पालीटेक्निक, आईटीआई करने के बाद बीए का छात्र हूँ, आगे क्या करूँ?




एक नौजवान हैं नीरज. उन्होंने यूट्यूब पर अपनी कहानी बयाँ की है. सवाल पूछा है कि इण्टर के बाद पालीटेक्निक किया. फिर आईटीआई और अब बीए सेकण्ड ईयर का छात्र हूँ. आगे क्या क्या करूँ, समझ नहीं आ रहा. सरकारी नौकरी ही चाहिए. नीरज ने मदद माँगी है. यह भी दुहाई दी है कि उम्र 24 बरस हो गई है. बड़ा कन्फ्यूजन है, क्या करूँ?
यूपी बोर्ड, आईसीएसई/आईएससी के इम्तहान ख़त्म हो चुके हैं. सीबीएससी बोर्ड के इम्तहान चल रहे हैं. यही वह समय है जब युवा आगे का रास्ता तय करता है. नीरज के केस में आप देखें तो पाएंगे कि अगर उन्हें पालीटेक्निक करना था तो इंटर की जरूरत नहीं थी. पालीटेक्निक तो हाईस्कूल के बाद ही हो जाता है. पालीटेक्निक कर लिया तो फिर आईटीआई करने की कोई जरूरत नहीं थी. क्योंकि आईटीआई की वैल्यू बाजार में पालीटेक्निक से कहीं कम है. तकनीकी शिक्षा हासिल करने में कई बरस गुजारने के बाद फिर बीए करने की बात बेमानी है. अगर स्नातक करना था तो तीन वर्ष में ही नीरज बीटेक कर लेते, क्योंकि पालीटेक्निक पास छात्रों को बीटेक में सीधे दूसरे साल में प्रवेश देने की व्यवस्था है. इससे वे जितने दिन में बीए की डिग्री हासिल करेंगे, उतने ही समय में बीटेक पूरा हो जाता. स्नातक भी हो जाता और यह भी लगता कि नीरज भटकाव के शिकार नहीं है.
इस तरह आप देखेंगे तो नीरज अपना कीमती समय और पिता जी का पैसा दोनों आराम से बहाते जा रहे हैं. पर, सवाल यह है कि कोई भी नौजवान ऐसा क्यों और कैसे करता है? प्रायः नीरज जैसे किशोर वय बच्चे किसी के कहने पर या देखा-देखी किसी भी कोर्स में दाखिला ले लेते हैं. जबकि होना यह चाहिए कि कोर्स तय करते समय अगर हम ठीक से सोच विचार लें तो शायद समय और पैसे, दोनों ही की बर्बादी रोकी जा सकती है. जितना समय इन कोर्स को करने में नीरज भटके हैं, उतना अगर एक ही दिशा में जुट के पढ़ते और तैयार करते तो ज्यादा संभावना इस बात की होती कि 24 की उम्र तक उनका करियर शुरू हो जाता. कन्फ्यूजन तो बिल्कुल नहीं होता. अभी नीरज बीए कर रहे हैं. एक साल बाद उन्हें स्नातक की डिग्री मिलेगी. इस तरह उनके पास पालीटेक्निक, आईटीआई और बीए पास होने का प्रमाणपत्र तो निश्चित होगा लेकिन दिशा साफ नहीं होगी.
नीरज को नौकरी मिलती भी है तो पालीटेक्निक के आधार पर तकनीकी काम मिलेगा. या फिर आईटीआई के आधार पर, क्योंकि दोनों का ट्रेड अलग-अलग है. यही नीरज के लिए सबसे सुरक्षित रास्ता भी है. कारण यह है कि स्नातक के बाद यह बात सही है कि नौजवानों के लिए बहुत सारे रास्ते खुल जाते हैं लेकिन तैयारी करने में समय और पैसा, दोनों का निवेश करना पड़ता है. नीरज के पास अब बहुत समय नहीं है. मेरा हाईस्कूल, इण्टर का इम्तहान देने वाले बच्चों को सुझाव है कि वे नीरज की तरह भटकाव में न पड़ें. पहले ही तय कर लें. क्या करना है, किस दिशा में जाना है, कौन सी पढ़ाई करनी है, किस कोर्स में दाखिला लेना है? सबसे महत्वपूर्ण बात कि आपका अपना मन क्या कह रहा है? सबकी राय को सुनिए लेकिन करिए मन की. अपने माता-पिता को अपने मन की बात भी बताइए. फिर फैसला कीजिए. क्योंकि आप अपने बारे में बेहतर जानते हैं. माता-पिता को आप आसानी से तैयार कर सकते हैं. ध्यान रखिए हर माँ चाहती है कि उसका बेटा/बेटी सबसे ऊँचा ओहदा प्राप्त करे. किसी के सुझाव पर वो अपने बच्चे पर मौजूद संसाधन लुटाते भी हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले जरुरी है कि हम अपने बच्चे की क्षमता का आंकलन जरूर कर लें. तभी दाखिला कराएँ. समय बदल गया है. अवसर बहुत हैं तो भटकाव भी कम नहीं हैं. सावधान होकर ही कोर्स का चयन करें. समय और पैसा दोनों ही बचाएं. यह राष्ट्र के लिए और आपके लिए भी महत्वपूर्ण है.

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