सुनो सबकी, करो अपनी, कामयाबी आपकी ही होगी
सीबीएससी बोर्ड के इम्तहान
शुरू हो चुके हैं. आईएससी के चल रहे हैं. यूपी बोर्ड के समाप्ति की ओर हैं. जो
छात्र इण्टर का इम्तहान दे रहे हैं, उन्हें स्नातक के लिए फिर से एक नई तैयारी में
जुटने की चुनौती है. ऐसे में वक्त बिल्कुल नहीं है.
यहाँ मैं इंटर के बाद वाली
तैयारी पर बात करूँगा. अप्रैल से लेकर जुलाई का महीना ऐसे छात्रों के लिए बहुत अहम
होते हैं. सारे जीवन का फैसला इन्हीं महीनों में होना होता है. असल में इम्तहान
ख़त्म होने के बाद दो स्थितियों से छात्रों का सामना होता है. एक-बोर्ड के पेपर बहुत
बढ़िया हुए, तो थोड़ी मस्ती कर ली जाए. दो-बोर्ड के पेपर खराब हो गए तो अब आगे की तैयारी
का क्या फायदा? दोनों ही सूरत ठीक नहीं है. क्योंकि आपको आगे ही जाना है. जब यह तय
है तो फिर न तो मस्ती और न ही पछतावा. आपको आगे की तैयारी में लग जाना है.
अगर पेपर ख़राब हुए तो आप
कुछ कर नहीं पाओगे. और बढ़िया हुए तो खुद के साथ थोड़ी सख्ती और कर लेना ही मुनासिब
होगा. असल में यह कठिन समय है. आपके लिए भी और आपके मम्मी-पापा के लिए भी. यही समय
है जब अंतिम फैसला लिया जाता है कि आप आगे क्या करने वाले हो. यहाँ आप किसी के
कहने-सुनने में मत आओ. खुद की सुनो. देखो, आकलन करो कि आप क्या कर सकते हो? आपका
मन कहाँ लग रहा है? किस क्षेत्र में आप अपना करियर देख रहे हो? आपकी रूचि किस
क्षेत्र में है? ऐसे सवाल हल करने में कोई मुश्किल आये तो शिक्षकों, काउंसलर की
मदद लें, लेकिन ध्यान रहे सुनें सबकी, करें अपनी.
क्योंकि आपका मन एनिमेशन
में लग रहा है और मम्मी आपको डॉक्टर बनाने पर आमादा हैं, और आप सफल भी हो जाएँ तो
मन नहीं लगेगा. फिर जैसे ही आप को मौका मिलेगा, मनचाहे कोर्स की ओर भागोगे. इस तरह
आप मेडिकल में एक ऐसे छात्र का रास्ता रोक देंगे, जिसे डॉक्टर ही बनना है. ठीक ऐसे
ही अगर आपको डॉक्टर बनना है और पापा चाहते हैं कि आप आईईटी जाएँ. आप सफल भी हो गए
तो किसी नौजवान का रास्ता ही आप रोकेंगे, क्योंकि आप की जैसे ही चलेगी, डॉक्टर
बनने चल दोगे. आप का मन कर रहा है कि एक्टिंग करनी है और मम्मी-पापा चाहते हैं कि
मास्टर्स करने के बाद पीएचडी करके टीचर बनो, साफ़ मना करो और एक्टिंग में हाथ
आजमाओ. कहने का आशय सिर्फ इतना है कि मन कि सुनते हुए उसी रास्ते पर चलो. ध्यान
रहे, कोई प्रोफेशन बुरा नहीं होता, उसे अच्छा या बुरा हम बनाते हैं. किसी विद्वान
ने कहा है कि कामयाब लोग रूटीन के काम को भी अलग तरीके से करते हुए खुद के लिए
रास्ता बनाते हैं. और औरों के लिए मिसाल बन जाते हैं. दुनिया में अनेक उदाहरण हैं,
जिन्होंने अपने तरीके से काम करते हुए अलग मुकाम हासिल किया है.
क्या आपको पता है कि अमिताभ
बच्चन रेडियो के आडिशन में फेल हो गए थे और आज...टीवी में छोटी सी भूमिका से करियर
शुरू करने वाले शाहरुख़ खान आज सुपर स्टार हैं. रसोइये की छोटी सी नौकरी करने वाले
अक्षय कुमार आज कहाँ हैं, किसी से छिपा नहीं. सन्देश यही है, जो करो, दिल से करो.
वही करो, जो दिल करे, मन करे. सुनो सबकी, करो अपनी. अगर आप ऐसा करते हैं तो
कामयाबी आपके पीछे भागती हुई आएगी और नहीं कर पाते हैं तो जीवन भर सिर्फ पछताने को
होता है. खुद को कोसने को होता है. परिवार मित्रों को कोसने को होता है और बहुत
स्वाभाविक है कि आप ऐसा नहीं करना चाहेंगे.
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