हाय सर, बाई द वे आई एम रिया!
वाकया हाल ही का है| व्हाट्सएप पर एक अनजाने नंबर से सन्देश आया..हाय सर| मैंने लिखा-यस प्लीज| सन्देश का क्रम आगे बढ़ा-मुझे किसी ने आपका नम्बर दिया है| कहा गया है कि आप नौकरी दिलवाने में मददगार हो सकते हैं| मैंने जवाब दिया-आपको डांटने का मन कर रहा है| आप कौन हैं? कहाँ से लिख रहे हैं या लिख रही हैं? आप की शैक्षिक योग्यता क्या है? अपने बारे में कुछ बताएँ, यह भी जानकारी दें कि किसके माध्यम से आप मुझे लिख रहे हो| जो जवाब आया, उससे मैं खुद भौचक रह गया| क्यों कि अगला सन्देश बेहद खतरनाक था| लिखा गया-आपने पूछा ही नहीं-बाई द वे, आई एम रिया| दिनेश पाठक मैं ऐसा मानता हूँ कि हमारे देश का युवा ज्यादा होशियार है| चपल है| पुरानी पीढ़ी से कहीं ज्यादा अच्छा सोचता-समझता है, पर जब इस तरह का संवाद होने पर निराशा संभव है और मैं इसे अपवाद ही मानता हूँ| इस घटना का उल्लेख करने के पीछे मेरी मंशा रिया या उसकी तरह का व्यवहार करने वाले किसी भी नौजवान की गलती गिनाना नहीं है| केवल ध्यान दिलाना है कि अगर आपको किसी से मदद चाहिए हो तो क्या इस तरीके से मदद मिल सकती है? मुझे लगता है कि नहीं| यह घटना बहुत कुछ सीख दे...