बाप रे बाप! इतने आपराधिक छवि के एमएलए पहुँचने वाले हैं यूपी विधान सभा
यूपी विधान सभा: प्रतीकात्मक फोटो: साभार |
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त हो चुके हैं. 11 मार्च को परिणाम आने हैं. सरकार किसकी बनेगी, इस पर वाद-विवाद, बहस-मुबाहिसा चल ही रहे हैं लेकिन एक बात जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, उस पर शायद बहुत कम लोगों का ध्यान है.
एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि लगभग 18 फ़ीसदी आपराधिक प्रवृत्ति के लोग चुनाव लड़ रहे हैं. अगर इतने ही फ़ीसदी विधान सभा पहुँच गए तो तय मानिए कि 72 दागी विधायक अनिवार्य रूप से इस सदन का हिस्सा होंगे. यह संख्या कुछ आगे भी बढ़ सकती है. क्योंकि बसपा ने 38 फीसद, सपा ने 37 फीसद, भाजपा ने 36 फीसद, कांग्रेस ने 32 फीसद और लोकदल ने 20 फीसद दागी लोगों को मैदान में उतारा है. मतलब सरकार बनाने के लिए इन राजनीतिक दलों को न तो अपराधियों से रिश्ता रखने में कोई दिक्कत है और न ही किसी गठजोड़ से इन्हें परहेज है.
एडीआर के विश्लेषण के मुताबिक इस विधानसभा चुनाव में कुल 4853 प्रत्याशी मैदान में रहे, जिनमें से 4823 उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों का आकलन किया है. नामांकन पत्रों के आकलन के आधार पर रिपोर्ट बताती है कि विधानसभा चुनाव 2017 में कुल 859 यानि 18 फीसद उम्मीदवारों के किसी न किसी तरह के आपराधिक रिकार्ड हैं. यह आंकड़ा कुल सीट- 403 के दोगुने से भी ज्यादा है.
सुचिता की बात करने वाली राजनीतिक पार्टियों ने आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट देने में कोई कसार नहीं रखी है. इस लिस्ट में सबसे ऊपर मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी का नाम आता है. बसपा ने 400 में से कुल 150 आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट दिया. बसपा वही पार्टी है, जो एक समय 'चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर' जैसा नारा भी दे चुकी है, लेकिन इस बार पार्टी ने 38 फीसद टिकट बाहुबलियों या आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को दिये हैं.
उत्तर प्रदेश में सत्ता हथियाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है. राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और पूर्ववर्ती बसपा पर भाजपा हमेशा गुण्डों को प्रश्रय देने का आरोप लगाती रही है. लेकिन जब विधानसभा चुनाव 2017 में टिकट देने की बात आयी तो पार्टी ने अपने कुल 383 उम्मीदवारों में से 137 यानि 36 फीसद आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट थमा दिया.
सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर हमेशा ही गुंडों को प्रश्रय देने का आरोप लगता रहा है और पार्टी ऐसे आरोपों को समय-समय पर नकारते भी रही है. एक नजर विधानसभा चुनाव 2017 में पार्टी द्वारा किन नेताओं को टिकट दिया गया है, इस तरफ दौड़ाएंगे तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
सुचिता की बात करने वाली राजनीतिक पार्टियों ने आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट देने में कोई कसार नहीं रखी है. इस लिस्ट में सबसे ऊपर मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी का नाम आता है. बसपा ने 400 में से कुल 150 आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट दिया. बसपा वही पार्टी है, जो एक समय 'चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर' जैसा नारा भी दे चुकी है, लेकिन इस बार पार्टी ने 38 फीसद टिकट बाहुबलियों या आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को दिये हैं.
उत्तर प्रदेश में सत्ता हथियाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है. राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और पूर्ववर्ती बसपा पर भाजपा हमेशा गुण्डों को प्रश्रय देने का आरोप लगाती रही है. लेकिन जब विधानसभा चुनाव 2017 में टिकट देने की बात आयी तो पार्टी ने अपने कुल 383 उम्मीदवारों में से 137 यानि 36 फीसद आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट थमा दिया.
सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर हमेशा ही गुंडों को प्रश्रय देने का आरोप लगता रहा है और पार्टी ऐसे आरोपों को समय-समय पर नकारते भी रही है. एक नजर विधानसभा चुनाव 2017 में पार्टी द्वारा किन नेताओं को टिकट दिया गया है, इस तरफ दौड़ाएंगे तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
पार्टी ने 307 उम्मीदवारों में 113 यानि 37 फीसद आपराधिक छवि के नेताओं को टिकट दिया, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 114 में से 36 यानि 32 फीसद आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाया है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोक दल ने भी अपने 276 में से 56 उम्मीदवार ऐसे उतारे हैं जो आपराधिक रिकार्ड रखते हैं. यह उसके कुल उम्मीदवारों का 20 फीसद है. यही नहीं कुल 1453 निर्दलीय उम्मीदवारों में से भी 150 यानि 10 फीसद आपराधिक रिकार्ड रखते हैं और यह उन्होंने चुनाव आयोग में दर्ज कराए अपने नामांकन पत्र में स्वीकार किया है.
आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं में भी कई ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, दंगा, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे कई गंभीर प्रवृत्ति अपराध दर्ज हैं. 704 उम्मीदवार इस विधानसभा चुनाव में ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर आपराधिक रिकार्ड दर्ज हैं.
गंभीर प्रवृत्ति के आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं में भी बसपा सबसे ऊपर है. बहुजन समाज पार्टी में कुल 123 यानि 31 फीसद उम्मीदवार गंभीर प्रवृत्ति के अपराधों में शामिल रहे हैं. भाजपा ने 100 यानि 26 फीसद, सपा ने 88 यानि 29 फीसद, रालोद ने 48 यानि 17 फीसद, कांग्रेस ने 25 यानि 22 फीसद गंभीर आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट दिया है. इसी तरह से चुनाव लड़ रहे 134 यानि 9 फीसद निर्दलीय भी ऐसे हैं जो गंभीर प्रवृत्ति के अपराधों में शामिल रहे हैं.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोक दल ने भी अपने 276 में से 56 उम्मीदवार ऐसे उतारे हैं जो आपराधिक रिकार्ड रखते हैं. यह उसके कुल उम्मीदवारों का 20 फीसद है. यही नहीं कुल 1453 निर्दलीय उम्मीदवारों में से भी 150 यानि 10 फीसद आपराधिक रिकार्ड रखते हैं और यह उन्होंने चुनाव आयोग में दर्ज कराए अपने नामांकन पत्र में स्वीकार किया है.
आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं में भी कई ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, दंगा, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे कई गंभीर प्रवृत्ति अपराध दर्ज हैं. 704 उम्मीदवार इस विधानसभा चुनाव में ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर आपराधिक रिकार्ड दर्ज हैं.
गंभीर प्रवृत्ति के आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं में भी बसपा सबसे ऊपर है. बहुजन समाज पार्टी में कुल 123 यानि 31 फीसद उम्मीदवार गंभीर प्रवृत्ति के अपराधों में शामिल रहे हैं. भाजपा ने 100 यानि 26 फीसद, सपा ने 88 यानि 29 फीसद, रालोद ने 48 यानि 17 फीसद, कांग्रेस ने 25 यानि 22 फीसद गंभीर आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट दिया है. इसी तरह से चुनाव लड़ रहे 134 यानि 9 फीसद निर्दलीय भी ऐसे हैं जो गंभीर प्रवृत्ति के अपराधों में शामिल रहे हैं.
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