अखिलेश खेमे से रामगोपाल यादव चुनाव आयोग पहुंच गए हैं. आज इस मामले पर फैसला आ सकता है. मुलायम सिंह के कुछ समर्थक भी चुनाव आयोग पहुंचे हैं. दूसरी ओर अखिलेश की तरफ से किरनमय नंदा, अक्षय यादव और सुरेंद्र नागर भी पहुंचे हैं. अखिलेश खेमे की ओर से वकील कपिल सिब्बल पक्ष रखेंगे.

चुनाव आयोग में सपा के सिंबल की सुनवाई आज ही है. पहली सुनवाई में दोनों पक्षों के दावों पर चर्चा होगी. सुनवाई के दौरान उभरे दावों प्रतिदावों पर आयोग कुछ अतिरिक्त जानकारी भी मांग सकता है. दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट को भी साथ ला सकते हैं. मुलायम खेमे से मोहन पराशरन और अखिलेश कैम्प से राजीव धवन के भी आने की चर्चा है.
अखिलेश खेमे के नेता दिल्ली में कैंप कर रहे हैं. चुनाव आयोग में जवाब देने से पहले रामगोपाल यादव का घर अखिलेश खेमे के लिए वॉर रूम बना हुआ है. रामगोपाल यादव के दिल्ली के लोधी एस्टेट हाउस पर सपा के सांसद और अन्य नेता लगातार पहुंच रहे हैं.
इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने मुलायम सिंह से अपील की है कि वो साइकिल से दावा वापस ले लें. अब देखना ये होगा कि इस मसले को लेकर शुक्रवार दोपहर चुनाव आयोग में होने वाली पहली सुनवाई में क्या वाकई मुलायम सिंह साइकिल अखिलेश के हवाले कर देंगे. उन्होंने कहा है कि 'हर पिता चाहता है कि उनका बेटा आगे बढ़े और अखिलेश तो सितारा है. नेताजी ऐसा करेंगे तो उनका सम्मान और कद ऊंचा रहेगा और हम सब एक रहेंगे.'
पिछले दिनों मुलायम के रुख में अखिलेश को लेकर नरमी देखी गई है चाहे उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर देने की बात हो या फिर सुलह की. हालांकि मुलायम सिंह कह चुके हैं कि पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अखिलेश ही होंगे लेकिन अभी तक सुलह के संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं. इधर ये भी खबर आ रही थी कि मुलायम आयोग में चुनाव चिन्ह को लेकर दी गई अपनी याचिका वापस भी ले सकते हैं. दरअसल पार्टी में एक सोच यह भी है कि अगर चुनाव आयोग ने इस झगड़े के कारण चुनाव चिन्ह जब्त कर लिया तो चुनावों में परेशानी हो सकती है इसलिए दावा वापस लेना बेहतर होगा.

चुनाव आयोग में पार्टी सिंबल को लेकर हो रही इस पहली सुनवाई में दोनों पक्ष उनके समर्थक प्रतिनिधियों की संख्या का खुलासा करेंगे. ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि चुनाव आयोग इस मामले में एक और सुनवाई कर सकता है. क्योंकि इस मसले का निपटारा करने के लिए उसे 17 जनवरी तक का समय दिया गया है.

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