डीयू विवाद: ये विचारों का प्रवाह है या मछली मंडी?

प्रतीकात्मक फोटो:साभार

दिल्ली के रामजस कालेज का मामला अब काफी तूल पकड़ गया है. कालेज के छात्र-छात्राओं का विवाद पहले विद्यार्थी परिषद और वामपंथी छात्र संगठनों में बंटा और अब लगता है कि इस मसले पर देश कई हिस्सों में बंटा हुआ दिखाई दे रहा है. असल मुद्दा गायब हो चला है और अब सिर्फ जवाबी कीर्तन हो रहा है.

रामजस कालेज मसले का आन्दोलन चल ही रहा था कि अचानक एक शहीद अफसर की बेटी सामने आती है. सोशल मीडिया पर छात्रों के समर्थन में एक कैम्पेन शुरू करती है. फिर उसे रेप की धमकियाँ मिलती हैं. वह दिल्ली छोड़कर अपने घर रवाना हो जाती है. इस बीच कुछ लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ही उस छात्रा गुरमेहर की लानत-मलामत करते देखे जाते हैं. फिल्म और खेल जगत इस मसले में खासी रूचि लेता दिखता है. वीरेंद्र सहवाग, रणदीप हुड्डा, गीता फोगट समेत ढेरों हस्तियाँ गुरमेहर के पक्ष या विपक्ष में आ खड़े होते हैं. फिर शुरू होती है कवायद, विचारधारा को सही-गलत साबित करने की. फिलवक्त यही चल रहा है. 
इस कवायद का नुकसान यह है कि मुद्दा गायब हो चला है. पुलिस ने गुरमेहर को धमकी देने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है लेकिन कार्रवाई के नाम पर वह मौन है. शायद उसे इजाजत नहीं होगी. क्योंकि इस मसले में केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी संगठन के कार्यकर्ता आरोपों के घेरे में हैं.
केन्द्रीय मंत्री किरण रिजीजू से लेकर न जाने कौन-कौन से लोग इस लड़ाई में अब तक अपनी आहुति दे चुके हैं. आगे अभी यह चलने वाला है लेकिन कुछ दिन बाद विचारधारा की यह जंग ख़त्म हो जाएगी और छात्रों की बातें अपनी जगह ही रह जाएँगी. 
इस मसले पर प्रख्यात लेखक, विचारक जावेद अख्तर ने गुरमेहर के पक्ष में लिखा और बिना किसी का नाम लिए. पर, उन्हें जवाब देने के लिए फिर बड़ी संख्या में लोग टूट पड़े. अब यह पूरा मसला दो हिस्सों में बंट गया है.
क्या है विवाद की जड़
दिल्ली के रामजस कॉलेज में एक सेमिनार होने वाला था. इसमें जेएनयू के स्टूडेंट लीडर उमर खालिद और शहला राशिद को इनवाइट किया गया था. विद्यार्थी परिषद् ने इसका  विरोध किया, क्योंकि खालिद पर जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी करने का आरोप है. इसी मसले को लेकर बीते बुधवार को हिंसा हुई। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को सेमिनार कैंसल करना पड़ा.
कौन हैं गुरमेहर?
गुरमेहर लेडी श्रीराम कॉलेज में इंग्लिश लिटरेचर की स्टूडेंट हैं. वे मूल रूप से लुधियाना की रहने वाली हैं. उनके पिता कैप्टन मंदीप सिंह कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के कैम्प पर 1999 में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. उस वक्त गुरमेहर महज 2 साल की थीं.
विवाद क्यों बढ़ा?इस कॉन्ट्रोवर्सी में गुरमेहर की एंट्री तब हुई, जब उन्होंने 22 फरवरी को अपना फेसबुक प्रोफाइल पिक्चर बदला और ‘सेव डीयू कैम्पेन’ शुरू किया. वे एक तख्ती पकड़ी हुई नजर आईं. #StudentsAgainstABVP हैशटैग के साथ लिखा- "मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती हूं। ABVP से नहीं डरती। मैं अकेली नहीं हूं। भारत का हर स्टूडेंट मेरे साथ है।’
इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के बारे में उनका एक पोस्टर वायरल हुआ और वे ट्रोल होने लगीं. दरअसल, पिछले साल 28 अप्रैल को गुरमेहर कौर ने चार मिनट का वीडियो अपलोड किया था. इसमें उन्होंने एक-एक कर 36 पोस्टर दिखाए थे लेकिन पोस्टर नंबर 13 वायरल हो गया. इसमें उन्होंने लिखा था कि पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है. जब गुरमेहर ने एबीवीपी के खिलाफ कैम्पेन शुरू किया तो ट्रोलर्स ने उनके इसी पोस्टर नंबर 13 को वायरल कर दिया.
और अब ऐसा लग रहा है कि देश दो हिस्सों में बंट गया है. एक गुरमेहर के साथ है और दूसरा उसके खिलाफ. इस विवाद से परेशान गुरमेहर अपने घर लौट गई हैं. 

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