...तो इस वजह से विधान सभा चुनावों की घोषणा में हो रहा विलम्ब !
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी : प्रतीकात्मक फोटो साभार |
भारत निर्वाचन आयोग अब दो जनवरी या उसके बाद पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा. उम्मीद जताई जा रही थी कि आयोग 28 दिसंबर को अधिसूचना जारी करेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली दो जनवरी को लखनऊ में प्रस्तावित है.
कहीं न कहीं अधिसूचना जारी न होने के पीछे यह एक बड़ा कारण हो सकता है. हालाँकि, इन दोनों बातों का आपस में कोई सीधा तालमेल नहीं है, लेकिन है भी. नोटबंदी के बाद विपक्ष लगातार हमले कर रहा है. मोदी भी जवाब दे रहे हैं. पर चुनाव में जाने से पहले प्रधानमंत्री यूपी जैसे बड़े राज्य में नोटबंदी पर मरहम लगाना चाहेंगे. रैली को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने बड़े पैमाने पर तैयारियां कर रखी हैं.
अगर इससे पहले चुनाव घोषणा हो जाती है तो रैली का रंग फीका हो सकता है. जानकारों का मानना है कि आयोग इस तरह की चीजों का भी ध्यान रखता है. लखनऊ की रैली में कुछ घोषणाएं भी हो सकती हैं. अधिसूचना के बाद प्रधानमंत्री को एक सीमा में रहना पड़ता. भाषण देते समय खास सावधानी बरतनी पड़ती. आयोग यूँ तो भले ही स्वतंत्र संस्था है लेकिन कहीं न कहीं चुनाव में उसे केंद्र का सहयोग चाहिए होता है.
जानकारों का कहना है कि किसी भी हालत में ये चुनाव मार्च के पहले सप्ताह तक हो जाने हैं. अन्यथा बोर्ड इम्तहान में दिक्कत आएगी. ये चुनाव उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब में होने हैं. इनमें यूपी को छोड़ बाकी राज्यों में एक ही चरण में चुनाव संपन्न होना है. इस बीच आयोग ने बोर्ड परीक्षाओं के मतदान की तिथियों में टकराव नहीं होने के मुद्दे पर चर्चा कर ली है.
चुनाव आयोग मतदान की तारीख का ऐलान करने के बाद अधिकतम 21 दिन राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए देता है. इसके बाद नामांकन प्रक्रिया और मतदान के संबंध में आयोग की ओर से एक अधिसूचना जारी की जाती है. राजनीतिक दलों के पास इस दौरान दो सप्ताह से ज्यादा समय नामांकन कराने के लिए होता है. इसके बाद मतदान निर्धारित चरणों में कराया जाता है.
आयोग की सबसे बड़ी चिंता इन राज्यों में बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन को लेकर थी जिस पर यह स्पष्ट हो गया है कि जनवरी से मार्च के पहले सप्ताह तक की अवधि में आयोग विस चुनाव करा सकता है. याद रहे कि पांच राज्यों में से गोवा, मणिपुर और पंजाब में विस का कार्यकाल 18 मार्च जबकि उत्तराखंड विस का कार्यकाल 26 मार्च को खत्म हो रहा है। यूपी विस का कार्यकाल 27 मई को समाप्त हो रहा है.
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