ये जिंदगी ऐसी ही है रूबी
प्रिय रूबी आज मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ. अपने रिश्ते के बारे में. तुम समझने का प्रयास जरूर करना. वक्त से ज्यादा और समय से पहले कुछ नहीं मिलता. हमारे बुजुर्गों ने काफी तजुर्बे के बाद ये लाइन कही होगी जो आज कहावत सी हो चली है. असल में तुम्हारी नाराजगी, गुस्सा इसलिए कि तुम इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती हो. तुम मुझ पर भरोसा भी नहीं करती हो. तुम्हारे पास जो है, उससे ख़ुशी तुम्हें मिलती नहीं जो नहीं है उसके पीछे भागती दिखती हो. बेहतर हो कि जो तुम्हारे पास है उससे खुश रहो. मुझे भरोसा है कि वह भी मिल जाएगा जो तुम चाहती हो. तुम एक बेहतरीन इंसान हो. पत्नी हो. दोस्त हो. माँ हो. मुझे लगता है कि तुम्हारे बिना हमारा जीवन चलेगा ही नहीं. तुमने हमें लाचार बना दिया है अपने प्यार से. खाने के स्वाद से. अपने प्रबंधन से. तुम इस बात पर तो भरोसा करोगी ही कि पंचतारा की पार्टियों में परोसे जाने वाले भोजन भी मुझे इसलिए पसंद नहीं आते क्योंकि तुम्हारे हाथों से बने खाने में जो स्वाद है, वह कहीं है ही नहीं. घर को जैसा तुम सहेज लेती हो, ऐसी मुझे कोई नारी दिखी ही नहीं. जब भी मैं संकट में आया, तुम समाधान बनकर सा...