ऐसी पटकथा सिर्फ मुलायम ही लिख सकते हैं !


समाजवादी पार्टी में चल रही उठापटक अब लगभग समाप्त हो चली है. चुनाव चिन्ह और पार्टी अखिलेश की हो चुकी है. चाहने वाले अखिलेश को हीरो की तरह देख रहे हैं. पर, मेरी नजर में असली हीरो तो मुलायम सिंह यादव ही हैं. अखिलेश, केवल चेहरा. शिवपाल यादव, अमर सिंह को खुद तय करना है कि वे कहाँ रहना चाहते हैं. लेकिन इतना तय है कि अगर समाजवादी पार्टी में रहना है तो उन्हें अखिलेश यादव का नेतृत्व हर हाल में  स्वीकार करना होगा.
पूरे घटनाक्रम पर सरसरी नजर डालें तो साफ पता चलता है कि पटकथा लेखक ने बुनावट अच्छी की है. एक अच्छे संगठनकर्ता मुलायम को छोड़ अचानक पार्टी के ज्यादातर विधायक, संसद सदस्य अखिलेश के पाले में चले जाते हैं. कैसे ? चुनाव आयोग में खुद जाकर भी मुलायम हार जाते हैं और बिना गए अखिलेश पिता से जीत जाते हैं. कैसे? आयोग अपने फैसले में साफ-साफ कहता है कि मुलायम अपने पक्ष में पर्याप्त सबूत नहीं दे पाए और अखिलेश ने सब दे दिया? कैसे? रामगोपाल को मुलायम पहले पार्टी से बाहर करते हैं, फिर अंदर और अगले ही दिन फिर बाहर कर देते हैं. राम्गोपाल के साथ जुर्म में बराबर के भागीदार अखिलेश को नेताजी क्लीनचिट देते हैं और...
इसमें किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए कि मुलायम सिंह यादव की उम्र हो चली है. वे अगर इस समय पार्टी अखिलेश को न सौंप देते तो फिर दूसरा मौका 2022 में आता. अब अखिलेश के दोनों हाथ में लड्डू है. मुलायम ने शिवपाल, अमर सिंह को छोड़ा भी नहीं. पार्टी अखिलेश को सौंप भी दी. वे पार्टी के संरक्षक कल भी थे, आज भी हैं और कल भी रहेंगे. इसमें भी किसी को शक नहीं होना चाहिए. अखिलेश सत्ता में तुरंत लौटें या नहीं लौटें लेकिन इतना तय है कि वे अब इस देश की राजनीति में उभरता हुआ सितारा है. और अब वे अपने पिता की गोद से उतर कर फैसले लेने लगे हैं.
अगर इस महागठबंधन ने बिहार की कहानी दोहराई तो अखिलेश का कद बरबस 2019 के लोकसभा चुनाव में बढ़ा हुआ मिलेगा. पहलवान, शिक्षक, राजनीतिज्ञ मुलायम ने बेटे अखिलेश के रास्ते के सभी कांटे एक-एक कर अपने हाथ से हटा दिए और पार्टी नियम-कानून से उन्हें सौंप दी. अब तक उनकी खिलाफत करते रहे लोगों में से जिसकी मर्जी हो, वह अखिलेश के साथ रहे और जो चाहे, कहीं और चला जाए. अब इस पार्टी में किसी चाचा-ताऊ की नहीं चलेगी. केवल और केवल अखिलेश की चलेगी.

तीन जनवरी की पोस्ट:जरुर पढ़ें. मेरा दावा है, आप को अच्छा लगेगा

Comments

Popular posts from this blog

खतरे में ढेंका, चकिया, जांता, ओखरी

सावधान! कहीं आपका बच्चा तो गुमशुम नहीं रहता?

गूलर की पुकार-कोई मेरी बात राजा तक पहुंचा दो