सपा में मची रार से बेचैन कांग्रेस, चिंता यह कि साइकिल किसकी ?
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साइकिल तय नहीं: कैसे बनेगी बात |
अखिलेश यादव गुट और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर लगभग सहमति बन चुकी है, लेकिन 9 जनवरी की तारीख खासी अहम रहने वाली है. चुनाव आयोग समाजवादी पार्टी के दोनों पक्षों की ओर से दायर अर्जियों पर सुनवाई करते हुए चुनाव चिन्ह पर कोई फैसला दे सकता है. पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने सिंबल के लिए दावा ठोंका है, जबकि बागी तेवर अपना चुके उनके बेटे अखिलेश यादव भी साइकिल पर दावा कर रहे हैं. अखिलेश यादव को पार्टी के ज्यादातर विधायकों, एमएलसी और सांसदों का समर्थन हासिल है. इसके अलावा कार्यसमिति के अधिकतर सदस्य भी उनके ही समर्थन में हैं, जिसे पार्टी बंटने की सूरत में चुनाव चिह्न के आवंटन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.
कांग्रेस के लिए भी चुनाव चिह्न को चल रहा विवाद चिंता का सबब है. पार्टी के सीनियर नेताओं का मानना है कि यदि अखिलेश गुट को नए सिंबल पर चुनाव लड़ना पड़ता है तो इतने बड़े राज्य के हर नागरिक तक इस संदेश को पहुंचाना बेहद मुश्किल होगा. खासतौर पर चुनावों का ऐलान होने के बाद सिंबल को लेकर मची रार परेशानी का सबब है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस गुट को भी यह पुराना सिंबल मिलेगा, वह समाजवादी पार्टी के कोर वोटरों को आसानी से लुभा सकेगा. कांग्रेस का मानना है कि विकास के अजेंडे से अखिलेश ने एसपी के ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने पाले में किया है, लेकिन साइकल यदि मुलायम सिंह के पास चली जाती है तो वह उन्हें बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.
यदि चुनाव आयोग की ओर से साइकिल चुनाव चिह्न को फ्रीज करने का फैसला लिया जाता है तो इससे मुलायम सिंह यादव अपने कोर वोट बैंक को मजबूत नहीं रख सकेंगे. खासतौर पर यादव, अन्य पिछड़ी जातियां और मुस्लिम वोटरों को वह पहले की तरह अपने साथ नहीं बनाए रख सकेंगे. यूपी इलेक्शन में सम्मानजक प्रदर्शन के लिए कांग्रेस पार्टी अखिलेश यादव गुट के साथ गठजोड़ कर फायदा उठाने की कोशिश में है.
उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी सूबे की सभी 403 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में जुटी है. राजब्बर ने लखनऊ में कहा, 'हम सभी सीटों पर प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया में जुटे हैं.' उन्होंने कहा कि सभी प्रत्याशियों के नामों की सिफारिश सोमवार को आलाकमान के समक्ष की जाएगी. राज बब्बर समाजवादी पार्टी के साथ किसी भी गठजोड़ के खिलाफ रहे हैं, जबकि वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद गठबंधन की कोशिशों में जुटे हैं.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस गुट को भी यह पुराना सिंबल मिलेगा, वह समाजवादी पार्टी के कोर वोटरों को आसानी से लुभा सकेगा. कांग्रेस का मानना है कि विकास के अजेंडे से अखिलेश ने एसपी के ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने पाले में किया है, लेकिन साइकल यदि मुलायम सिंह के पास चली जाती है तो वह उन्हें बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.
यदि चुनाव आयोग की ओर से साइकिल चुनाव चिह्न को फ्रीज करने का फैसला लिया जाता है तो इससे मुलायम सिंह यादव अपने कोर वोट बैंक को मजबूत नहीं रख सकेंगे. खासतौर पर यादव, अन्य पिछड़ी जातियां और मुस्लिम वोटरों को वह पहले की तरह अपने साथ नहीं बनाए रख सकेंगे. यूपी इलेक्शन में सम्मानजक प्रदर्शन के लिए कांग्रेस पार्टी अखिलेश यादव गुट के साथ गठजोड़ कर फायदा उठाने की कोशिश में है.
उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी सूबे की सभी 403 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में जुटी है. राजब्बर ने लखनऊ में कहा, 'हम सभी सीटों पर प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया में जुटे हैं.' उन्होंने कहा कि सभी प्रत्याशियों के नामों की सिफारिश सोमवार को आलाकमान के समक्ष की जाएगी. राज बब्बर समाजवादी पार्टी के साथ किसी भी गठजोड़ के खिलाफ रहे हैं, जबकि वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद गठबंधन की कोशिशों में जुटे हैं.
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