उम्मीद तीन : टीना की मम्मी टेंशन में, कहाँ से लायें कहानियों का पिटारा?

टीना और सुरभि| इन दोनों ही नाम से वाकिफ हैं न आप! पिछले ही हफ्ते मुलाकात हुई थी इनसे आपकी| दोनों बहुत गहरी दोस्त हैं| एक ही अहाते में रहती हैं ये किशोरवय बच्चियाँ| सगी बहनें नहीं, लेकिन प्यार उनसे भी कहीं ज्यादा| फर्क यह है कि एक ही जगह रहने के बावजूद इनका लालन-पालन अलग तरीके से हो रहा है| एक की माँ नाजों से पाल रही तो दूसरे की पैसों और नौकरों के सहारे| देखना रोचक होगा कि जीत किसकी होगी?
दिनेश पाठक

सुरभि अपनी मम्मी के साथ इसी अहाते में सर्वेंट क्वार्टर में रहती है और टीना मम्मी-पापा के साथ बड़ी सी कोठी में| सुरभि अपनी मम्मी की एकमात्र उम्मीद है| उसके अब इस दुनिया में नहीं हैं| जबकि टीना का एक बड़ा भाई भी है| टीना जो चाहती है, उसे मिलता है लेकिन सुरभि के केस में उलट है| उसकी मम्मी स्कूल फीस, कॉपी-किताब के लिए हाड़तोड़ मेहनत करती है| लक्जरी के लिए उस पर पैसे नहीं है| लेकिन सुरभि को कोई शिकायत नहीं है और टीना हरदम शिकायती मोड में ही रहती है| सुरभि की दुनिया स्कूल और घर तक ही सिमटी हुई है लेकिन टीना की दुनिया उससे एकदम इतर है| कई बार टीना का होम वर्क तक सुरभि को करना होता है| इसके लिए उस पर कोई दबाव नहीं होता| वो तो बस अपनी दोस्त को खुश देखना चाहती है| स्कूल और टीना के कहीं बाहर जाने के अलावा दोनों साथ ही रहते-खेलते हैं| सोने के लिए टीना जहाँ अपने कमरे में चली जाती है वहीँ सुरभि मम्मी की गोद में| सुरभि कई बार इस बात से ही खुश हो जाती है कि उसके पास टीना जैसी दोस्त है| उसकी कापी-किताबों से भी बहुत कुछ सीखने-समझने की कोशिश करती है| कुछ नया सीखने के इरादे से ही वह बहुत सारे काम कर दिया करती है|
सुरभि की मम्मी जब कोठी का काम ख़त्म करके अपने कमरे में पहुँचती है तो वह पढ़ाई कर रही होती है| मम्मी को देखते ही सुरभि लिपट जाती है| फिर दोनों खाना खाकर बिस्तर में पहुँच जाते हैं| फिर खुलता है कहानियों का खजाना| सुनते-सुनाते दोनों माँ-बेटी सो जाते हैं| अगली सुबह मिलने पर जब सुरभि टीना को कोई कहानी सुनाती है तो वह यह पूछना नहीं भूलती कि इसे कहाँ पढ़ा है| जैसे ही सुरभि बताएगी, मम्मी ने सुनाई तो तुरंत टीना कहानी की तलाश में इंटरनेट में जूझती है और न मिलने पर बरबस दुखी हो जाती है| वह सवाल भी पूछती है कि मेरी मम्मी क्यों नहीं सुनाती मुझे कहानियाँ| तय करती है कि आज मम्मी से पूछेगी जरुर| शाम की चाय पर टीना, मम्मी से कहानी सुनाने को कहती है तो उसे न सुनने को मिलता है| उसने जिद कर ली कि आज तो कहानी सुनानी ही होगी लेकिन मम्मी ने दुलारा कि बेटा आज मम्मा को बहुत काम है, कल कहानी की किताब लेकर आऊँगी| टीना जिद करके बैठ जाती है कि मुझे आपसे सुननी है| अब मम्मी को यह नहीं समझ आ रहा है कि अचानक उसने कहानी की जिद क्यों और कैसे पकड़ ली| उन्होंने इसकी पड़ताल की तो सच्चाई की जानकारी हुई| फिर यह काम टीना की मम्मी ने सुरभि की मम्मी को पकड़ा दिया लेकिन वह तो अपनी ही मम्मी से कहानी सुनने को आमादा थी| मुश्किल यह थी कि सुरभि की मम्मी के पास कहानियों का खजाना नाना-नानी से ट्रांसफर होकर आया था और टीना के यहाँ सन्नाटा था| टीना की मम्मी को लगा कि वे कहानी की किताब से मामला सुलटा लेंगी| पर, यहाँ तो बात बनने की बजाय बिगड़ती जा रही थी|

निर्देशानुसार, सुरभि की मम्मी जब भी मौका मिलता टीना को भी कुछ कहानियाँ सुनातीं लेकिन उसे संतुष्टि नहीं मिलती| टीना की मम्मी एक अत्याधुनिक ख्यालों की महिला हैं| पापा बिजनेस की व्यस्तता की वजह से समय नहीं दे पाते| देर रात पार्टी दोनों की दिनचर्या में शामिल है| नौकरों के सहारे घर और दोनों बच्चे पल रहे हैं| हालाँकि, दोनों बहुत संस्कारी हैं| घर में सुरभि की मम्मी के अलावा एक आया और एक महराज हैं| माली, गेटमैन, ड्राइवर आदि अलग से| तमाम व्यस्तताओं के बीच टीना की कहानी की जिद ने उसकी मम्मी के पेशानी पर बल दिया है| मैंने तो उनसे कहा भी है कि सोने से पहले सुना दिया करिए एक-दो कहानियाँ| दादा-दादी या नाना-नानी वाली| पर, वे चिंतित हैं लेकिन अभी तक कोई तोड़ निकला नहीं है| उम्मीदों पर दुनिया कायम है, यहाँ भी देखना रोचक होगा कि आगे क्या और कैसे होता है?

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