इसे कहते हैं किस्मत: सीएम बनने चली थीं, जेल पहुँचने वाली हैं शशिकला

शशिकला: फ़ाइल फोटो:साभार


जयललिता की सहयोगी रहीं वीके शशिकला के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति के केस में सुप्रीम कोर्ट ने चार साल की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलूरू के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को तुरंत सरेंडर करने को कहा है.
इसी आदेश के साथ शशिकला का तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनने का सपना चकनाचूर हो गया है. अब वे फ़िलहाल जेल जाएंगी. अब शशिकला को 10 साल तक कोई राजनीतिक पद नहीं मिल पाएगा. अब शशिकला 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगी.
शशिकला के अलावा सुधाकरन और इल्वरासी को 4 साल की कैद और 10-10 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. जयललिता के दिवंगत हो जाने के चलते उनका मामला खत्म कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उन्हें तुरंत अदालत जाकर सरेंडर करना होगा. अब उनके पास सिर्फ पुर्नविचार याचिका दायर करने का विकल्प है लेकिन उसमें भी समय लगेगा.
यह भी जानें
27 सितंबर 2014 को बेंगलूरु की विशेष अदालत ने जयललिता को 4 साल की सजा सुनाई थी. इसके अलावा जयललिता पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
इस केस में ही शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी चार साल की सजा सुनाई गई थी और 10-10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया था. फैसले के बाद चारों को जेल भी भेजा गया था. जिसके बाद विशेष अदालत के बाद मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा था.
यह मामला करीब 21 साल पुराना है, जब जयललिता के खिलाफ आय से 66 करोड़ रुपये की ज्यादा की संपत्ति का केस दर्ज हुआ था.
इस केस में जयललिता के साथ शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी आरोपी बनाया गया था. शशिकला के खिलाफ ये केस निचली अदालतों से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है.
11 मई 2015 को हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में चारों को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट से जयललिता और शशिकला को बड़ी राहत तो मिली थी. 
बाद में कर्नाटक की सरकार जयललिता की विरोधी पार्टी डीएमके और बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. कर्नाटक सरकार इस मामले में इसलिए पड़ी, क्योंकि 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने केस को कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था.

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