ट्रंप का यह प्रस्ताव अमेरिका में रह रहे भारतीयों पर पड़ेगा भारी, जानना चाहेंगे ?
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डोनाल्ड ट्रंप: फोटो साभार |
मतलब, एक बड़ी आबादी को स्वदेश लौटना होगा. निश्चित इसमें भारतीयों की संख्या बहुत बड़ी है. क्योंकि आईटी समेत कई इंडस्ट्री पर अभी भी अधिकतर भारतीय ही वहां छाये हुए हैं. माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के सीईओ तक भारतीय हैं.
असल में अमेरिका में रहने और वहां काम करने के लिए दूसरे देश के लोगों को एक कार्ड दिए जाने की व्यवस्था है. यह कार्ड 10 वर्ष तक वैध रहता है. इसे यूनाइटेड स्टेट्स पर्मानेंट रेसिडेंट कार्ड कहा जाता है . यह कार्ड उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स लॉफुल पर्ममानेंट रेसिडेंसी के तहत दिया जाता है. पहले इसे एलियन रजिस्ट्रेशन कार्ड भी कहा जाता था.
इसके तहत इमीग्रेंट्स को दिए जाने वाले कार्ड का रंग हरा होता है इसलिए यह ग्रीन कार्ड कहा जाने लगा. माना जाता है कि जिन लोगों को यह कार्ड मिलता है वो अमेरिका में हमेशा के लिए रह सकते हैं और वहां काम कर सकते हैं.
पर, ग्रीन कार्ड्स की वैलिडिटी 10 साल की होती है. इसके बाद इसे या तो नवीनीकरण कराना होता है या फिर नया जारी होता है. ग्रीन कार्ड एक इमीग्रेशन प्रोसेस को भी कहा जाता है, जिसके जरिए इमीग्रेंट्स को वहां की पर्मानेंट सिटिजनशिप दी जाती है.
अमेरिका में हर साल 10 लाख लोगों को ग्रीन कार्ड दिए जाते हैं. ग्रीन कार्ड होल्डर अमेरिका के सिटिजन नहीं होते और न ही वोट कर सकते. ग्रीन कार्ड होल्डर्स को वहां के सिटिजन न होने तक अमेरिकी पासपोर्ट नहीं मिलता. ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अमेरिकी इनकम टैक्स फाइल करना होता है.
पर, ग्रीन कार्ड्स की वैलिडिटी 10 साल की होती है. इसके बाद इसे या तो नवीनीकरण कराना होता है या फिर नया जारी होता है. ग्रीन कार्ड एक इमीग्रेशन प्रोसेस को भी कहा जाता है, जिसके जरिए इमीग्रेंट्स को वहां की पर्मानेंट सिटिजनशिप दी जाती है.
अमेरिका में हर साल 10 लाख लोगों को ग्रीन कार्ड दिए जाते हैं. ग्रीन कार्ड होल्डर अमेरिका के सिटिजन नहीं होते और न ही वोट कर सकते. ग्रीन कार्ड होल्डर्स को वहां के सिटिजन न होने तक अमेरिकी पासपोर्ट नहीं मिलता. ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अमेरिकी इनकम टैक्स फाइल करना होता है.
ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अपनी प्राथमिक सिटिजनशिप अमेरिका की रखनी होती है. भारतीयों को ग्रीन कार्ड के लिए करना होता है 10 से 35 साल का इंतजार. 50 लाख लोग अभी भी कर रहे हैं ग्रीन कार्ड का इंतजार.
भारत से अमेरिका जाकर कमाई करने वाले लोगों से उनकी सैलरी का लगभग 30 फीसदी तक बतौर टैक्स काट लिए जाते हैं. वो उन्हें वापस तब मिलता है जब वो वहां 5 साल तक काम करते हों. लेकिन इनमें से ज्यादातर 5 साल से पहले ही वापस आ जाते हैं. ऐसी स्थिति में पैसा वहीं रह जाता है जो अमेरिका की जीडीपी में अहम रोल निभाता है.
साल 2015 में अमेरिका ने लगभग 63 हजार भारतीयों को ग्रीन कार्ड दिया था. जबकि इसी साल दुनिया भर के 7 लाख 30 हजार लोगों को अमेरिका की सिटिजनशिप देने के लिए ग्रीन सिग्नल दिया गया. नई पॉलिसी आने के बाद इनकी संख्या आधी हो जाएगी और ऐसी स्थिति में जो भारतीय ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे थे उनका इंतजार लंबा हो जाएगा.
भारत से अमेरिका जाकर कमाई करने वाले लोगों से उनकी सैलरी का लगभग 30 फीसदी तक बतौर टैक्स काट लिए जाते हैं. वो उन्हें वापस तब मिलता है जब वो वहां 5 साल तक काम करते हों. लेकिन इनमें से ज्यादातर 5 साल से पहले ही वापस आ जाते हैं. ऐसी स्थिति में पैसा वहीं रह जाता है जो अमेरिका की जीडीपी में अहम रोल निभाता है.
साल 2015 में अमेरिका ने लगभग 63 हजार भारतीयों को ग्रीन कार्ड दिया था. जबकि इसी साल दुनिया भर के 7 लाख 30 हजार लोगों को अमेरिका की सिटिजनशिप देने के लिए ग्रीन सिग्नल दिया गया. नई पॉलिसी आने के बाद इनकी संख्या आधी हो जाएगी और ऐसी स्थिति में जो भारतीय ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे थे उनका इंतजार लंबा हो जाएगा.
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