केंद्र सरकार ने कर ली है एक और टैक्स लगाने की तैयारी, जानना चाहेंगे

आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू
आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू की समिति की सिफारिश अगर केंद्र सरकार ने मान ली तो 50 हजार रुपये या उससे अधिक नगदी निकासी पर टैक्स लग सकता है. मुख्यमंत्रियों की समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी अपनी अंतरिम रिपोर्ट में ऐसी ही कुछ सिफारिश की है. 
डिजिटल भुगतान पर गठित इस समिति की अध्यक्षता आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने की. यहां बता दें कि कांग्रेस नीत यूपीए गठबंधन को साल 2005 में ऐसा ही कदम उठा लेने के बाद हुए विरोध के चलते इसे वापस लेना पड़ा था. 
नायडू ने स्पष्ट करते हुए कहा- उस वक्त डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था और इसी कारण इस कदम का विरोध हुआ था. अब हमारे पास डिजिटल ट्रांजैक्शन और मोबाइल हैं जो इस सबको बेहद आसान बनाते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि इन सिफारिशों को आगामी केंद्रीय बजट, जोकि 1 फरवरी को पेश किया जाना है, में शामिल किया जाएगा. 
बता दें कि इस समिति ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई सिफारिशें की हैं जिनमें से एक है क्रेडिट कार्ड भुगतान पर बैंकों द्वारा लिए जाने वाले टैक्स को हटाए जाने, इनकम (आय) के तय अनुपात में डिजिटल भुगतान करने वाले ग्राहकों को कर-वापसी और स्मार्टफोन पर एक हजार रुपये की छूट दिए जाने की सिफारिशें शामिल हैं. मुख्यमंत्रियों की इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'बड़े लेन-देन के मामले में नकदी के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए 50,000 रुपए से अधिक के लेनदेन पर बैंक द्वारा कर लगाया जाए.
हर तरह के बड़े लेनदेन में नकदी के लेनदेन की अधिकतम सीमा तय की जाए.' रिपोर्ट में आधार कार्ड के इस्तेमाल पर खास जोर दिया गया है और कहा गया है कि बैंकों द्वारा केवाईसी फॉर्म में आधार कार्ड नंबर को प्राथमिक पहचान चिह्न बनाया जाना चाहिए और इस संबंध में मौजूदा आधार कानून का इस्तेमाल किया जा सकता है.
रिपोर्ट में डिजिटल भुगतान के मामले में भारत दुनिया में कितना पीछे है, इस बारे में भी बताया गया है. इसके मुताबिक, जहां चीन में हर 10 लाख व्यक्तियों पर डिजिटल भुगतान के लिए 16,602 जगहें हैं, मेक्सिको में 7,189, ब्राजील में 25,241 और सिंगापुर में 31,096 पे पॉइंट हैं, वहीं भारत में हर 10 लाख लोगों पर सिर्फ 1,080 डिजिटल भुगतान के केंद्र हैं.

समिति ने माइक्रो एटीएम के लिए करों में प्रोत्साहन देने की सिफारिश भी की है. साथ ही, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए दिशा-निर्देशों में भी बदलाव की सिफारिश की है. यह समिति बीते वर्ष नोटबंदी की घोषणा के बाद नवंबर में गठित की गई थी. समिति का उद्देश्य पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल लेनदेन प्रणाली को प्रोत्साहन देना, वित्तीय समावेशन और इस संबंध में एक रूपरेखा तैयार करना था.

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