युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हो सकती है अगम की कहानी

इस बार मिलिए अगम खरे से| महज 28 वर्ष का यह नौजवान बहुत ऊँची उड़ान भर चुका है| लेकिन  जमीन पर रहकर जमीन की ही सोचता है| आम हिन्दुस्तानी के बारे में सोचता है| भविष्य की जरूरतों पर विचार-विमर्श करता है| समाधान की तलाश में पूरी दुनिया घूम रहा है| अगम का कहना है मैं लोगों की जरूरतों के हिसाब से काम करना चाहता हूँ| मैं तो दुआ करूँगा कि ऊपर वाला अगम की तमन्ना पूरी करे क्योंकि वह इन दिनों 25-30 वर्ष बाद देश-दुनिया के सामने आने वाली भोजन की समस्या के समाधान पर काम कर रहा है| आमीन अगम|
अगम खरे

अगम से मेरी मुलाकात पिछले दिनों लखनऊ में हुई| बातचीत के केंद्र में रोबोट रहा| मुझे लगा कि इस युवा से बात की जानी चाहिए| मैंने पहल की| दोनों साथ बैठे तो बहुत दूर तक की बातें हुईं| राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से वर्ष 2012 में बीटेक करने वाला यह नौजवान रोबोट की दुनिया का दादा-नाना लगता है| अगम के प्रेरणा स्रोत महान वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी और उनके शिक्षक प्रो. एमएल भार्गव जी हैं| इस नौजवान का मानना है कि इन दोनों ही महान हस्तियों के बिना वे कुछ भी नहीं| अगम कहते हैं कि कुछ सालों बाद हमारे देश और दुनिया के तमाम हिस्सों में फ़ूड का बड़ा संकट आने वाला है| अव्वल तो खेती की जमीन कम हो रही है| जो जमीन है उसकी उर्वरा क्षमता लगातार घट रही है| पानी का जबरदस्त संकट आने वाला है या यूँ कहिए कि आकर खड़ा है लेकिन हम देख नहीं पा रहे हैं|
बकौल अगम, जल स्रोत समाप्त हो रहे हैं| हम उपलब्ध पानी का 80 फ़ीसदी हिस्सा सिंचाई में खर्च करते हैं लेकिन उस पानी को फिर से इस्तेमाल करने लायक नहीं छोड़ रहे हैं| इसका दूसरा मतलब यह है कि हम खाद, केमिकल आदि के सहारे इतनी जहरीली चीजें जमीन के अंदर भेज दे रहे हैं कि रिचार्ज हो रहा पानी जहरीला हो रहा है| वैसे भी जल संरक्षण के मामले में हम अभी शैशवास्था में हैं| जमीन कम हो रही, पानी खराब हो रहा है तो दुनिया के सामने आने वाले दिनों में जो सबसे बड़ा संकट आने वाला है, वह है फ़ूड का| अगम अपनी बात को आगे बढ़ाते हैं-हम चाँद पर पहुँच जाएँ या मंगल, बुध पर लेकिन खायेंगे अनाज ही, सब्जियाँ ही| उसके रूप-स्वरुप कुछ भी हो सकते हैं लेकिन बेस अन्न और सब्जियाँ ही रहने वाले हैं| मैं इसी संकट से निपटने की दिशा में काम कर रहा हूँ| अगम ने तमाम विज्ञानियों की मदद और अपनी सूझ-बूझ से ऐसी तकनीक विकसित कर ली है जहाँ एक एकड़ जमीन पर चार सौ एकड़ की पैदावार संभव है| वह भी बिना खाद, मिटटी, सूरज की रोशनी के| हाँ, पानी की मामूली जरूरत जरुर पड़ेगी इन फसलों को|
अगम का मानना है कि भारत को उसकी खोई हुई साख वापस दिलाने में वे अपना किंचित योगदान देना चाहते हैं| वर्ष 1700 तक हमारा देश बहुत संपन्न था, मैं वैसा ही संपन्न भारत देखना चाहता हूँ| इस दिशा में अगम ने कदम बढ़ा दिए हैं| गुरुग्राम में पांच हजार वर्ग फुट जमीन पर उन्होंने देश का पहला प्लांट लगा दिया है| अगले साल तक देश के कुछ हिस्सों में बड़े प्लांट लगाने के साथ ही इस तकनीक में वे दुनिया के बड़े खिलाड़ियों में से एक हो जाएँगे| अगम का कहना है कि यहाँ जो भी उत्पादन होगा, वह स्वस्थ भारत के लिए होगा| अभी हमें बिल्कुल नहीं पता है कि हम जो खा रहे हैं, वह क्या है? उसकी गुणवत्ता कैसी है? वह हमारे सेहत को कितना नुकसान कर रहा है? मैं अगम के मिशन और विजन से बहुत प्रभावित हूँ| अगम की नजर में भूख दुनिया के सामने आज भी विकराल रूप में खड़ी है लेकिन हम उसे देख नहीं पा रहे हैं| इस उम्र में इतने बड़े सपने देखने वाला नौजवान सामान्य नहीं हो सकता| जो युवा कॉलेज में हैं या बाहर निकल कर सिस्टम को कोस रहे हैं, उनके लिए अगम प्रेरणास्रोत हो सकते हैं| यह नौजवान कॉलेज में रहने के दौरान ही कुछ नया करने की सोच रखता था| उस पर डटा रहा और आज वह कामयाबी की डगर पर अपने कदम मजबूती से बढ़ा रहा है| आप भी सामान्य परिवार से निकले इस नौजवान से सीख सकते हैं| 

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