ये यूपी पुलिस है, प्रभावशाली लोगों पर कार्रवाई नहीं करती, गायत्री तो मंत्री हैं

गायत्री प्रजापति: फोटो साभार

जो गलती करे, उसे उसकी सजा मिलनी ही चाहिए. पर, जब व्यवस्था कार्रवाई में दोगली नीति अपनाती है तो बरबस सवाल उठते ही हैं. ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मंत्री गायत्री प्रजापति का है. इनके घर पुलिस के छापे की बात सामने आई है, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हो सकी या नहीं की गई? यह बड़ा सवाल इसलिए है क्योंकि पुलिस ने अपना काम ईमानदारी से नहीं किया.
गायत्री प्रजापति कैबिनेट मंत्री हैं. उनके पास बाकायदा इसी पुलिस महकमे की सुरक्षा है. अगर पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करना था तो अपनी ही पुलिस से पूछताछ कर लेती. जान लेती कि मंत्री जी कहाँ है? पर, पुलिस यह काम तब करती न जब उसे असल में गिरफ्तार करना होता. पुलिस उनके सरकारी आवास पर गई ही थी केवल कागजी खाना पूर्ति के लिए. अन्यथा, गायत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुए काफी दिन हो गए. इस दौरान उन्होंने अमेठी में प्रचार किया. खुद मुख्यमंत्री उनके प्रचार के लिए अमेठी गए. वे बिना लाइन में लगे अपना वोट भी डाल आए. हर जगह पुलिस थी. पर, पूरे चुनाव में पुलिस ने उनकी रक्षा की, अब भी कर रही है. गिरफ्तारी का तो केवल ड्रामा है. अगर पुलिस चाहती तो उनकी गिरफ़्तारी कब की हो गई होती. 
पर, पुलिस चाहे कैसे? उसे इसकी इजाजत नहीं है. और पुलिस की यह फितरत भी तो है. वह तो आम आदमी को सताने के लिए है. आम आदमी के खिलाफ दर्ज छोट-छोटे मामलों में तत्परता दिखाने के लिए है. खास लोग तो ख़ास ही हैं. उनके लिए नियम-कानून बेदम हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो अमेठी से ही सटे सुल्तानपुर जिले में गैंगरेप और हत्या आरोपी सत्ताधारी दल का विधायक घूमता नहीं. पर, मरने वाली लड़की मामूली परिवार की थी. तो पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी भी नहीं की. 
असल में पुलिस ने अपनी आदत में शुमार किया हुआ है. वह किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले दस बार सोचती है. फिर सत्ताधारियों से अनुमति लेकर ही आगे की कार्रवाई करती है. यह कोई नई बात नहीं. स्थापित सच है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. गाज़ियाबाद से लेकर कुशीनगर तक इसके अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं. 
इसलिए यूपी की पुलिस को अब बलात्कार के आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति की तलाश है, यह लिखना ही झूठ है. वह तो कागज का पेट भरने की कवायद का एक हिस्सा भर था. जो पुलिस ने मंगलवार को लखनऊ में किया. असल में यह करना पुलिस के लिए जरूरी था, क्योंकि गायत्री के खिलाफ अदालत के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ है. पुलिस को अदालत को जवाब देना होगा. इसीलिए पुलिस ने छापे की सूचना को वायरल किया लेकिन कार्रवाई का विवरण उसने अपने आकाओं से ही शेयर किया. 
फिलवक्त, 11 मार्च तक गायत्री बिल्कुल सुरक्षित हैं. उनके खिलाफ इस मामले में जो भी कार्रवाई होगी, विधान सभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही होगी. पुलिस नई सरकार के इशारे के बाद कार्रवाई करेगी. यूपी की बदनाम पुलिस का यही रवैया है. वह ऐसे ही काम करती है. 

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