इस योगी को जान और पहचान तो लीजिये

योगी आदित्य नाथ: फ़ाइल फोटो

वे कट्टर हिंदूवादी हैं. उनके पास कोई तजुर्बा नहीं है. वे साधु हैं.यूपी सरीखा राज्य कैसे चलाएंगे. वे अब राज्य से मुसलमानों को भगा देंगे...जैसे ढेरों सवाल बीते तीन-चार दिनों से यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ को लेकर फ़िजा में हैं. अपनी भड़ास कोई टीवी पर निकाल रहा है तो कोई अखबारों में. जो कहीं जगह नहीं पा रहा वह सोशल मीडिया पर ही लगा हुआ है.
यह सब देखते, सुनते, पढ़ते मैं बहुत हैरान हूँ. क्योंकि योगी जी के बारे में वे लोग भी लम्बी-लम्बी दिए जा रहे हैं, जिन्होंने न तो उनका मंदिर देखा है और न ही उनकी कार्यप्रणाली. वे लगातार सांसद हैं. उनकी लोकप्रियता को देखने के लिए किसी भी पत्रकार या टिप्पणीकार को एक बार गोरखनाथ मंदिर जरूर जाना चाहिए. और अच्छा रहेगा कि ऐसे लोग भीड़ का हिस्सा बनकर इस झूठे सच को महसूस करें. एक बार इस नौजवान संत की दिनचर्या देखे. यह भी देखें कि आसपास कौन लोग हैं?
और यह भी कि मंदिर परिसर और आसपास के मोहल्लों में मौजूद मुसलमानों के लिए योगी जी क्या हैं? यह भी कि जब देश दंगे की आग में झुलस रहा था तो भी मंदिर के आसपास के मुसलमान और हिन्दू बिल्कुल सुरक्षित थे. मंदिर में ढेरों सेवादार अभी भी मुसलमान हैं.
हाँ, यह सच है कि योगी जी दबंग हैं. वे अपने इलाके की जनता के हर दुःख-सुख में शामिल होते हैं. गोरखपुर प्रवास के दौरान वे चाहें तो मंदिर में ही दरबार लगाया करें. पर, वे ऐसा नहीं करते. सुबह मंदिर में मौजूद अपने मतदाताओं से मिलने के बाद वे सीधे क्षेत्र के दौरे पर निकल लेते हैं.
क्षेत्र भ्रमण के दौरान मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण के दौरान कई बार वे अफसरों के साथ सख्ती से पेश आते हैं. पर, तभी जब उन्हें लगने लगेगा कि अमुक अफसर ने वाकई लापरवाही की है. अन्यथा, वही गुस्सा वे शिकायतकर्ता पर उतारने में विलम्ब नहीं करते.
मैं जिन योगी जी को थोड़ा-बहुत जानता हूँ, वे बेहद विनम्र, मिलनसार भी हैं. हाँ, लेकिन वे संत हैं. हिन्दू धर्म में उनकी आस्था किसी से कम नहीं है, बल्कि ज्यादा ही है. उनका गुस्सा तब बढ़ता है, जब वे यह देखते हैं कि कोई व्यक्ति, धर्म, सम्प्रदाय किसी दूसरे के साथ खेल रहा है.और यही बात लोगों को पता है, इसलिए योगी कट्टरपंथी हैं. मुसलमानों के दुश्मन हैं.
योगी जी मंदिर परिसर में ही एक बड़ा अस्पताल चलाते हैं. जो न केवल सस्ता है बल्कि यहाँ के इलाज पर सबको भरोसा है. बड़ी संख्या में वनवासी बच्चे मंदिर में न केवल रहते हैं, बल्कि उनकी पूरी शिक्षा, भोजन आदि की निःशुल्क व्यवस्था की गई है. आवासीय संस्कृत विद्यालय के बच्चों को देखना अच्छा लगता है. यह सुविधा भी निःशुल्क है. यहाँ से निकले बच्चे कर्मकाण्ड, भांति-भांति के पूजा-पाठ करके न केवल हिन्दू धर्म की रक्षा करते हैं, बल्कि आजीविका भी चलाते हैं.
गोरखपुर शहर में अकेले योगी जी दर्जन भर से ज्यादा शिक्षण संस्थान चलाते हैं. ये सभी संस्थाएं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जानी जाती हैं. आसपास के जिलों में भी मंदिर का बड़ा योगदान शिक्षा के क्षेत्र में है.
मुझे लगभग दो वर्ष तक एक पत्रकार के रूप में गोरखपुर में काम करने का मौका मिल चुका है और उसी दौरान मेरी मुलाकातें भी हुईं. उसके पहले तक मैं भी योगी जी को वैसे ही जानता था, जैसे बाकी ढेरों लोग जान रहे हैं और उनकी मीमांसा कर रहे हैं. पत्रकार के रूप में मिला था और वहां से आने के बाद भी रिश्ता उन्होंने नहीं तोड़ा. सीएम बनने के बाद न तो मेरी मुलाकात है और न ही कोई बातचीत. लेकिन रिश्तों को जीना भी योगी जी को आता है.
मैं वहां बड़े अखबार का संपादक था. पर, आज वैसा नहीं है. धीरे-धीरे दो साल हो गया गोरखपुर छूटे, पर रिश्तों में वही गर्माहट मैंने महसूस की, जो वहां संपादक के रूप में महसूस करता था. मुख्यमंत्री के रूप में वे कितने कामयाब होंगे, इस पर अभी कुछ भी कहना बहुत जल्दी होगी. उन्हें वक्त देना होगा.
जिस तरह की मीमांसा हो रही है, वह शायद अभी उचित नहीं है. एक बात और. वह यह कि जब हम अपने परिवार को संतुष्ट नहीं कर पाते तो 21 करोड़ लोगों को संतुष्ट करना योगी जी के लिए बहुत आसान नहीं है. और यह बात वे भी जानते हैं. फिर भी औरों से ज्यादा काम वे करेंगे, ऐसा भरोसा मुझे है.

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