कोर्स और कालेज तय करने में जल्दबाजी उचित नहीं

दिनेश पाठक/ करियर, चाइल्ड, पैरेंटिंग काउंसलर


दो दिन पहले एक ग्रेजुएट इंजीनियर का फोन आया. इस नौजवान ने दो वर्ष पहले अपनी इंजीनियरिंग पूरी की और अब तक बेरोजगार है. उसने जो सवाल पूछा, उसे सुनकर मैं हैरान रह गया. क्योंकि इस नौजवान को उसके अपनों ने बीएड करने की सलाह दी है. इस युवा को भरोसा है कि बीएड के बाद वह टीईटी कर लेगा और नौकरी पक्की हो जाएगी. मेरी नजर में यह सच नहीं है. मिल भी सकती है और नहीं भी मिल सकती है. बीएड, टीईटी अब नौकरी की गारंटी नहीं हो सकते. मैंने अपनी राय से इस युवा को अवगत भी कराया और कुछ सुझाव भी दिए.
मैंने पूछा कि तुम्हारा कैम्पस सेलेक्शन क्यों नहीं हुआ तो उसने बताया कि पूरे चार साल में हमारे यहाँ कोई कम्पनी ही नहीं आई. यह राज्य सरकार के विश्वविद्यालय कैम्पस में चलने वाले इंजीनियरिंग कालेज का हाल है. कुरेदने पर उसने बहुत सारी ऐसी जानकारियां दी, जिसे सुनकर लगा कि आखिर इस विश्वविद्यालय को इंजीनियरिंग कालेज चलाने की अनुमति क्यों दी गई होगी? क्या सरकार का कोई तंत्र ऐसा नहीं है जो इस तरह की चीजों को देखे, सुने और समझकर युवाओं के अनुकूल बना सके. जवाब है शायद नहीं. अगर होता तो इस सरकारी कैम्पस का इतना बुरा हाल नहीं होता.  
देश में मौजूद बेरोजगारों में 16 फीसद तकनीकी शिक्षा प्राप्त हैं. शायद ऐसे ही कैम्पस की वजह से यह सीन बना होगा. क्योंकि छोटा से छोटा निजी कॉलेज अपने कैम्पस में प्लेसमेंट मेला लगवा ही लेता है. अगर नहीं कर पाता है तो वह किसी बड़े कॉलेज से समझौता करके अपने बच्चों को वहाँ आयोजित नौकरी मेले में शामिल करा देता है. इन कैम्पस सेलेक्शन की एक खूबसूरती यह भी है कि औसत छात्र भी छोटी ही सही, नौकरी पा जरुर जाता है. वहीं अच्छे कालेज से पढ़ाई करने वाले युवाओं को नौकरियाँ आज भी मिल जा रही हैं. इस सूरत में अभिभावकों और युवाओं को मेरा  सुझाव है कि इण्टर पास करने तक फोकस तय कर लें. कोशिश करें कि उसी कोर्स में दाखिला लें, जिसमें आपकी रूचि हो. ग्रेजुएशन का फैसला उसी हिसाब से करें. अगर बीएड करके शिक्षक ही बनना है तो चार साल का बीटेक क्यों करना? तीन साल का बीए, बीएससी, बीकॉम, जैसे कोर्स क्यों नहीं? पांच साल में एमए, एमएससी हो जाएगा. फिर नेट क्वालीफाई करके सीधे कॉलेज में पढ़ाने की सोचना ज्यादा उचित होगा. अगर इंजीनियरिंग करने का फैसला कर लिया है और आपका चयन आईआईटी / एनआईटी में नहीं हुआ तो भी बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं. लेकिन प्रवेश लेने के पहले थोड़ी जानकारी एकत्र कर लेना उचित होगा. यह बात ठीक नहीं है कि चार साल जिस कैम्पस में आपको गुजारना है, उसके बारे मन आपके पास कोई जानकारी ही नहीं है. बहुत मामूली प्रयास से यह जानकारी आसानी से मिल जाएगी कि इस कॉलेज का कैम्पस सेलेक्शन का रिकार्ड कैसा है?
कहने का आशय यह है कि अब पढ़ाई मंहगी हो गई है. यह हम सब जानते हैं. ऐसे में बहुत सोच समझकर ही कालेज, कोर्स का फैसला लिया जाना चाहिए. अब रोजगार परक इतने कोर्स हैं कि इंटर के बाद आप तीन-चार साल की पढ़ाई करके आसानी से नौकरी की गारंटी पा सकते हैं. बस केवल थोड़ी सी जागरूकता की जरूरत है. ऐसा करके आप अपना समय और पैसा तो बचा ही लेंगे, बेवजह के तनाव से भी बचेंगे. यह समय कोर्स और कॉलेज तय करने का ही है, ऐसे में सावधानी हटी, दुर्घटना घटी, वाली कहावत से हमें कुछ सबक लेना होगा.


Comments

Popular posts from this blog

पढ़ाई बीच में छोड़ दी और कर दिया कमाल, देश के 30 नौजवान फोर्ब्स की सूची में

युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हो सकती है अगम की कहानी

खतरे में ढेंका, चकिया, जांता, ओखरी