बेनामी संपत्ति वालों सावधान! अख़बारों के विज्ञापन जरूर पढ़ लें

केंद्र सरकार ने बेनामी संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के क्रम में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है. अखबारों में आयकर विभाग की ओर से दिया गया विज्ञापन इसी कड़ी का एक अहम हिस्सा है. इस विज्ञापन पर नजर डालें तो पता चलता है कि सरकार ने लोगों को आगाह किया है कि समय है, सुधार जाओ. नहीं तो बाद में जुर्माना और जेल दोनों भुगतने के लिए तैयार रहो.
विज्ञापन की भाषा और सरल होता तो ज्यादा लोगों को समझ आता, पर बेनामी संपत्ति वालों को तो यह भाषा भी आसानी से समझ आएगी. क़ानून के मुताबिक इसकी जद में आने वालों को सात साल की जेल की सजा के साथ-साथ आयकर अधिनियम के तहत भी आरोपी बनाया जा सकता है.
देश के कई अखबारों में  छपे विज्ञापन में आयकर विभाग ने कहा कि ‘बेनामी संव्यवहार न करें.’ क्योंकि बेनामी संपत्ति संव्यवहार का प्रतिषेध अधिनियम-1988 एक नवंबर 2016 से ‘अब सक्रिय है.’ इसमें कहा गया है, ‘‘काला धन मानवता के विरूद्ध एक अपराध है. 
विज्ञापन में महकमे ने कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों से सहयोग की अपेक्षा की है. अनुरोध किया गया है कि इसके उन्मूलन में सरकार को सहयोग दें.’’ विज्ञापन में विभाग ने कानून की कुछ अन्य महत्वपूर्ण धाराओं पर भी प्रकाश डाला है.
इसके अनुसार, ‘‘बेनामीदार (जिसके नाम पर बेनामी संपत्ति है) और हिताधिकारी (जिसने वास्तव में प्रतिफल का भुगतान किया है) और वे व्यक्ति जो बेनामी संव्यवहार के लिए उकसाते हैं या प्रलोभन देते हैं, वे अभियोज्य है और उन्हें बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य वर्ष के 25 प्रतिशत तक के जुर्माने के अतिरिक्त सात वर्ष तक का कठोर कारावास हो सकता है.’’
इसमें यह भी कहा गया है, ‘‘जो व्यक्ति बेनामी अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकारियों के समक्ष झूठी सूचना पेश करते हैं, वे अभियोज्य हैं और उन्हें बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य के 10 प्रतिशत तक के जुर्माने के अतिरिक्त पांच वर्ष तक का कारावास हो सकता है.’’ विभाग ने स्पष्ट किया है कि बेनामी संपत्तियों को सरकार कुर्क या जब्त कर सकती है. ये कार्रवाईयां आयकर अधिनियम 1961 जैसे अन्य कानूनों के अंतर्गत की जाने वाली कार्रवाईयों से अलग होंगी.
पिछले साल नवंबर में कानून के प्रभावी होने से अब तक विभाग ने देशभर में ऐसे 230 मामले दर्ज किए हैं और करीब 55 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं.

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