रिश्ते टूटने के बाद शिवसेना-भाजपा का अगला कदम क्या होगा?
शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे: फ़ाइल फोटो : साभार |
यह सच है कि अगर शिवसेना महाराष्ट्र सरकार से समर्थन वापस लेती है तो वहां भाजपा अल्पमत में आ जाएगी. उसे तुरंत समर्थन की जरुरत होगी. इस स्थिति में केवल शरद पवार की एनसीपी ही है, जिसके समर्थन के बाद सरकार को कोई दिक्कत नहीं आने वाली. जानकर मान भी रहे हैं कि ऐसा ही होगा. हालाँकि, केंद्र सरकार पर शिवसेना के समर्थन वापस लेने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
गणतंत्र दिवस पर एक रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, “अगर आप मुझे वचन दोगे तो मैं अभी आपको मेरा फैसला बता रहा हूं, इसके आगे शिवसेना अकेली महाराष्ट्र में लडेगी. गठबंधन के लिये मैं किसी के भी आगे कटोरा ले कर खडा नही रहूंगा. इसके आगे जो भी रहेगा वो मेरा और मेरे शिवसेना का रहेगा. किसी से भी भीख नही मागूंगा.” रैली में उद्धव ठाकरे ने सिर्फ गठबंधन तोड़ने का ही एलान नहीं किया बल्कि बीजेपी पर बरसे भी.
उद्धव ठाकरे के बयान पर बीजेपी की तरफ से खुद सीएम ने जवाब दिया. फडणविस ने ट्वीट किया, ”सत्ता यह साध्य नही, साधन है विकास का! जो आए उसके साथ, जो ना आए उसके बिना…परिवर्तन तो होकर ही रहेगा !”
इस बाद में दम इसलिए लगता है क्योंकि हाल के दिनों में शरद पवार और बीजेपी के बीच नजदीकी बढ़ी है. दो दिन पहले ही शरद पवार को पद्म विभूषण का सम्मान भी देने का एलान किया गया. उद्दव ठाकरे ने रैली में इस पर नाम लिए बिना कटाक्ष भी किया. उद्धव ने कहा कि कल जो पद्म पुरस्कार दिए गए उनमें एक पुरस्कार गुरुदक्षिणा में भी दिया गया. शरद पवार और बीजेपी की दोस्ती को लेकर चर्चा गरम है लेकिन फिलहाल पवार अपने पत्ते नहीं खोल रहे.
बीएमसी चुनाव दूसरा मौका है जब बीजेपी-शिवसेना अलग अलग चुनाव लड़ेंगी. इससे पहले पिछला विधानसभा चुनाव भी दोनों अलग अलग ही लड़े थे. चुनाव बाद गठबंधन हुआ था और दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई थी, फिलहाल महाराष्ट्र के साथ साथ केंद्र की मोदी सरकार में भी शिवसेना बीजेपी के साथ है.
उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि अब आगे कभी गठबंधन के लिए किसी के दरवाजे पर नहीं जाएंगे. इससे एक और सवाल खड़ा हो गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में क्या होगा? अभी केंद्र सरकार में शिवसेना बीजेपी के साथ सहयोगी है.
बीएमसी चुनाव से पहले शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया है, अब सवाल है कि क्या महाराष्ट्र की सरकार से भी शिवसेना समर्थन वापस लेगी. अगर ऐसा होगा तो क्या होगा, आंकड़ों के जरिए आपको पूरा गणित समझाते हैं. महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं इनमें बीजेपी के पास 122, शिवसेना के पास 63 कांग्रेस के पास 42, एनसीपी के पास 41 और 20 सीटें अन्य के पास हैं. 288 सीटों की विधानसभा में बहुमत के लिए 145 सीटें चाहिए. अभी बीजेपी और शिवेसना को मिलाकर कुल 185 सीटें हैं यानी बहुमत है. अब अगर शिवसेना अपना समर्थन वापस ले ले तो क्या होगा. बीजेपी के पास सिर्फ 122 सीटें बचेंगी जो की बहुमत से 23 सीट कम है. ऐसे में अगर एनसीपी बीजेपी को समर्थन दे तो बात बन जाएगी. बीजेपी के 122 और एनसीपी के 41 विधायक मिलकर कुल संख्या हो जाएगी 163 यानी बहुमत हो जाएगा.
उद्धव ठाकरे के बयान पर बीजेपी की तरफ से खुद सीएम ने जवाब दिया. फडणविस ने ट्वीट किया, ”सत्ता यह साध्य नही, साधन है विकास का! जो आए उसके साथ, जो ना आए उसके बिना…परिवर्तन तो होकर ही रहेगा !”
इस बाद में दम इसलिए लगता है क्योंकि हाल के दिनों में शरद पवार और बीजेपी के बीच नजदीकी बढ़ी है. दो दिन पहले ही शरद पवार को पद्म विभूषण का सम्मान भी देने का एलान किया गया. उद्दव ठाकरे ने रैली में इस पर नाम लिए बिना कटाक्ष भी किया. उद्धव ने कहा कि कल जो पद्म पुरस्कार दिए गए उनमें एक पुरस्कार गुरुदक्षिणा में भी दिया गया. शरद पवार और बीजेपी की दोस्ती को लेकर चर्चा गरम है लेकिन फिलहाल पवार अपने पत्ते नहीं खोल रहे.
बीएमसी चुनाव दूसरा मौका है जब बीजेपी-शिवसेना अलग अलग चुनाव लड़ेंगी. इससे पहले पिछला विधानसभा चुनाव भी दोनों अलग अलग ही लड़े थे. चुनाव बाद गठबंधन हुआ था और दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई थी, फिलहाल महाराष्ट्र के साथ साथ केंद्र की मोदी सरकार में भी शिवसेना बीजेपी के साथ है.
उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि अब आगे कभी गठबंधन के लिए किसी के दरवाजे पर नहीं जाएंगे. इससे एक और सवाल खड़ा हो गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में क्या होगा? अभी केंद्र सरकार में शिवसेना बीजेपी के साथ सहयोगी है.
बीएमसी चुनाव से पहले शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया है, अब सवाल है कि क्या महाराष्ट्र की सरकार से भी शिवसेना समर्थन वापस लेगी. अगर ऐसा होगा तो क्या होगा, आंकड़ों के जरिए आपको पूरा गणित समझाते हैं. महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं इनमें बीजेपी के पास 122, शिवसेना के पास 63 कांग्रेस के पास 42, एनसीपी के पास 41 और 20 सीटें अन्य के पास हैं. 288 सीटों की विधानसभा में बहुमत के लिए 145 सीटें चाहिए. अभी बीजेपी और शिवेसना को मिलाकर कुल 185 सीटें हैं यानी बहुमत है. अब अगर शिवसेना अपना समर्थन वापस ले ले तो क्या होगा. बीजेपी के पास सिर्फ 122 सीटें बचेंगी जो की बहुमत से 23 सीट कम है. ऐसे में अगर एनसीपी बीजेपी को समर्थन दे तो बात बन जाएगी. बीजेपी के 122 और एनसीपी के 41 विधायक मिलकर कुल संख्या हो जाएगी 163 यानी बहुमत हो जाएगा.
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