दिख कुछ भी रहा हो, तय है कि सपा अखिलेश की है, कांग्रेस से गठबंधन भी तय


सपा में मचे अंदरूनी घमासान के बीच हालत जो भी बनें, इतना तो तय हो गया कि पार्टी अब अखिलेश यादव के हाथों में आ गई. क्योंकि अब उनके सामने मौजूद सभी बाधाएं हट चुकी हैं. मंत्री, विधायक पहले से ही उनके साथ हैं. पिता मुलायम भी देर-सबेर मान ही जाएंगे. इस खबर के साथ जुड़ती हुई सनसनाती खबर यह है कि अखिलेश कांग्रेस और लोकदल के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, इस बात की संभावना अब ज्यादा बलवती होती जा रही है. अखिलेश कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन की बात पहले भी करते रहे हैं.
अब तो कांग्रेस में भी एक बेचैनी देखी जा रही है. माना जा रहा है कि अंदरूनी तैयारी ऐसी ही है. टिकटों की सूची पर भी सभी दल काम पूरा कर चुके हैं. चाचा शिवपाल, चाचा अमर सिंह के शांत होने के बाद सभी चीजें अखिलेश के पक्ष में हैं. और अखिलेश भी नेता जी यानी अपने पिता को न तो दुखी देखना चाहते हैं और न ही उनके बिना चुनाव में जाना चाहते हैं. मंत्री और दोनों पिता-पुत्र के खास आजम खान को इसीलिए उम्मीद है कि बात बन जाएगी. क्योंकि वे मुलायम सिंह यादव को बहुत लम्बे समय से जानते हैं. 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नए घटनाक्रम और अखिलेश के आत्मविश्वास को देखकर साफ हो गया है कि कांग्रेस से गठबंधन के आसार अब बढ़ गए हैं. कांग्रेस तो तैयारी में भी जुट गई है. पार्टी की मानें तो अगले सप्ताह इस पर मुहर लगने की संभावना है. फिलहाल प्रदेश में जहां पहले चरण के चुनाव होने हैं, वहां के लिए संभावित प्रत्याशियों की सूची फाइनल की गई है. गठबंधन होने की सूरत में निर्धारित विधानसभा के लिए तीन-तीन संभावित प्रत्याशियों के नाम हाईकमान को भेज दिए गए हैं. 
प्रदेश में कांग्रेस को गठबंधन से खासी उम्मीद भी है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद भी सपा के साथ गठबंधन होने पर सकारात्मक हैं. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की विधायकों के साथ हुई बैठक पर कांग्रेसी लगातार निगाह बनाए रहे. मुख्यमंत्री को 200 विधायकों का समर्थन मिलने के बाद कांग्रेसियों ने चुनाव समिति की बैठक में गठबंधन के लिहाज से तैयार सूची की पहले स्क्रूटनी की. इसके साथ अकेले चुनाव लड़ने वाली सूची को भी दिल्ली भेजा जाएगा. 
यूपी में कांग्रेस की सीएम पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित ने भी कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी जैसी समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ चुनाव पूर्व गठजोड़ करने पर कोई एतराज नहीं है. पार्टी की ओर से घोषित मुख्यमंत्री उम्मीदवार शीला दीक्षित ने युवा नेता अखिलेश यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. दीक्षित ने बताया कि उन्होंने भी सुना है कि अखिलेश कह चुके हैं कि यदि कांग्रेस और उनकी पार्टी का गठजोड़ होता है तो अच्छा परिणाम सामने आएगा. उन्होंने कहा, ‘यदि यह खबर सही है कि अखिलेश चुनाव मुहिम का नेतृत्व करने जा रहे हैं तो निश्चित तौर पर मैं पीछे हट जाऊंगी. मैं खुद से ज्यादा उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बैठते देखना चाहूंगी. ’गठबंधन की स्थिति में अपनी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर शीला दीक्षित ने कहा, ‘सपा के साथ गठबंधन की खबरें अभी अपुष्ट हैं. यदि ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर मैं उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री को चुनना पसंद करूंगी.’

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