हलवा समारोह के साथ शुरू हुई बजट की छपाई, जानिए कुछ ख़ास बातें

हलवा समारोह में शिरकत करते वित्त मंत्री अरुण जेटली : साभार

बजट 2017-18 के दस्‍तावेजों की प्रिंटिंग की प्रक्रिया गुरुवार यानी आज 19 जनवरी को हलवा समारोह की परंपरा के साथ शुरू हो गई. वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने भी इस समारोह में हिस्सा लिया. यह बजट दस्‍तावेजों की छपाई से पहले की एक रस्‍म है और पारंपरिक रूप से मनाई जाती है. कहते हैं कि परंपरा के मुताबिक हलवा खुद वित्त मंत्री बजट से जुड़े सभी लोगों को बांटते हैं.

हलवा बांटे जाने के बाद वित्‍त मंत्रालय के ज्‍यादातर अधिकारी और कर्मचारियों को मंत्रालय में ही पूरी दुनिया से कट कर रहना होता है. दरअसल, बजट किसी भी सरकार का गोपनीय दस्तावेज है. इसे बनाने की प्रक्रिया में लगे सौ अधिकारी दो से तीन सप्ताह तक नॉर्थ ब्लॉक में रहते हैं. वे वहां तब तक रहते हैं जब तक वित्त मंत्री बजट वाले दिन अपना भाषण खत्म नहीं कर लेते. इस दौरान ये बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे हुए होते हैं. जानकारी के मुताबिक, यहां तक कि वे अपने परिवारों के संपर्क में भी नहीं होते. उनके पास केवल एक फोन होता है जिसके जरिए वे केवल कॉल रिसीव कर सकते हैं, मगर कहीं कॉल कर नहीं सकते हैं. बजट पत्र वित्त मंत्रालय के निजी प्रेस में छपते हैं.

आम बजट से जुड़ी कुछ खास बातें
रेल बजट का विलय- दरअसल भारतीय संविधान के आर्टिकल 112 के मुताबिक, केंद्रीय बजट किसी भी सरकार का आगामी वित्त वर्ष के लिए अनुमानित खर्चों से जुड़ा ब्यौरा है. करीब 92 साल तक रेल बजट आम बजट से अलग पेश किया जाता था. लेकिन पिछले साल मोदी सरकार ने फैसला किया कि रेल बजट का यूनियन बजट में विलय कर दिया जाए. इसी के साथ ब्रिटिशकालीन परंपरा का भी अंत हो गया. इस बार भारतीय रेलवे संबंधी घोषणाएं भी 1 फरवरी यानी आम बजट के जरिए ही की जाएंगी.

भारत का पहला बजट- भारत का पहला बजट ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा 18 फरवरी अप्रैल 1869 को पेश किया गया था. इसे जेम्स विल्सन ने पेश किया था, वह इंडियन काउंसिल के फाइनेंस मेंबर थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने ही आगे चलकर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और द इकॉनमिस्ट की नींव रखी थी.

आजाद भारत का पहला बजट- आजादी के बाद देश का पहला बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री थे आरके शनमुकम चेट्टी. उन्होंने 26 नवंबर 1947 को बजट पेश किया था. इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी और कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया था. केसी नेगी भारत के ऐसे वित्त मंत्री थे जिन्होंने बजट नहीं पेश किया था. वह केवल 35 दिनों तक वित्त मंत्री के पद पर रहे थे.

सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री- सबसे ज्यादा 10 बार बजट पेश करने का रेकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है. 7 बार बजट पेश करने वालों में प्रणव मुखर्जी, पी चिदंबरम, यशवंत सिन्हा, वाईबी चौहान, सीडी देशमुख हैं. मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णामाचारी ने छह बार बजट पेश किए हैं.

देश के प्रधानमंत्री ने भी किए बजट- वैसे तो देश का वित्त मंत्री ही बजट पेश करता है. लेकिन इतिहास में ये मौके भी आए जब जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को प्रधानमंत्री रहते बजट पेश करना पड़ा था. उस वक्त उनके वित्त मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था.

बजट और गोपनीयता- बजट किसी भी सरकार का गोपनीय दस्तावेज है. इसे बनाने की प्रक्रिया में लगे 100 अधिकारी दो से तीन सप्ताह तक नॉर्थ ब्लॉक में रहते हैं. इस दौरान वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे हुए होते हैं. यहां तक कि अपने परिवारों के संपर्क में भी नहीं होते. उनके पास केवल एक फोन होता है जिसके जरिए वे केवल कॉल रिसीव कर सकते हैं, मगर कहीं कॉल कर नहीं सकते हैं. बजट पत्र वित्त मंत्रालय के निजी प्रेस में छपते हैं.

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