एमपी का व्यापम घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किये 634 मुन्ना भाइयों के दाखिले

सुप्रीम कोर्ट: फ़ाइल फोटो

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को कायम रखते हुए सामूहिक नकल के दोषी छात्रों को राहत देने से इनकार कर दिया है. अब सामूहिक नकल के दोषी छात्रों के दाखिले रद्द कर दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि सामूहिक नकल के दोषी 634 छात्रों को राहत दी जाए या नहीं.
इससे पहले 268 छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने एक दिलचस्प फैसला सुनाया था. मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए. सुनवाई कर रहे जस्टिस जे चेलामेश्वर ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा. पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी. इस दौरान उन्हें केवल गुजारा भत्ता दिया जाएगा.
वहीं जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने हाईकोर्ट के दाखिला रद्द करने के फैसले को बरकरार रखते हुये छात्रों की अपील को खारिज कर दिया. इसके बाद मामले को तीन जजों की बेंच में भेजा गया. गौरतलब कि व्यापम मे सामूहिक नकल की बात सामने आने पर 2008-2012 के छात्रों के बैच के एडमिशन रद्द कर दिए गए थे. इसके बाद सभी छात्रों ने कोर्ट से इस मामले में दखल देने की अपील की थी.
उल्लेख जरुरी है कि मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला इस देश के बड़े घोटालों में से एक है. जाँच-दर-जाँच चल रही है. कभी आरोपी मर रहे हैं तो कभी कुछ और नई बात सामने आ जाती है. इस सिलसिले में एमपी की सरकार भी कठघरे में है.

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