सपा में घमासान: सब माने लेकिन मुलायम अड़े, देखिए आगे क्या ?
इस बीच कुछ लोगों का कहना है कि मुलायम और अखिलेश यादव के गुटों में कोई समझौता होने के आसार लगभग खत्म हो गए हैं. अब पिता-पुत्र अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे. पर, पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान अब भी सुलह की आखिरी कोशिश कर रहे हैं और किसी चमत्कार की उम्मीद में भी हैं. वे अखिलेश से मिलने उनके आवास पहुंचे हैं. आजम खान की तरह एक बड़ा तबका यह मानता है कि यह लड़ाई अब अपने अंतिम दौर में है. मुलायम सिंह भी बेटे के आगे सरेंडर कर देंगे.
विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों पर अपनी तैयारियों को अमलीजामा पहनाने और प्रत्याशियों की सूची जारी करने का दबाव बढ़ गया है. अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी (सपा) के अंदर जारी संकट के बीच आज पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है. अखिलेश गुट के सूत्रों की मानें तो विधायकों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति तय की जाएगी और जल्द ही प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी की जाएगी.
यूपी में विधानसभा चुनाव 11 फरवरी से लेकर 8 मार्च तक सात चरणों में होगा. चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आएंगे. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने लोगों से कह दिया है कि अब वह पूरी तरह चुनाव प्रचार में लग जाएं और किसी तरह के भ्रम में न रहें.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बार-बार कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की जनता ने यह मन बना लिया है कि आने वाले समय में समाजवादी पार्टी की सरकार बने. उन्होंने इशारों-इशारों में यह भी कहा कि 'जब चुनावी तारीख आ जाएं तो समझ लो 'लड़ाई' शुरू हो गई और मैं चाहता हूं कि प्रदेश की जनता एक बार फिर काम करने वालों को वोट दें''.
पार्टी में घमासान और समझौते के मुद्दे को लेकर अखिलेश ने कहा कि 'मैं समझता हूं कि यह समय ऐसा है कि समाजवादी सिद्धांत कैसे आगे बढ़ें. समाजवादी विचारधारा और कैसे आगे तक जाएं. समाजवादियों के आशीर्वाद से मुझे काम करने का मौका मिला, शायद उन्हीं का आशीष था कि काम हो पाए. नेताजी ने ही कहा था कि क्या एक्सप्रेस-वे 23 महीने में बन सकता है... हमने इसे 23 महीने में ही बनाकर दिखा दिया. मेट्रो देश में कभी इतने कम वक्त में नहीं बनी होगी. इसलिए मैं कह रहा हूं कि लोकतंत्र में नेताजी ने मुझे मौका दिया और उन्हीं के आशीर्वाद से हमने इतना काम किया है. लोगों को भरोसा है कि समाजवादी पार्टी काम करेगी. इसलिए जब काम दिया है, काम किया है.
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