छात्र इंटरनेट के सहारे न करें पढ़ाई, किताबें ज्यादा भरोसेमंद

दिनेश पाठक


अगर आप प्रतियोगी या किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो कृपया केवल इंटरनेट के सहारे न रहें. टेक्स्ट बुक को ही तरजीह दें. कई बार इंटरनेट से लिए गए तथ्य गलत भी हो सकते हैं. किताबों में यह आशंका इसलिए कम हो जाती है या न के बराबर रहती है क्योंकि छपने के पहले बड़ा से बड़ा लेखक भी इसका प्रूफ अंतिम रूप से जरुर देखता है.
असल में सामान्य दशा में हम गूगल या किसी अन्य सर्च इंजिन के सहारे हो गए हैं. जो लोग गूगल को जानते हैं, वे भी बहुत नहीं जानते. गूगल एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जिसके पास अपनी कोई सूचना नहीं है. जब आप कुछ भी सर्च करते हैं तो गूगल दसियों पेज खोलकर आपके सामने रख देता है. अब आपको इसी हिमालय से संजीवनी छांटनी / खोजनी है. अब कौन सी वेबसाइट की सूचना सही है, यह तय करना आपके लिए या किसी के लिए भी बहुत मुश्किल है. श्रीलंकन क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन की जन्म तिथि 17 अप्रैल 1972 है, जबकि देश की एक बहुत ही प्रतिष्ठित न्यूज़ वेबसाइट ने इस तथ्य को 17 अप्रैल 1947 दर्शाया हुआ है. एक और वेबसाइट ने इण्टरनेशनल कोर्ट की स्थापना की तारीख 18 अप्रैल बताई है, जबकि संस्था की वेबसाइट बता रही है कि उसकी स्थापना जून में हुई थी. ये तथ्य मेरे अपने देखे हुए हैं. इसलिए इसे उदहारण के रूप में आप मान सकते हैं. गंभीरता से देखेंगे तो आप पाएंगे कि ऐसी त्रुटियाँ इंटरनेट पर आम है. ख़ास बात यह है कि इस भारी त्रुटि के झांसे में आकर अगर आपने कोई इम्तहान दिया और परिणाम आपके पक्ष में नहीं आया तो आप किसी को दोषी भी नहीं ठहरा सकते. समय और पैसा आपका ही बरबाद होगा. बहुत लोग कहते हैं कि मैंने अमुक सूचना विकिपीडिया से ली है. मैं कहना चाहूँगा कि यह प्लेटफ़ॉर्म भी तो इंटरनेट पर ही है. इसे असंख्य लोग संपादित कर सकते हैं/ करते हैं. हालाँकि विकिपीडिया हर किसी को इस बात की इजाजत नहीं देता. कई बार विकिपीडिया पेज खुलते ही आपको ऊपर ही एक नोटिस दिखाई देती है, जिसमें तेज संपादन की सूचना दी गई होती है. ऐसे में खतरे कम यहाँ भी नहीं हैं.
मैं अपने ज्यादतर वीडियो / लेख में इसीलिए टेक्स्ट बुक पढ़ने की वकालत करता हूँ. मैं इंटरनेट से पढ़ाई करने वाले किसी भी छात्र को शार्ट कट रास्ते पर चलते हुए पाता हूँ. जहाँ खतरे भी हो सकते हैं. हर बार वहाँ की सूचनाएं गलत होती हैं, ऐसा मैं बिल्कुल नहीं कह रहा हूँ लेकिन प्रतियोगी या कोई और इम्तहान तो आपके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. ऐसे में मामूली चूक भी आप पर भारी पड़ सकती है. ऐसे में एक स्टूडेंट के रूप में उस रास्ते पर क्यों जाना, जहाँ खतरे की आशंका है.
इसके बावजूद अगर आप वाकई इंटरनेट से ही पढ़ना चाहते हैं तो मेरा सुझाव होगा कि अपनी पसंद के हिसाब से कुछ प्रतिष्ठित वेबसाइट का चयन करिए. और जो भी सूचना आप देख रहे हैं, उन्हें सबमें चेक करिए. अगर सामान जानकारियाँ कम से कम तीन जगह मिलती है तो एक बार आप भरोसा कर सकते हैं. अन्यथा बेग सर्च के सहारे तो दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. सूचना गलत हो सकती है. सावधानी हटी, दुर्घटना घटी.
लेखक करियर/पेरेंटिंग/चाइल्ड काउंसलर हैं. आपके मन में कोई सवाल है तो नीचे दिए गए ई-मेल, व्हाटसएप, फेसबुक या यूट्यूब के जरिए सीधे पूछ सकते हैं.
Email- dpathak0108@gmail.com | Whatsapp-9756705430 | youtube.com/dineshpathak0108 | Fb.me/dpathak0108

Comments

Popular posts from this blog

पढ़ाई बीच में छोड़ दी और कर दिया कमाल, देश के 30 नौजवान फोर्ब्स की सूची में

खतरे में ढेंका, चकिया, जांता, ओखरी

युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हो सकती है अगम की कहानी