प्रतिभा और बहते हुए पानी को रोकना मुमकिन नहीं

बात कोई 15 वर्ष पुरानी है| मैं अखबार में काम करता था| उस जमाने में मई महीने का अंतिम सप्ताह हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण होता था| इसी दौरान हमें इन्क्रीमेंट के पत्र मिलते और इसी के बाद दो महीने के इन्क्रीमेंट वाली सेलरी बैंक खाते में आ जाती| खैर, मेरे सम्पादक जी श्री नवीन जोशी जी ने एक-एक कर सबका पत्र देना शुरू किया| मेरी भी बारी आई| देखते ही मैंने आपत्ति जताई कि सर अमुक व्यक्ति मेरे से जूनियर भी है| जिम्मेदारी भी कम उठाता है फिर उसकी बढ़ोत्तरी मुझसे ज्यादा कैसे हो गई? सर ने बताया कि तुममे प्रतिभा है इसलिए तुम्हें जिम्मेदारी मिली| इसका लाभ तुम्हें कहाँ तक मिलेगा, अभी तुम भी नहीं जानते| मेहनत से काम करो| हुआ भी वैसा ही, जैसा सर ने कहा था| उन्होंने यह भी जोड़ा कि रुपए में भले तुम्हें कम लाभ मिला है लेकिन प्रतिशत में तुम्हारी बढ़ोत्तरी 20 फ़ीसदी है और उसकी 12| सर ने कागज भी दिखाए| मैंने माफ़ी माँगी और बाहर आ गया|
दिनेश पाठक

हाल ही में मेरी मुलाक़ात एक ऐसी नौजवान से हुई जो पांच लाख रुपया सालाना की नौकरी में है| लेकिन परेशान है| जानते हैं क्यों? क्योंकि उसका टीम मेट उससे ज्यादा तनख्वाह पाता है| मैंने इस नौजवान को वही कहानी सुनाई जो नवीन सर ने मुझे बताई थी| कई उदाहरण के जरिए मैं उस बात को साफ़ करते हुए कहना चाहूँगा अपनी नई पीढ़ी से कि अगर आप चाहते हैं कि आप सबसे ऊपर रहें तो इसे पहले ही तय करिए और उसी अनुरूप पढ़ाई करिए| मसलन, अगर आप किसी भी कॉलेज से एमबीए करते हैं और किसी आईआईएम से करते हैं तो सेलरी में जमीन आसमान का फर्क होता है| मैं खुद आईआईएम से पढ़े दर्जनों नौजवानों के साथ काम कर चुका हूँ, जो मुझसे कहीं ज्यादा सेलरी पाते थे लेकिन घंटों बैठकर सीखते भी थे| इस देश में आईएएस, पीसीएस बनने की अहर्ता सिर्फ स्नातक है| दोनों में जिसका चयन होता है, उसकी काबिलियत पर सवाल उठाने वाले की काबिलियत कठघरे में आ जाती है| लेकिन दोनों की आय और जलवे में जमीन-आसमान का अंतर है|
मैंने इस नौजवान से ये तथ्य शेयर करते हुए अनुरोध किया कि वह अगर अपनी आय से संतुष्ट नहीं है तो इससे दुखी न होकर और बेहतर करने का प्रयास करे| क्योंकि दुखी होने से उसकी मौजूदा परफार्मेंस कमजोर हो जाएगी| अगर ऐसा हुआ तो शर्तिया अगला इन्क्रीमेंट ख़राब होगा| फिर तुम और दुखी हो जाओगे| बेहतर है कि अभी दुखी न हो| अपनी परफ़ॉर्मेंस को बेहतर रखो| यही रास्ता उचित है| क्योंकि यह सच है कि किसी भी कंपनी में फ़ॉर्मेट उसी का चलेगा| आपका नहीं| इसके बावजूद आपको लगता है कि आपके साथ अन्याय हो रहा है तो वहाँ काम करते हुए बेहतर मौके की तलाश करनी चाहिए| यही रास्ता उचित है और टिकाऊ भी| क्योंकि कोई माने या न माने, प्रतिभा और बहते पानी को आगे जाने से कोई रोक नहीं पाएगा| यह उतना ही बड़ा सच है, जितना सूरज की रोशनी और चाँद की विनम्रता| तय आपको करना है|
मैं कॉलेज जाने वाले हर छात्र से यही कहना चाहूँगा कि बाद में अफ़सोस हो इससे बढ़िया है कि पहले ही चेत जाओ| बढ़िया पढ़ाई करो| अच्छे लोगों की अभी भी बहुत जरूरत है| लोग मिल नहीं रहे हैं| मैं खुद लीडरशिप रोल में काम करते हुए कह सकता हूँ कि मेरे लिए हर वह साथी महत्वपूर्ण रहा जो बेहतरीन काम करता है| उसे आगे बढ़ाने में मुझे कभी कोई तकलीफ़ नहीं हुई| बल्कि ऐसे साथियों के लिए मैं अनेक मौकों पर अपनी लीडरशिप से मर्यादा में रहकर लड़ा और जीता भी| अपना गोल समय पर तय करें| उसी के अनुरूप तैयारी करें| काम आसान हो जाएगा, जीवन भी| फिलवक्त, मेरी शुभकामनाएँ|


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